वहां गांधी-विचार और समविचारी साहित्य की किताबों का प्रकाशन होता रहा है
रामगढ़ (झारखण्ड) के गांधी चौक स्थित गांधी प्रतिमा के पास 19 दिसम्बर, गुरुवार को ‘लोकतान्त्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान’ द्वारा वाराणसी के राजघाट में स्थापित गांधी-विचार और साहित्य के मुख्य प्रकाशन केन्द्र – ‘सर्व सेवा संघ’ के परिसर पर सरकार के जबरिया कब्ज़े, और इमारतों को बुलडोज़र से ढहा देने के ख़िलाफ़ जारी बनारस-सत्याग्रह से एकजुटता का संकल्प लिया गया।
वाराणसी के राजघाट के इलाके में मौजूद 60 साल से ज़्यादा पुराने ‘सर्व सेवा संघ’ के ‘साधना-केन्द्र परिसर’ पर 22 जुलाई 2023 को रेलवे ने स्थानीय पुलिस बल की मदद से जबरन कब्ज़ा किया था; और स्वतन्त्रता-दिवस के ठीक 3 दिन पहले 12 अगस्त को यहाँ मौजूद करीब दो दर्जन इमारतों को बुलडोज़र के ज़रिए ढहा दिया था। राजघाट, वाराणसी का यह केन्द्र देश में ‘सर्व सेवा संघ’ का मुख्य प्रकाशन-केन्द्र था, जहाँ से गांधी-विचार और समविचारी साहित्य की किताबों का प्रकाशन होता रहा है, और देशभर में भेजा जाता रहा है।
इस अवैधानिक सरकारी कब्ज़े के ख़िलाफ़ जारी शान्तिमय प्रतिरोध के तहत वाराणसी (उ.प्र.) में विनोबा-जयन्ती -11 सितम्बर से जारी सौ-दिनी सत्याग्रह के सौवें दिन सत्याग्रहियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए रामगढ़ के गांधी चौक पर जमा होने का निर्णय लिया गया था।
मौजूदा केन्द्र सरकार अपने अहंकार में संविधान और संवैधानिक मूल्यों की पूरी उपेक्षा कर रही है
इस मौके पर वरिष्ठ समाजकर्मी बसन्त हेतमसरिया ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली मौजूदा केन्द्र सरकार अपने अहंकार में संविधान और संवैधानिक मूल्यों की पूरी उपेक्षा कर रही है। इसका प्रतिरोध करनेवाले संख्या में कितने भी कम हों, वह लोकतन्त्र को मज़बूत बनाएगा। ‘सर्वधर्म समन्वय परिषद’ के संयोजक बलराम सिंह ने कहा कि जिस तरह पुष्यमित्र शुंग के समय में बौद्ध विहारों को ध्वस्त करने का अभियान चला, उसी तरह मौजूदा सरकार गांधी-विचार और उससे सम्बन्धित संस्थाओं को ध्वस्त करने में जुटी है।
कितना भी तीखा हमला हो, कोई सार्थक विचार खत्म नहीं किया जा सकता
डॉ. बी.एन. ओहदार ने ज़ोर देकर कहा कि कितना भी तीखा हमला हो, कोई सार्थक विचार खत्म नहीं किया जा सकता। सुशील स्वतन्त्र ने कहा कि लोकतान्त्रिक और मानवीय मूल्यों के पक्ष में किसी भी आवाज़ को दबाना नामुमकिन है। पन्नालाल राम और राजू विश्वकर्मा ने मौजूदा दौर के जनविरोधी सरकारी कदमों की आलोचना करते हुए सार्थक जनप्रतिरोध को मज़बूत बनाने पर बल दिया। शुरुआत में अशोक विश्वराय ने वाराणसी के सर्व सेवा संघ के मुख्य प्रकाशन केन्द्र पर सरकार के अवैधानिक कब्ज़े, और उसके ख़िलाफ़ जारी प्रतिरोध की जानकारी दी। इस मौके पर गांधी-विचार पर जारी हमले के ख़िलाफ़ चल रहे जनप्रतिरोध के साथ एकजुटता का संकल्प लिया गया।
शहीदों को याद करते हुए उन्हें भावांजलि भी दी गई
इस मौके पर काकोरी के शहीद क्रान्तिकारियों रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ान, रोशन सिंह और राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी की शहादत को याद करते हुए उन्हें भावांजलि भी दी गई ! रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ान, रोशन सिंह को 19 दिसम्बर 1927 को फाँसी दी गई थी, जबकि राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी को दो दिन पहले ही फाँसी दे दी गई थी !
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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