सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत एक मामले को खारिज कर दिया गया था
पुलिस थाने में विडियो रिकॉर्ड करने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम बात कही है। हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के मुताबिक पुलिस थाने को सरकारी गोपनियता अधिनियम के तहत परिभाषित निषिद्ध स्थान में शामिल नहीं किया गया है और इसलिए उसके अंदर वीडियो रिकार्ड करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता।
न्यायमूर्ति मनीष पिटाले और न्यायमूर्ति वाल्मीकि मेनेजेस की खंड पीठ ने मार्च’ 2018 में एक पुलिस थाने के अंदर वीडियो रिकार्ड करने को लेकर सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत रवींद्र उपाध्याय नामक एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले को इस वर्ष जुलाई माह में खारिज कर दिया था।
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..जब रवींद्र उपाध्याय पुलिस थाने में हो रही चर्चा की विडियो रिकॉर्डिंग अपने मोबाइल फोन से कर रहे थे
पीठ ने अपने आदेश में ओएसए की धारा 3 और धारा 2(8) का हवाला दिया, जो निषिद्ध स्थानों पर जासूसी करने से संबंधित है। पीठ ने इस बात का भी जिक्र किया कि पुलिस थाना इस अधनियम में विशेष रूप से उल्लेखित निषिद्ध स्थान नहीं है। शिकायत के अनुसार रवींद्र उपाध्याय अपने पड़ोसी के साथ हुए विवाद के सिलसिले में अपनी पत्नी के साथ वर्धा पुलिस थाने में थे। उपाध्याय ने पड़ोसी के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई। वहीं उपाध्याय के खिलाफ भी जवाबी शिकायत दर्ज कराई गई। उस वक्त पुलिस ने महसूस किया था कि उपाध्याय पुलिस थाने में हो रही चर्चा का अपने मोबाइल फोन से वीडियो रिकार्ड कर रहे हैं।
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‘लोकमत हिन्दी न्यूज़’ से साभार
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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