कंपनियां मजदूरों के साथ गुलामों की तरह बर्ताव कर रही है
रांची 28 जून 2024 : मजदूर अधिकारों को संरक्षित करने वाले सभी श्रम कानूनों का केन्द्र सरकार संशोधन कर रही है। श्रम कोड मजदूरों के बजाय कंपनियों के हितों को ज्यादा लागू कर रही है। आज मजदूर घोर असुरक्षा में बेगारी पर काम करने के लिए मजबूर हैं। कंपनियां मजदूरों के साथ गुलामों की तरह बर्ताव कर रही है। भवन निर्माण कर्मकारों के लिए बना कल्याण बोर्ड भी हाथी का दांत की तरह दिखावा साबित हो रहा है। मजदूरों के लाभ के बजाए काम्पनियों पर मेहरबान है।
उक्त बातें आज झारखंड निर्माण मजदूर यूनियन की डोरंडा में आयोजित राज्य कमिटी की बैठक को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव सचिव एस के शर्मा ने कही। उन्होंने आगे कहा कि केन्द्र हो राज्य सरकार की सरकारें मजदूरों के हितों के प्रति असंवेदनशील है। केन्द्र के इशारे पर राज्यों में श्रम कोड लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई है जिससे मजदूरों का जीवन और भी बदतर होगा। मजदूर विरोधी सरकार के खिलाफ़ अगस्त महीने में आन्दोलन तेज होगा।
गजट नोटिफिकेशन के बावजूद न्यूनतम मजदूरी में संशोधन असंवैधानिक है -शुभेंदु सेन
ऐक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन ने कहा कि गजट नोटिफिकेशन के बावजूद न्यूनतम मजदूरी में संशोधन असंवैधानिक है। आपत्ति करने की अवधि समाप्त होने के बावजूद सरकार द्वारा कंपनियों के इशारे पर बदलने की कोशिस मजदुर बिरोधी कदम है । 90 प्रकार के मजदूरों के लिए सर्व सहमति से न्युनतम मज़दूरी में राज्य सरकार बदलाव करेगी तो आन्दोलन तेज होगा।
झारखंड विधान सभा के चुनाव में मजदूर मूकदर्शक नहीं बनेंगे -भूवनेश्वर केवट
निर्माण मजदूर यूनियन के प्रदेश महासचिव भूवनेश्वर केवट ने कहा कि झारखंड विधान सभा के चुनाव में मजदूर मूकदर्शक नहीं बनेंगे। वर्षो के संघर्षों से मज़दूरो को मिली अधिकारों पर हमला करने वाली सरकार के खिलाफ़ निमार्ण मजदुर निर्णायक भूमिका अदा करेगे। श्रम कानून में संशोधन के खिलाफ़ लेबर कोड वापस लेने की मांग पर 20 जुलाई से 8 अगस्त तक पुरे राज्य में हस्ताक्षर आभियान चलाकर केन्द्र सरकार को सौंपा जाएगा।
बैठक में रांची, रामगढ़, चतरा, देवघर दुमका गुमला, बोकारो समेत कई जिलों के राज्य कमिटी सदस्यों ने भाग लिया।
बैठक में निर्माण मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सुभाष मण्डल, भूवनेश्वर बेदिया, अमल घोष, विजय गिरी, भीम साहू, अशोक महतो, शेख सहदूल, सरिता तिग्गा, श्यामलाल चौधरी, किशोर खंडित, दयाल चंद पंडित, एनामुल हक, इतवारी देवी, कार्तिक उरांव समेत कई मजदूर नेतागण शामिल हुए।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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