लोकतंत्र बचाओ अभियान ने इन भाषणों व राज्य में नफ़रत फ़ैलाने की कोशिश की कड़ी निंदा की है
लोकतंत्र बचाओ अभियान (अबुआ झारखंड, अबुआ राज) द्वारा 22 जुलाई को एक प्रेस वक्तव्य जारी करते हुए कहा गया है कि 20 जुलाई 2024 को गृह मंत्री व भाजपा के प्रमुख नेता अमित शाह ने अपनी पार्टी के कार्यक्रम में आकर झारखंडी समाज में नफ़रत और साम्प्रदायिकता फ़ैलाने वाला भाषण दिया. गृह मंत्री ने कहा कि झारखंड में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठी आ रहे हैं, आदिवासी लड़कियों से शादी कर रहे हैं, ज़मीन हथिया रहे हैं, लव जिहाद, लैंड जिहाद कर रहे हैं.
इन मुद्दों पर जहर और नफरत फैला रहे हैं
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिश्व सरमा, जिन्हें आगामी झारखंड विधान सभा चुनाव के लिए जिम्मा दिया गया है, पिछले एक महीने से लगातार इन मुद्दों पर जहर और नफरत फैला रहे हैं। भाजपा के स्थानीय नेता भी इसी तरह के वक्तव्य रोज दे रह हैं। न ये बातें तथ्यों पर आधारित हैं और न ही झारखंड में अमन-चैन का वातावरण बनाये रखने के लिए सही हैं. दुख की बात है कि स्थानीय मीडिया बढ़ चढ़ कर इस मुहिम का हिस्सा बनी हुई है।
यह मुसलमानों के विरुद्ध साम्प्रदायिकता फैलाकर विधान सभा चुनाव के पहले धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश है. लोकतंत्र बचाओ अभियान ने इन भाषणों व राज्य में नफ़रत फ़ैलाने की कोशिश की कड़ी निंदा की है.
मुसलमानों के विरुद्ध नफ़रत फ़ैलाने की कोशिश
एक तरफ़ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA सरकार लगातार संसद में बयान दे रही है कि उनके पास बांग्लादेशी घुसपैठिये की संख्या सम्बंधित कोई आंकड़े नहीं हैं. वहीँ दूसरी ओर उनके नेता अपने मन मुताबिक कभी 12 लाख घुसपैठिये बोलते हैं, तो कभी 20 लाख. झारखंड में आदिवासियों की जनसंख्या के सवाल पर झूठी बातों को फैलाकर मुसलमानों के विरुद्ध नफ़रत फ़ैलाने की कोशिश हो रही है. तथ्य यह है कि आज़ादी के बाद झारखंड क्षेत्र में आदिवासियों का अनुपात कुल जनसंख्या में लगातार कम होता गया है, जिसका प्रमुख कारण आसपास के राज्यों से बड़ी संख्या में गैर-आदिवासियों का आकर बसना, बड़ी-बड़ी परियोजनाओं व कंपनियों के कारण हुआ व्यापक विस्थापन एवं स्थानीय रोज़गार व गरीबी के कारण आदिवासियों का पलायन करना रहा है.
तथ्य यह है कि 2001 की जनगणना में आदिवासियों का अनुपात 26.3% था और 2011 में 26.2% था. वहीं, मुसलमानों की जनसंख्या का अनुपात 2001 से 2011 के बीच लगभग 0.7% बढ़ा.
मज़ेदार बात है कि नरेन्द्र मोदी की NDA सरकार ने 2021 में होने वाली जनगणना को अभी तक नहीं करवाया है, जिसके कारण वर्तमान आंकड़े नहीं हैं. और भाजपा के नेताओं के पास हवाई आंकड़े देने का मौका मिला हुआ है. यह भी तथ्य है कि जनसंख्या में बढ़ोतरी आर्थिक स्थिति व शिक्षा पर निर्भर करती है और न कि धर्म पर. बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में हिन्दुओं की जनसंख्या तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना के मुसलमानों की जनसंख्या की तुलना में ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रही है.
मूल मुद्दों पर चर्चा न कर भाजपा इस समस्या को एक सांप्रदायिक जामा पहनाने में लगी है
इन साम्प्रदायिक चर्चाओं के बीच एक महत्त्वपूर्ण तथ्य छुप जाता है कि कुपोषण, स्वास्थ्य सेवाओं व आर्थिक गरीबी के कारण आदिवासियों का मृत्यु दर अन्य समुदायों से अधिक है एवं औसतन उम्र अन्यों से कम है. लेकिन मूल मुद्दों पर चर्चा न कर भाजपा इस समस्या को एक सांप्रदायिक जामा पहनाने में लगी है.
गृह मंत्री लव जिहाद जैसे शब्दों का प्रयोग कर साम्प्रदायिकता फैला रहे हैं
एक तरफ़ गृह मंत्री लव जिहाद जैसे शब्दों का प्रयोग कर साम्प्रदायिकता फैला रहे हैं, वहीँ दूसरी ओर उनकी सरकार ने संसद में जवाब दिया है कि कानून में लव जिहाद नामक कुछ नहीं है एवं केंद्रीय जांच एजेंसियों ने ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं किया है. यह गौर करने की बात है कि किसी भी धर्म या समुदाय के व्यक्ति को किसी भी अन्य धर्म या समुदाय के व्यक्ति से शादी करने का पूर्ण संवैधानिक अधिकार है.
CNT-SPT कानूनों का खुला उल्लंघन कर आदिवासियों के ज़मीन लूटने वाले अधिकांश भाजपा समर्थक !
