गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 79वां दिन है।
सत्याग्रह के 79 वें दिन उपवास पर बैठने वालों में राजस्थान के सवाई सिंह और गोपाल शरण शामिल हैं।
सवाई सिंह मूलत: अलवर जिला, राजस्थान के रहनेवाले हैं, लेकिन पूरा राजस्थान उनका कार्यक्षेत्र रहा है। छात्र जीवन से ही गांधी विचार से जुड़ गए थे। शुरुआती दौर में वे छात्र राजनीति में शामिल हुए। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले संपूर्ण क्रांति आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई। आपातकाल के विरोध में काम किया और जेल भी गए। वहां से बाहर निकलने के बाद छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी का काम देश-प्रदेश स्तर पर किया और उसके बाद सर्वोदय आंदोलन से जुड़े।
आज भी मुख्य रूप से शांति, सद्भाव, शराबबंदी, जाति तोड़ो अभियान जारी है
आज भी मुख्य रूप से शांति, सद्भाव, शराबबंदी, जाति तोड़ो अभियान जारी है। किसान, गरीब, दलित, मजदूर, महिला आदि के आंदोलन में भी शिरकत की और उनके न्याय के लिए निरंतर लड़ते रहे। गैट एग्रीमेंट के दौर में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की आड़ में विश्व पूंजीवाद को स्थापित करने के षड्यंत्र के खिलाफ चले आंदोलन में भी शामिल रहा। उदारीकरण एवं विश्व व्यापार संगठन के खिलाफ चलने वाले आंदोलन का संयोजन आजादी बचाओ आंदोलन की ओर से किया जा रहा था। इसकी नेतृत्वकारी भूमिका में सवाई सिंह शामिल थे। शीर्ष गांधीवादी संस्था-सर्व सेवा संघ के युवा प्रकोष्ठ के संयोजक, प्रशिक्षक तथा मंत्री के रूप में दायित्व निर्वाह किया। राजस्थान समग्र सेवा संघ जो एक गांधीवादी संस्था है तथा सर्व सेवा संघ से इसका अभिन्न रिश्ता रहा है, के मंत्री और अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं देते रहे हैं।
सवाई सिंह ने अपना पूरा जीवन सर्वोदय एवं गांधी विचार के प्रचार-प्रसार में समर्पित कर दिया है
कालाडेरा में कोकाकोला कंपनी द्वारा अंधाधुंध जल दोहन होता था। वहां भी आंदोलन चलाया और उस कंपनी को बंद करवाया। शराब की जगह-जगह जो दुकानें थी, उनको भी बंद करवाया। एक दफा पूरे प्रदेश में गोकुल भाई भट्ट के नेतृत्व में शराबबंदी आंदोलन चला था, जिसमें सवाई सिंह ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सवाई सिंह ने अपना पूरा जीवन सर्वोदय एवं गांधी विचार के प्रचार-प्रसार में समर्पित कर दिया है।
गोकुल भाई भट्ट के संपर्क में आने के बाद इन्होंने भांग पीने जैसे दुर्गुण से मुक्ति पाई
गोपाल शरण जयपुर राजस्थान से हैं और वे राजस्थान समग्र सेवा महामंत्री के रूप में कार्यरत हैं। जब 2007 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस घोषित किया तो इससे इन्हें काफी प्रेरणा मिली। विश्व में गांधी विचार के बढ़ते प्रभाव के रूप में इस कदम को देखा गया। 1980 से इनका सर्वोदय से जुड़ाव रहा। गोकुल भाई भट्ट के संपर्क में आने के बाद इन्होंने भांग पीने जैसे दुर्गुण से मुक्ति पाई। वे सचिवालय राजस्थान में कार्यरत रहे। वहां से 2015 मे सेवा निवृत होने के पश्चात 2019 में विनोबा की 125 वीं जयंती के उपलक्ष में स्कूटर से जयपुर से पुणे सोमनाथ तथा पवनार तक यात्रा किया।
इसके पश्चात 2023 में बापू की 75वीं पुण्य-तिथि के अवसर पर जयपुर से पोरबंदर, साबरमती, सेवाग्राम, राजघाट की 4100 किलोमीटर की यात्रा की। 2023 में साउथ अफ्रीका भी गए। गोपाल शरण गांधी विचार के फैलाव के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं और इस उम्र में भी उनकी ऊर्जा अनुकरणीय है।
उपवासकर्ता सवाई सिंह और गोपाल शरण के अलावा उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज, वरिष्ठ गांधीवादी विद्याधर, लेखक एवं पत्रकार शक्ति कुमार, लोक समिति के प्रमुख नंदलाल मास्टर, सुरेंद्र नारायण सिंह, सिस्टर फ्लोरीन, चेखुर प्रसाद प्रजापति, छोटू लाल, महेन्द्र कुमार, सोमनाथ रोड़े, गोपाल भाई मोदानी, अनूप श्रमिक, जागृति राही, महेंद्र कुमार, अभय श्रीवास्तव, ललित नारायण, सतीश मराठा, ईश्वर चंद्र, विनोद जायसवाल आदि शामिल रहे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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