आज सत्याग्रह के 86 वें दिन उपवास पर ‘छत्तीसगढ़ सर्वोदय मंडल’ के अध्यक्ष दीनदयाल चौधरी तथा ‘एक कदम गांधी की ओर’ के सत्यप्रकाश भारत बैठे हैं।
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के निवासी 79 वर्षीय दीनदयाल चौधरी 2008 में शिक्षक पद से अवकाश प्राप्त किया। इनकी पत्नी तुलसी देवी चौधरी भी शिक्षक रही हैं और तीनों बच्चे व्याख्याता के रूप में कार्यरत हैं। कबीर,गांधी, विनोबा जयप्रकाश नारायण के विचारों से प्रेरित दीनदयाल रिटायरमेंट के पश्चात सर्वोदय से जुड़ गए। पहले सर्वोदय मित्र बने और फिर चार साल बाद लोकसेवक बने।इनके गांव में 230 लोकसेवक हैं।दीनदयाल चौधरी की निष्ठा और समर्पण को देखते हुए उन्हें अगस्त 2024 में प्रदेश सर्वोदय मंडल का अध्यक्ष चुना गया।
सरकार दमनकारी नीति छोड़े – दीनदयाल चौधरी
उपवास पर बैठे छत्तीसगढ़ सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष दीनदयाल चौधरी ने कहा कि सरकार को दमनकारी रवैया और नीति छोड़ देना चाहिए। गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण के विचार मनुष्य जाति के उपकार के लिए है। ये तीनों कभी सत्ता में नहीं गए और उनके अनुयाई भी सत्तामुखी नहीं है। विचारों का प्रचार करना और समाज का नवनिर्माण गांधी के संस्थानों का मुख्य उद्देश्य है। ये अंतिम व्यक्ति के विकास के लिए समर्पित हैं। गांधी संस्थाओं को नष्ट करने का मतलब है भारत को नष्ट करना। सरकार को चाहिए कि सर्व सेवा संघ के परिसर को ससम्मान वापस करें।
भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं – सत्यप्रकाश भारत
शरीर का नाम सत्य प्रकाश भारत, उम्र 65 साल। जब उनसे कहा गया कि आप अपना व्यक्तिगत परिचय दें तो उन्होंने कहा – भारत का रहने वाला हूं,भारत की बात सुनाता हूं। दिसंबर 1984 से 25 वर्ष की उम्र में मन में उठने वाले सवालों से बेचैन रहने लगे।यह भी महसूस हुआ कि चारदीवारी के अंदर इन सवालों के जवाब शायद ही मिले, इसलिए घर के दायरे से आगे बढ़ गए।एक सवाल था कि हम पढ़ते क्यों है पढ़कर क्या बनना चाहते हैं? इस सवाल को लेकर अनेक विद्वानों के पस गये। आज इनकी समझ बनी है की पढ़ लिख कर आदमी गुलाम बन रहा है या फिर कॉर्पोरेट का दलाल, इंसान तो नहीं बन पा रहा है। क्योंकि इंसान बनता है मूल्यों को जीने से। सत साहित्य इंसान बनने में सहायता करता है।
वे सर्व सेवा संघ प्रकाशन विभाग में पहले भी सत साहित्य की खोज में आये थे,इन्हें यहां से गांधी, विनोबा, टालस्टाय और जे कृष्णमूर्ति का साहित्य मिला, विचार मिले, इसके लिए वे इस स्थान का कृतज्ञ हैं।
वे बताते हैं- “कई वर्षों के बाद अब मुझे पता लगा कि उस स्थान को सरकार ने उजाड़ दिया है, नष्ट कर दिया है तो मुझे बड़ा अफसोस हुआ। सोचा कि यह कैसे हो सकता है? सरकार में बैठा व्यक्ति ऐसा कैसे कर सकते है? यहां से तो गांधी, विनोबा, जयप्रकाश, टॉलस्टय, जे कृष्णामूर्ति के विचार पूरे देश में फैल रहे थे। उसको सत्ता में बैठे लोग उजाड़ सकते हैं, यह मेरी कल्पना से एकदम बाहर था।”
सत्यप्रकाश भारत कहते हैं, “जाने -अनजाने सरकार में बैठे लोगों से गलती हुई है और उनको उसकी तरफ ध्यान दिलाना समाज के जागरूक लोगों का काम है, मैं भी अपने आप को एक जागरुक व्यक्ति मानता हूं। इसलिए इस सत्याग्रह में भाग लेने आया और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि जो गलती हुई है उसे सुधारे। सत्ता इंसानियत को बढ़ाने के लिए, एक दूसरे की खुशहाली के लिए है, तथा खुशहाली आएगी सद्व विचारों से। इसलिए *जहां भी सद्विचार का काम हो रहा है सत्ता में बैठे लोगों की जिम्मेवारी है कि उसमें सहयोग करें, न कि उसे उजाड़ें।”
सत्याग्रह” जारी है जो 19 दिसंबर को संपन्न होगा
गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 86 वां दिन है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका- संविधान को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर “न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह” जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा। सत्याग्रह आज सर्व धर्म प्रार्थना एवं गीता पाठ के साथ अपने 86 वें पायदान पर पहुंच गया है।
आज सत्याग्रह में उपवासकर्ता
आज सत्याग्रह में उपवासकर्ता दीनदयाल चौधरी और सत्य प्रकाश भारत के अलावा उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज, वरिष्ठ गांधीवादी विद्याधर,लोक समिति के प्रमुख नंदलाल मास्टर, गांधीवादी एक्टिविस्ट जागृति राही, सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद अंजुम, सुरेंद्र नारायण सिंह, समाज सेविका सिस्टर फ्लोरीन,आईकैन के महेंद्र, महिला चेतना समिति की पूनम, प्रकाशन संयोजक अशोक भारत,खादी संयोजक अशोक शरण, ,तारकेश्वर सिंह, वरिष्ठ गांधीवादी कार्यकर्ता सुरेश भाई, जोखन सिंह यादव,शक्ति कुमार,जितेंद्र, केरल सर्वोदय मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष टी के एस अजीज और सुरेश बाबू, छत्तीसगढ़ से नंदकुमार, युवराज कुमार, ईश्वर प्रसाद देशमुख,पन्नालाल कैलाशी,देवीप्रसाद साहु,जगतूराम पटेल आदि शामिल रहे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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