आज़ादी के इतने वर्षों के बाद भी धनबाद जिलान्तर्गत गोविंदपुर प्रखंड के सूदूरवर्ती आदिवासी बहुल मरिचो पंचायत के बेहराडीह मौजा के ग्रामीण लालटेन- ढिबरी जलाकर जीने को मजबूर हैं. स्थानीय सामजिक कार्यकर्त्ता रंजीत कुमार महतो ने बताया कि बिजली की आपूर्ति नहीं होने के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित रहती है. गांव में पानी की सुलभ नहीं है. खासकर गर्मी के मौसम में ग्रामीणों को पानी की बहुत किल्लत होती है. सड़कें भी दुरुस्त नहीं हैं.
जनता आज भी स्वयं को ठगा महसूस कर रही
राज्य में कई सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन जनता आज भी अपने आप को ठगा महसूस कर रही है. ग्रामीणों का कहना है कि सभी चुनावों में बढ़-चढ़ कर इसी आशा के साथ इस गांव के लोग भी वोट करते हैं, ताकि गांव में बिजली, सड़क जैसी मुलभूत सुविधाएं न मिलना गंभीर चिंता और दु:खद है.
गांव की सुधि ले सरकार-रंजीत महतो
रंजीत कुमार महतो ने बताया कि उन्होंने इस मामले को संज्ञान में लेकर बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता गोविंदपुर डिवीजन धनबाद कार्यालय, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड और संबंधित उच्च अधिकारियों को ग्रामीणों के द्वारा लिखित आवेदन देकर बिजली बहाल करने के लिए प्रयास किया है. श्री महतो का निरंतर प्रयास है कि सरकार की नींद खुले और इस गांव की सुधि ले. सरकारी सुविधाएं समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान हो
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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