रांची 23 दिसंबर. भाकपा माले के राज्य सचिव मनोज भक्त ने ईसाई व इस्लाम धर्म को अपनाने वाले आदिवासियों को ‘अनुसूचित जनजाति’ की सूची से हटाने की मांग पर 24 दिसम्बर को जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा रांची में एक रैली के आयोजन को आदिवासियों में फूट डालने व सांप्रदायिक विभाजन की कोशिश बताया है। जनजाति सुरक्षा मंच देश के अन्य आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी ऐसी रैलियों का आयोजन 2024 की लोकसभा चुनाव को केन्द्रित कर किया जा रहा है।
आदिवासियों को सरना-ईसाई के नाम पर आपस में लड़ाना..
आरएसएस, जनजाति सुरक्षा मंच, भाजपा द्वारा आदिवासियों को सरना-ईसाई के नाम पर आपस में लड़ाने, उनके ज़मीन को लूटने, आदिवासियों के स्वतंत्र अस्तित्व को खत्म करने और देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने का कुप्रयास चल रहा है। आरएसएस प्रायोजित जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा डीलिस्टिंग की मांग तथ्यों-विहीन है एवं आदिवासियों के स्वतंत्र अस्तित्व को समाप्त करने की एक षडयंत्र है।
…जल, जंगल, ज़मीन को लूटना महज़ मिनटों का काम हो जाएगा
आदिवासियों के जल, जंगल, ज़मीन पर हमला – अगर कोई भी आदिवासी समूह को अनुसूचित जनजाति सूची से हटाया जाता है, तो उनके जल, जंगल, ज़मीन को लूटना महज़ मिनटों का काम हो जाएगा। जब रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपा सरकार सीएनटी-एसपीटी कानून को कमजोर करने की कोशिश की थी, तब पूरा आदिवासी समाज एक-साथ उसका विरोध किया था, जिसके कारण सरकार को पीछे हटना पड़ा था। अगर आदिवासियों की संख्या कम की जाती है (डीलिस्टिंग के माध्यम से), तो उनके जल, जंगल, ज़मीन को लूटना आसान हो जाएगा।
आदिवासियों से जंगल छीनने की तैयारी
आदिवासियों पर लगातार हो रहे अत्याचार – मोदी सरकार व विभिन्न भाजपा सरकारों के संरक्षण में आदिवासियों पर लगातार अत्याचार हो रहा है। मणिपुर में आदिवासियों पर राज्य समर्थित जनसंहार किया गया। मध्य प्रदेश में आदिवासी पर एक ब्राह्मण द्वारा पेशाब किया गया। वन संरक्षण कानून में संशोधन कर आदिवासियों से जंगल छीनने की तैयारी है। फर्जी मामलों में आदिवासियों को लगातार जेल भेजा जा रहा है। लेकिन इन सब पर जनजाति सुरक्षा मंच जैसे संगठन चुप्पी साधे रहते हैं।
भाकपा माले आदिवासियों व अन्य सभी झारखंड प्रेमी लोगों से जनजाति सुरक्षा मंच के 24 दिसम्बर की रैली एवं आने वाले दिनों में हर आदिवासी विरोधी कार्यक्रम का बहिष्कार करने की अपील की है।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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