मूसलाधार बारिश होती रही, न जेपी रुके और न श्रोता हिले, स्तब्ध सा होकर सुनते रहे
“न्याय के दीप जलाएं- 100 दिनी सत्याग्रह” आज 34 वें दिन में प्रवेश कर गया। आज छात्र -युवा संघर्ष वाहिनी के पूर्व साथी, जिला सर्वोदय मंडल के प्रतिनिधि एवं जमशेदपुर, झारखंड के निवासी ओमप्रकाश उपवास पर बैठे हैं। 74 आंदोलन के दौरान जमशेदपुर के रीगल मैदान में आयोजित जयप्रकाश नारायण की सभा में शिरकत से ओमप्रकाश का जीवन की दिशा बदल गई। उस सभा के दौरान मूसलाधार बारिश होती रही, न जेपी रुके और न श्रोता हिले, स्तब्ध सा होकर सुनते रहे। यह फिजा बन गई थी उस दौर की। भला कौन हृदय वाला इंसान इससे अछूता रहता।
आंदोलन से तो मानसिक रूप से जुड़ ही गए। आपातकाल के बाद वाहिनी से जुड़े ओमप्रकाश
आंदोलन से तो मानसिक रूप से जुड़ ही गए। आपातकाल के बाद वाहिनी से जुड़े। बोधगया के भूमि मुक्ति आंदोलन जब 1978 में शुरू हुआ तो वहां भी शामिल हुए। एक बार शामिल हुए तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।वहीं रम गए, वहीं जम गए। लगभग 9 बरस वहीं बिताया।अपने शुरुआती दिनों में गांवों में भूमिहीनों को संगठित करते रहे।आंदोलन के क्रम में सैंकड़ों साथियों पर दर्जनों मुकदमे हो गए थे।अब इसे सम्हालने की जरूरत लगी तो ओमप्रकाश इसमें लग गए। ए एन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान और पटना विश्व विद्यालय के एक शोध अध्ययन में शोधार्थी के रूप में काम किया। डंकल प्रस्ताव और गेट एग्रीमेंट के खिलाफ बने आजादी बचाओ आंदोलन और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भी समर्पित कार्यकर्ता की भूमिका रही।
नवभारत जागृति केंद्र के मार्फत रचनात्मक कार्य भी किया। चारों तरफ के माहौल से प्रभावित होकर एक संस्था का निर्माण किया, पर स्वभाव से मेल न खाने के चलते उसे छोड़ दिया।
आरएसएस और भाजपा की विचारधारा ही ऐसे कुकर्मों का स्रोत है -ओमप्रकाश
ओमप्रकाश का व्यक्तित्व विनम्र और सलीकेदार है, पर स्वभाव है आंदोलन प्रवण। इसलिए राजघाट सत्याग्रह की खबर सुनी तो शामिल होने चले आए। सर्व सेवा संघ परिसर की घटना के बारे में पूछने पर बताते हैं कि आरएसएस और भाजपा की विचारधारा ही ऐसे कुकर्मों का स्रोत है। यह वैचारिक अंतर को, मतभेद को दुश्मनी की हद तक ले जाकर निपटाते हैं। विध्वंस और विभाजन इनकी इनकी विचारधारा के मौलिक तत्व हैं।संविधान,कानून,कोर्ट किसी चीज को ये नहीं मानते। ये अपने लक्ष्य के लिए कुछ भी करने- व्यक्ति से लेकर कानून की हत्या को हमेशा तैयार रहते हैं।
आज के सत्याग्रह में ओमप्रकाश के अलावा अनूप आचार्य,ललित नारायण मौर्य,विजय राकेश,जयेश पांडे,तारकेश्वर सिंह,महेंद्र कुमार,जोखन यादव,विजय राकेश,कमलेश सिंह,राकेश कुमार, सोम स्वामी,सूरज माते,सुशील कु सिंह,सुरेंद्र नारायण सिंह,सुरेश,शक्ति कुमार,नंदलाल मास्टर,रामधीरज,विद्याधरआदि शामिल रहे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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