वर्तमान परिवेश में महिलाओं के मानव अधिकार : चुनौतियाँ और अवसर
आदिवासी विमेंस नेटवर्क (AWN) द्वारा 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस का आयोजन 16 दिवसीय लैंगिक हिंसा प्रतिरोध पखवाड़ा का समापन सत्य भारती में किया गया।
इस कार्यक्रम का मुख्य विषय “वर्तमान परिवेश में महिलाओं के मानव अधिकार : चुनौतियाँ और अवसर” रहा । कार्यक्रम में राज्य के अनेक सामाजिक संगठन जैसे महिला एवं लैंगिक संसाधन केंद्र, लैंड राइट्स,रिसोर्स सेंटर,नारी शक्ति क्लब, जी. ई.एल. चर्च के महिला समिति, रोमन कैथोलिक चर्च के महिला समिति एवं अन्य सामजिक संगठन और राज्य के विभिन्न जिलों से प्रतिनिधि शामिल हुए।
वक्ता के रुप में वन्दना टेटे ने कहा कि सामाजिक कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने,उन्हें सशक्त और शिक्षित करने की ज़रूरत है, ताकि वे किसी भी हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठा पाए।
डॉ. रेणु दिवान जी ने कहा कि सारे विश्व विद्यालयों एवं अन्य कॉलेज में विमेंस सेल का गठन कर सेमिनार एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया , शिक्षकों और छात्रों दोनों के बीच लैंगिक समानता संबंधी चिंताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाया गया ,दूसरे लिंगों और खुद के प्रति लोगों के दृष्टिकोण और व्यवहार को बदलने की कोशिश की गयी। डॉ. किरण ने कहा कि विद्यालयों में भी बच्चियों को आत्मारक्षक के लिए तैयार किया जाना चाहिए एवं महिलाओं को चुप्पी तोड़ कर अपनी आवाज़ हिंसा के विरुद्ध बुलंद करनी चाहिए। माला विश्वास ने कहा कि महिलाएं धार्मिक स्तर पर पुजारी, पादरी , मौलवी नहीं बनती हैं लेकिन वह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या अन्य ऊँचे पद हासिल कर सकती हैं हर स्तर पर भेदभाव को ख़त्म करने की दिशा मे कार्य करने होंगे।
अनिमा बा ने कहा कि महिलाओं के ख़िलाफ़ सभी तरह के भेदभाव को खत्म करने पर कन्वेंशन / Convention on the Elimination of all forms of discrimination(CEDAW) जैसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून पर जागरूकता करना चाहिए।
चर्चा के मुख्य बिंदु जिन पर क्रियान्वयन की जरुरत है
– शैक्षणिक संस्थानों में जेंडर स्टडीज की शुरुआत की जाये
– महिला आयोग को सक्रिय किया जाए
– महिलाओं के लिए – टोल फ्री नंबर साझा किया जाए और निष्क्रिय नंबर को सक्रिय किया जाय
– हर जिलों में महिला शेल्टर होम होना चाहिए
– हर महिला थाना में काउंसलर की व्यवस्था हो
– Convention on the Elimination of all forms of discrimination(CEDAW) जो कि महिलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने की संविदा है जिसे भारत सरकारने भी अनुसमर्थन किया है उसे सख्ती से लागू करें.
इस कार्यक्रम में झारखण्ड में मानव अधिकार उल्लंघन की स्थिति पर संक्षिप्त वार्षिक जानकारी भी दी गयी।
अंत में वर्तमान में धार्मिक/ सामुदायिकता में भेदभाव/नफरत को दूर करने का प्रयास के लिए सभी प्रण लेते हुए आगे बढ़े ताकि सब मेल,प्रेम,शांति,न्याय से एक दूसरे के साथ समाज में रह सके।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से एलिना होरो, सुषमा बिरुली, ज्योति, मारग्रेट मिंज, शीला लकड़ा, हिरा मिंज, रोज़ मधु तिर्की, सोमय माडी, जागरण मुर्मू, बिनीत, बेला जराई, हेलेन, लिली , चैन सिंह सामले, सिधु सिंह सलूजा, आकांशा बिहान, रिया पिंगुआ, मनोज एवं अन्य लोग शामिल हुए।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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