सुप्रीम कोर्ट ने अपने हाल के फैसले में कानूनी प्रक्रिया में सरल भाषा का इस्तेमाल करने की महत्वपूर्ण बात को उजागर किया है। जस्टिस संजीव खन्ना ने एक अंतरराष्ट्रीय लॉ कॉन्फ्रेंस के दौरान यह कहा कि सरल और समझने में आसान भाषा का इस्तेमाल करने से कानून के निर्णयों को आम लोग बेहतर तरीके से समझ सकेंगे और उल्लंघन से बच सकेंगे।
वे इस विचार को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि कानून हर नागरिक की जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और इसलिए इसकी भाषा आसान और सामान्य लोगों को समझ में आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कानूनी प्रक्रिया की लागतों की बढ़ती समस्याओं और वकीलों की मनमानी फीस के कारण कई लोगों को न्याय पाने में मुश्किलें हो रही हैं। इसका समाधान खोजने के लिए उन्होंने युवाओं को भी जिम्मेदारी समझाने का सुझाव दिया।
जस्टिस खन्ना ने यह भी बताया कि कानून के साथ कुछ परंपराएं हैं, जिन्हें फिर से जीवित किया जाना चाहिए, ताकि न्याय सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि कानून विवादों के समाधान के लिए है और न कि खुद विवादित बनने के लिए। कानून नागरिकों के लिए रहस्यमय नहीं होना चाहिए।
इसके अलावा, उन्होंने मुकदमेबाजी और कानूनी पेशे के बिजनेस के परंपरागत प्रतिबंधों को उठाने की आवश्यकता पर भी बात की और युवाओं को कम रिटेनरशिप या वकीलों की मनमानी फीस को लेकर आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी।
इस विचार में, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सामान्य लोगों के लिए कानून की प्रक्रिया को सरल और समझने में आसान बनाने की महत्वपूर्ण बात को प्रमोट किया है।
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