संशोधित दर को अनुचित बताने की कोई गुंजाइश नहीं
झारखंड राज्य में संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के अधिकांश श्रमिकों प्रतिनिधित्व करने वाले इंटक, बीएमएस, एटक, सीटू और एक्टू जैसे केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने महामहिम राज्यपाल के आदेश द्वारा अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी की संशोधित दर पर नियोक्ताओं के मजदूर विरोधी रवैये पर गहरा असंतोष जताया है ।
एक संयुक्त बयान जारी कर इन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बताया, ‘चूंकि श्रम विभाग ने न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के सभी प्रावधानों का पालन करते हुए न्यूनतम मजदूरी की संशोधित दरों को अधिसूचित किया है, इसलिए अब न्यूनतम मजदूरी परामर्शदातृ पर्षद के किसी भी घटक द्वारा नाराजगी जताने तथा संशोधित दर को अनुचित बताने की कोई गुंजाइश नहीं है।
संबंधित पक्षों से आपसी हित के लिए अधिसूचना का पालन करने का अनुरोध
इंटक के अध्यक्ष राकेश्वर पांडे ने ने बताया, ‘अप्रैल -2023 को परामर्शदातृ पर्षद के पुनर्गठन के बाद दो दौर की बैठकें हुईं, नियोक्ता और और नियोजित, दोनों पक्ष के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे और तदनुसार विभागीय सचिव सह पर्षद के अध्यक्ष को अग्रेतर कार्रवाई के लिए अधिकृत किया गया था। तदनुसार श्रम विभाग ने सार्वजनिक राय के लिए विभागीय पोर्टल में संशोधित दर का मसौदा 2 महीने के लिए रखा था। उसके उपरांत ही 14 मार्च को अधिसूचना जारी की गई थी । इस पृष्ठभूमि में उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से आपसी हित के लिए अधिसूचना का पालन करने का अनुरोध किया’।
अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 788 रुपये प्रति दिन करने की मांग की गई थी, लेकिन..
सीटू के महासचिव विश्वजीत देव ने बताया, ‘केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 20,500 रुपये प्रति माह यानी 788 रुपये प्रति दिन करने की मांग की गई थी. जबकि अकुशल श्रमिकों के लिए औसत संशोधित न्यूनतम वेतन मात्र 443 रुपये प्रति दिन किया गया है, फिर भी श्रमिकों और उद्योग के पारस्परिक हित को ध्यान में रखते हुए, तमाम केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने अधिसूचित संशोधित मजदूरी दर स्वीकार करते हुए यह उम्मीद करते हैं कि पूरे राज्य में इसे सख्ती से लागू किया जाएगा’।
एटक के महासचिव अशोक यादव ने बताया, ‘सारे वैधानिक प्रक्रिया व गजट में अधिसूचित करने के बाद निर्धारित न्यूनतम मजदूरी की दर को लेकर आपत्तियां दर्ज करना और निर्धारित दर बदलने के लिए दबाव पैदा करने का मुहिम अलोतांत्रिक ही नहीं विध्वंसक भी है’।
एक्टू के महासचिव शुभेंदु सेन ने बताया, ‘मजदूरी दर में प्रस्तावित बढ़ोतरी से वास्तव में मजदूरों का क्रय क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और उत्पादों की मांग बढ़ने के कारण अर्ततंत्र मजबूत होगा। संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ) के अनुशंसाओं, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश और सातवां वेतन आयोग द्वारा अपनाई गई वैज्ञानिक आधार पर निर्धारित संशोधित दर पर कायम रहने का पक्षधर है तथा जरूरत पड़ने पर मजदूर हित के खिलाफ किसी भी कार्रवाई पर राज्य भर में प्रतिवाद कार्यक्रम संगठित करने का निर्णय लिया है’। .
बीएमस के महासचिव राजीव रंजन सिंह ने बताया, ‘संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच का मानना है कि चेंबर ऑफ चेंबर का यह तर्क कि न्यूनतम मजदूरी में प्रस्तावित वृद्धि से उद्योग बंद हो जाएंगे, बेरोजगारी बढ़ेंगे आदि री तरह भ्रामक है और सिर्फ 5% वृद्धि करने का उनका प्रस्ताव मनोगत एवं निराधार है। उन्होंने यह भी कहा कि मजदूरी की संशोधित दर से राज्य से श्रम बल का पलायन भी कम हो जाएगा’।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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