“न्याय के दीप जलाएं-100 दिनी सत्याग्रह”
गांधी विरासत को बचाने के लिए सत्याग्रह का आज 46 वां दिन है। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष जुलाई में वाराणसी एवं रेलवे प्रशासन ने मिलकर सर्व सेवा संघ परिसर एवं यहां स्थित प्रकाशन को अतिक्रमण बताकर बुलडोज कर दिया था। वास्तविकता यह है कि सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 व 1970 में यह जमीन उत्तर रेलवे से खरीदी थी, जिससे संबंधित सभी वैध कागजात सर्व सेवा संघ के पास हैं।
महेश अजनबी ने “बेसुरी सी बांसुरी” नाम का काव्य संग्रहित किया है
इस विरासत को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर “न्याय के दीप जलाएं” नाम से 100 दिवसीय राष्ट्रीय सत्याग्रह सर्व सेवा संघ, राजघाट परिसर के किनारे सड़क पर चल रहा है। इस सत्याग्रह में पूरे देश के सर्वोदय सेवक,सामाजिक कार्यकर्ता व नागरिकगण शामिल हो रहे हैं। सत्याग्रह में शामिल होने सभी राज्यों के लोक सेवक एवं सर्वोदय मित्रों को अवसर मिले, इस हेतु तारीख नियत की गई है। मध्य प्रदेश को 21 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक सत्याग्रह संचालन की जिम्मेदारी मिली है। इस जिम्मेदारी के छटें दिन यानी सत्याग्रह के 46 वें दिन शहडोल निवासी महेश अजनबी उपवास पर हैं।
वे गांधी विचार की अनेक संस्थाओं से जुड़कर समाज में शांति, सद्भाव, मैत्री व समन्वय के कार्य में लगे हैं। व्यक्तित्व से वे साहित्य व कला प्रेमी हैं और गजल गायन में विशेष ख्याति रखते हुए “बेसुरी सी बांसुरी” नाम का काव्य संग्रहित किया है।
सरकार ने अपनी कॉर्पोरेटपरस्ट नीतियों के चलते…
वे मानते हैं कि सरकार ने अपनी कॉर्पोरेटपरस्ट नीतियों के चलते लोकनायक जयप्रकाश नारायण की क्रांतिकारी और आचार्य विनोबा भावे की आध्यात्मिक विचारधारा के महत्वपूर्ण केंद्र को ढहा दिया है। इस केंद्र का समाज में आध्यात्मिकता और सामाजिक क्रांति का संवाद स्थापित करने में अप्रतिम स्थान था। वे मानते हैं कि यह सत्याग्रह इस महत्वपूर्ण केंद्र से अपनी आत्मा के जुड़ाव को, अपने मन की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए किया जा रहा है। भले ही इससे सरकार पर तत्काल प्रभाव न पड़े, लेकिन समाज में गांधी विरासत को बचाने के सबसे बड़े अहिंसक आंदोलन के रूप में दीर्घकाल तक याद किया जाता रहेगा। वे कहते हैं कि बापू की विरासत को बचाने आज मुझे सत्याग्रही बनने का मौका मिला, यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है।
30 अक्टूबर 2024 को इस सत्याग्रह का मध्यांतर होगा
सत्याग्रह स्थल से यह कहा गया है कि 30 अक्टूबर 2024 को इस सत्याग्रह का मध्यांतर होगा अर्थात सत्याग्रह अपने 50 वें दिन में प्रवेश करेगा। उस दिन सत्याग्रही सादगीपूर्ण तरीके से अपने उन पुरखों को याद करेंगे, जिन्होंने इस केंद्र की और इंसानियत के सफर को समृद्ध करने में अपना विशिष्ट योगदान दिया है।
आज के सत्याग्रह में उपवासकर्ता महेश अजनबी के अलावा अलख भाई, शक्ति कुमार, अरविंद कुशवाह, महेश चौधरी, ध्रुव भाई, तरुण सिंह सिकरवार, जागृति राही, अंकित मिश्रा, संजय सिंह, अवनीश, तारकेश्वर सिंह, नंदलाल मास्टर, अनूप आचार्य, अनूप सिंह, अरविंद कुमार पुर्वे आदि शामिल हुए।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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