गृह मंत्री और भाजपा नेता यह भी कहते हैं कि बांग्लादेशी घुसपैठी (मुसलमान) ‘लैंड जिहाद’ करके आदिवासियों की ज़मीन हथिया रहे हैं. तथ्य यह है कि कई दशकों से आसपास के राज्यों के गैर-आदिवासी झारखंड के आदिवासी ज़मीन पर, खास करके शहरों में, बसे हैं. CNT-SPT कानूनों का खुला उल्लंघन कर आदिवासियों के ज़मीन को लूटा गया है. यह भी तथ्य है कि इनका एक बड़ा तबका भाजपा का समर्थक है. अगर भाजपा को आदिवासियों की ज़मीन की चिंता है, तो सबसे पहले शहरों से इन सभी ज़मीनों को खाली करवाएं व आदिवासियों को वापिस करवाएं. यह भी सोचने का विषय है कि भाजपा के कई गैर-आदिवासी विधायक व सांसद झारखंड के नहीं हैं लेकिन यहां की ज़मीनों पर बसे हैं. उन्हें भी खाली करवाएं.
वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन कर जंगलों को लूटने की तैयारी
यह भी तथ्य है कि रघुवर दास सरकार के कार्यकाल में लैंड बैंक बनाकर आदिवासी-मूलवासियों का 22 लाख हेक्टेयर सामुदायिक ज़मीन को छीन लिया गया था. मोदी सरकार के कार्यकाल में बिना ग्राम सभा की सहमति के एक के बाद एक कोयला खदान की नीलामी कर आदिवासियों को विस्थापित करने की तैयारी की गयी. भाजपा सरकार ने तो भूमि अधिग्रहण कानून व CNT-SPT में संशोधन कर आदिवासियों की ज़मीन जबरन अधिग्रहण कर कंपनियों व पूंजीपतियों को देने के लिए आतुर थी. अब वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन कर जंगलों को लूटने की तैयारी है. अगर मोदी के NDA सरकार व भाजपा में हिम्मत है, तो ऐसे सभी आदिवासी-विरोधी परियोजनाओं व नीतियों को रद्द करके दिखाए.
अडानी पावरप्लांट परियोजना के लिए आदिवासियों की ज़मीन का जबरन अधिग्रहण
एक तरफ़ भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर मोदी व रघुवर दास सरकार ने अडानी पावरप्लांट परियोजना के लिए आदिवासियों की ज़मीन का जबरन अधिग्रहण किया . झारखंड को घाटा में रख के अडानी को फाएदा पहुँचाने के लिए राज्य की ऊर्जा नीति को बदला और संथाल परगना को अँधेरे में रखके बांग्लादेश को बिजली भेजा. झूठ बोलने से जनता के साथ किया गया धोखा छुप नहीं जाता है.
मोदी सरकार जाति जनगणना से भी भाग रही है
भाजपा का आदिवासी व झारखंड विरोधी चेहरा उजागर होता है कि भाजपा झारखंड सरकार द्वारा पारित सरना कोड, पिछड़ों के लिए 27% आरक्षण व खतियान आधारित स्थानीयता नीति पर न केवल चुप्पी साधी हुई है, बल्कि इन्हें रोकने की पूरी कोशिश करती रही है. मोदी सरकार जाति जनगणना से भी भाग रही है जिससे समुदायों व विभिन्न जातियों की वर्तमान स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
संविधान विरोधी सोच
अमित शाह, हिमंत बिस्वा सरमा समेत सभी भाजपा नेताओं के हाल के भाषण भाजपा व आरएसएस के संविधान विरोधी सोच को दर्शाती है. वे लगातार हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात करते हैं एवं उस ओर कार्यवाई कर रहे हैं, चाहे संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन कानून हो या मुसलमानों व अल्पसंख्यकों का लगातार लिंचिंग.
नफरती भाषणों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई हो
राज्य सरकार और गठबंधन की ओर से भाजपा के इन गतिविधियों का कमजोर प्रतिवाद हो रहा है। लोकतंत्र बचाओ अभियान ने राज्य सरकार से मांग की है कि उक्त मुद्दों पर प्रतिबद्धता दर्शायें. नफरती भाषणों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करें। अभियान राज्य की जनता से अपील करता है कि भाजपा के इन झूठे नफरती झांसे में न पड़ें और आदिवासियत व झारखंडी समाज के सामूहिक सोच को आगे बढ़ाएं.
लोकतंत्र बचाओ अभियान के ओर से
अफ़जल अनीस, अजय एक्का, अंबिका यादव, अमृता बोदरा, अंबिता किस्कू, अलोका कुजूर, अरविंद अंजुम, बासिंग हस्सा, भरत भूषण चौधरी, भाषण मानमी, बिनसाय मुंडा, चार्ल्स मुर्मू, दिनेश मुर्मू , एलिना होरो, एमिलिया हांसदा, हरि कुमार भगत, ज्याँ द्रेज, ज्योति कुजूर, कुमार चन्द्र मार्डी, किरण, लीना, लालमोहन सिंह खेरवार, मानसिंग मुंडा, मेरी निशा हंसदा, मंथन, मुन्नी देवी, नंदिता भट्टाचार्य, प्रवीर पीटर, प्रिया तूलिका पिंगुआ, पकू टुडु, रामचंद्र मांझी, राजा भारती, रमेश जेराई, रेशमी देवी, रोज़ खाखा, रोज मधु तिर्की, शशि कुमार, संदीप प्रधान, सिराज दत्ता, सुशील मरांडी, सेबेस्टियन मरांडी, संतोष पहाड़िया, टॉम कावला, विनोद कुमार.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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