रैली का आयोजन आदिवासियों के बीच धर्म के नाम पर सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश
राज्य के कई सामाजिक कार्यर्ताओं व जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने आज 23 दिसम्बर को झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक एवं रांची के उपायुक्त व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिख कर मांग की है कि डीलिस्टिंग की मांग पर रांची में 24 दिसम्बर को हो रही रैली पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
इस सम्बन्ध में कहा गया है कि ईसाई व इस्लाम धर्म को अपनाने वाले आदिवासियों को ‘अनुसूचित जनजाति’ की सूची से हटाने की मांग पर 24 दिसम्बर 2023 को जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा रांची में एक रैली का आयोजन किया जा रहा है। जनजाति सुरक्षा मंच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े वनवासी कल्याण आश्रम की पहल है।
पत्र के हस्ताक्षरियों का मानना है कि जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा ऐसे कार्यक्रमों का उद्देश्य स्पष्ट है – आदिवासियों को सरना-ईसाई के नाम पर आपस में लड़ाना, उनके ज़मीन को लूटना, आदिवासियों के स्वतंत्र अस्तित्व को खतम करना और देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना। डीलिस्टिंग की मांग तथ्यों से परे है। पत्र के हस्ताक्षरियों ने राज्य प्रशासन को याद दिलाया है कि संविधान की धारा 366 और 342 के मध्याम से ही किसी भी आदिवासी समूह को ‘अनुसूचित जनजाति’ माने जाने का स्पष्ट प्रावधान है एवं इन धाराओं में धर्म का कहीं कोई ज़िक्र नहीं है।
आरक्षित सीटों का आधा से ज़्यादा खाली
साथ ही झारखंड समेत पूरे देश के अधिकांश सरकारी उपक्रमों जैसे विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, नौकरशाही, विश्वविद्यालयों आदि में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों का आधा से ज़्यादा खाली हैं, लेकिन जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा सोशल मीडिया व अपने कार्यक्रमों में लगातार भ्रामक खबरों व फेक न्यूज़ के माध्यम से आदिवासी समाज में धर्म के नाम व आरक्षण संबन्धित तथ्यहीन बातों पर सांप्रदायिक विभाजन बनाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन उन्हें रोकने के लिए प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
यह आश्चर्य की बात है कि झारखंड प्रशासन द्वारा ऐसे सांप्रदायिक व असंवैधानिक मांग पर कार्यक्रम आयोजन करने की अनुमति दी गयी है। क्रिसमस के एक दिन पहले 24 दिसम्बर को जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा डीलिस्टिंग की मांग पर रैली का आयोजन करना आदिवासियों के बीच धर्म के नाम पर सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश है।
झारखंड के विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं व जन संगठनों ने राज्य प्रशासन से मांग किया है कि किसी भी परिस्थिति में अगर इस रैली में नफरती, सांप्रदायिक व भड़काऊ भाषण दिया जाता है, तो “ASHWINI KUMAR UPADHYAY versus UNION OF INDIA & ORS.” (Writ Petition (Civil) No. 943/2021) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार दोषियों व आयोजकों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 153A, 153B, 295A, 505(1) समेत अन्य संबन्धित धाराओं के अंतर्गत बिना शिकायत के suo motu प्राथमिकी दर्ज कर न्यायसंगत कार्यवाई की जानी चाहिए।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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