मंच ने डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान के निदेशक को सौंपा इस बाबत एक पत्र
“आदिवासी स्वशासन अधिकार मंच” का एक प्रतिनिधि मंडल आज 17 मई को डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान के निदेशक डॉ. रणेंद्र से मुलाकात कर एक पत्र सौंपा और पेसा नियमावली बनाने के लिए आदिवासी व्यवस्था के अन्य हितधारकों को भी इस प्रक्रिया में शामिल करने का प्रस्ताव रखा।
“झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001″ की संवैधानिकता को चुनौती
इस सम्बन्ध में मंच द्वारा बताया गया कि झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों में लागू कानून “झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001” की संवैधानिकता को हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाओं सं WP(PIL) 49/2021 और 1589/2021 के द्वारा चुनौती दी गई है और सरकार से यह पूछा गया है कि सरकार ने इस कानून की जगह पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम -1996 (संक्षेप में पेसा कानून) को क्यों लागू नहीं किया है?
पेसा पर अभी तक कोई पूर्ण नियमावली नहीं, सरकार ने स्वीकारा
सरकार ने कोर्ट में यह स्वीकार किया कि उन्होंने अभी तक 25 वर्षों के गुजरने के बावजूद पेसा पर कोई पूर्ण नियमावली नहीं बनाई है। और फिर कोर्ट के आदेश से सरकार ने एक अधूरी-सी नियमावली ड्राफ्ट कोर्ट में जमा की। कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा था कि इस ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में भी रखा जाय, ताकि आम आदिवासी जनता भी इसे पढ़कर अपने सुझाव और inputs दे सके। इस दौरान यह पता चला कि सरकार ने इस ड्राफ्ट को डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान को सुझाव हेतु अग्रसारित किया है।
इस संबंध में “आदिवासी स्वशासन अधिकार मंच” के एक प्रतिनिधि मंडल ने आज 17 मई को संस्थान के निदेशक से मुलाकात की और उनसे इस बाबत चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल द्वारा एक पत्र सौंपा गया और पेसा नियमावली बनाने के लिए आदिवासी व्यवस्था के अन्य stakeholders को भी इस प्रक्रिया में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया।
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राजभवन के सामने सत्याग्रह पर बैठे टाना भगत समूह से मुलाकात
इसके बाद प्रतिनिधि मंडल ने राजभवन के सामने सत्याग्रह पर बैठे टाना भगत समूह से मुलाकात की और एक साथ मिलकर इस आंदोलन को आगे ले जाने के विषय में चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल में एलिना होरो, सुषमा बिरूली, सीरत कच्छप, रामचंद्र उराँव, विनीत मुन्डू और रोशन एक्का शामिल थे।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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