मुख्य सचिव ने कार्यवाही का अश्ववासन दिया
झारखंड जनाधिकार महासभा प्रतिनिधिमंडल ने आज 8 फरवरी को मुख्य सचिव एल. खियांग्ते से मिलकर राज्य में सार्वजानिक स्थलों से धार्मिक झंडों को हटाने की मांग की. मुख्य सचिव ने कार्यवाही का अश्ववासन दिया।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव से कहा कि राज्य के विभिन्न शहरों, प्रखंडों, बस्तियों, गावों व कस्बों के सार्वजानिक स्थलों, रोड, बिजली पोल, मोबाइल टावर, सरकारी दफ्तरों, थाना, पुलिस व अर्धसैनिक बल कैंप आदि में धार्मिक झंडों, बैनर व प्रतीक को लगाने का प्रचलन बढ़ते जा रहा है. हाल में 22 जनवरी 2024 के धार्मिक कार्यक्रम के लिए पूरे राज्य में सार्वजानिक स्थलों पर धर्म विशेष झंडे लगाये गए जिसमें से अधिकांश आज तक नहीं उतारे गए हैं. यह अत्यंत दुख की बात है कि गणतंत्र दिवस को भी ये झंडे नहीं हटाए गए और सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगे से कहीं ज़्यादा संख्या में धार्मिक झंडे दिख रहे थे।
संवैधानिक मूल्यों से विपरीत सन्देश जाता है
यह अक्सर देखा गया है कि विभिन्न धर्मों के धार्मिक अनुष्ठान/ पर्व/कार्यक्रम के बाद कई दिनों तक सार्वजानिक स्थलों पर धर्म-विशेष झंडे व प्रतीक लगे रहते हैं. राजनैतिक पार्टियों के द्वारा कार्यक्रमों के आयोजन के बाद भी कई दिनों तक सार्वजनिक स्थलों पर राजनैतिक झंडे लगे रहते हैं। हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहाँ हर धर्म का समान सम्मान है और सभी को अपने धर्म मानने और मनाने की पूर्ण स्वतंत्रता है. यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि कोई भी धर्म हावी न हो जाए एवं सरकारी व्यावस्था व सार्वजानिक व्यवस्था में किसी भी विशेष धर्म का हस्तक्षेप न हो. सार्वजानिक स्थलों पर धर्म विशेष झंडे, बैनर, प्रतीक आदि लगे रहने से बराबरी, न्याय, बंधुत्व और धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक मूल्यों से विपरीत सन्देश जाता है.
प्रतिनिधिमंडल की मांग
महासभा ने समाज व राज्य में बराबरी, न्याय और धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिनिधिमंडल ने मांग की, कि तुरंत सार्वजानिक स्थलों से धार्मिक झंडों, बैनर, प्रतीक आदि को हटाया जाए व किसी भी धर्म के धार्मिक अनुष्ठान/पर्व/त्योहार/कार्यक्रम में सार्वजानिक स्थलों, रोड, बिजली पोल, सरकारी दफ्तरों, थाना, पुलिस व अर्धसैनिक बल कैंप आदि में लगाये गए धार्मिक झंडों व प्रतीकों को अनुष्ठान/पर्व/त्योहार/कार्यक्रम ख़तम होने के 48 घंटों के अन्दर हटाया जाना सुनिश्चित किया जाए. यही नीति राजनैतिक कार्यक्रमों व झंडों के लिए भी लागू की जाए।
Pravasi Bhalai Sangathan v. Union of India (AIR 2014 SC 1591) मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित ‘सांप्रदायिक सौहार्द मार्गदर्शिका’ को लागू किया जाए।
प्रतिनिधिमंडल में भरत भूषण चौधरी, एलिना हाेरो, ज्योति कुजूर, प्रभाकर बाग, टॉम कावला, सुनील कुमार उरांव और सिराज दत्ता थे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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