सामूहिक बलात्कार और हत्या की निर्भया घटना को आज 12 वर्ष हो गए
16 दिसंबर 2024 : अल्बर्ट एक्का चौक पर रांची की बुद्धिजीवी महिलाएं WAN,नारी शक्ति क्लब और अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की महिलाओं द्वारा मानव श्रृंखला बनाकर “निर्भया से अभया तक” आयोजित किया ,
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से लीना पादम , नंदिता भट्टाचार्य, सीसीलिया , शांति सेन, सिंघी खलखो ,एती तिर्की, गीता तिर्की, सुषमा गाड़ी, सपना गाड़ी, सुशील तिग्गा,आकांक्षा, रिया ,चांदो गाड़ी, मेदिनी कुजूर, बुधन कुजूर,सुमी उरांव, हीरा मिंज, मेवा लकड़ा, नीलिमा कच्छप,रेजिना ,कंचन उरांव, सुनीता कच्छप, सलोमी कच्छप , सुहासिनी महली, सहित कई महिलाएं शामिल हुई,
आज भारत में बलात्कारियों को संस्कारी बताया जाने लगा है
दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 में हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या की निर्भया घटना को आज 12 वर्ष हो गए। इस घटना के बाद पूरा देश महिला हिंसा के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन में लग गया ,पूरे देश में आंदोलन होने के बाद वर्मा कमीशन बना और वर्मा कमीशन की रिपोर्ट आई सरकार नई आई लेकिन नई सरकार आने के बावजूद भी इन 12 सालों में महिलाओं के ऊपर होने वाले हिंसा और बर्बरता में ना ही कोई कमी आई और न ही वर्मा कमीशन की नसीहतों को लागू किया गया, बल्कि हमारे देश की जो केंद्र की सरकार है उसने बलात्कारी की संस्कृति को संरक्षण देने में अपनी शक्तियों को लगाया. स्थिति यह हो गई है कि आज भारत में बलात्कारियों को संस्कारी बताया जाने लगा है ,
जंग जारी रहेगी पीड़िता को दोषी ठहराने के खिलाफ
बलात्कारी को फूल माला और मिठाई के साथ स्वागत किया जाने लगा है ,न्याय मांगती लड़कियों को सड़क पर घसीटा जाने लगा है ,उनको थानों पर घंटे पर घंटे बैठकर उनका रिपोर्ट तक नहीं दर्ज किया जाने लगा है ,हमारे देश के प्रधानमंत्री खुद बलात्कारियों के लिए चुनाव प्रचार करने लगे अब ऐसी स्थिति में हम महिलाओं के पास क्या उत्तरदायित्व बचता है प्रधानमंत्री जब किसी बलात्कारियों के समर्थन में उतरे तब हमें यह समझ लेना चाहिए कि भारत में महिला हिंसा और अत्याचार और बलात्कार की संस्कृति को हमारे समाज में बचाए रखने के लिए संरक्षण कहां से और कैसे मिल रहा है, लेकिन महिलाएं कब हार मानी हैं, इसीलिए यह जंग जारी है और यह जंग जारी रहेगी बलात्कारी संस्कृति के खिलाफ, यह जंग जारी रहेगी निर्भय से अभया तक और यह जंग जारी रहेगी पीड़िता को दोषी ठहराने के खिलाफ।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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