दक्षिण पोटका की आम जनता स्वयं को ठगा सा महसूस कर रही है
प्रस्तावित कोवाली प्रखंड को घोषित कराने को लेकर विधानसभा चुनाव में हर राजनैतिक दलों के द्वारा वादा किया जाता है, मगर चुनाव के बाद सब खोकला साबित हो रहा है। वर्तमान विधायक संजीव सरदार ने वृहत पोटका प्रखंड को विभाजित कर प्रस्तावित कोवाली प्रखंड सृजन करने की महत्वपूर्ण मांग विधानसभा में रखी, मगर वह भी धाराशाही हो गई।
पोटका क्षेत्र के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता उज्जवल कुमार मंडल उक्त बातें कहीं। आगे उन्होंने बताया कि जब बाबूलाल मरांडी व अर्जुन मुंडा झारखंड के मुख्यमंत्री थे तब भी वृहत पोटका प्रखंड को विभाजित कर प्रस्तावित कोवाली प्रखंड सृजन करने कि मांग पर जोर दिया गया था। उस समय भी तत्कालीन सरकार व तत्कालीन विधायक मेनका सरदार के द्वारा आम जनता की मांग को धाराशाही कर दिया गया। फलस्वरूप दक्षिण पोटका की आम जनता स्वयं को ठगा सा महसूस कर रही है।
कोवाली नाम से नए प्रखंड सृजन करने की मांग पर 13 जुलाई 1983 को की गई थी
श्री मंडल ने आगे बताया कि 34 पंचायत वाले वृहत पोटका प्रखंड को विभाजित कर कोवाली नाम से नए प्रखंड सृजन करने की मांग पर 13 जुलाई 1983 को दक्षिण पोटका के जनसाधारण की एक विशाल आमसभा नारदा पंचायत के तत्कालीन मुखिया स्वर्गीय गदाधर सीट की अध्यक्षता में बुकमडी पर संपन्न हुई थी।
संबंधित पंचायत के मुखिया एवं आम जनता की उपस्थिति पर जनसभा में सर्वसम्मति से हल्दीपोखर-हरिणा मुख्य सड़क के किनारे स्थित बुकमडी पड़ती जमीन पर जिसका थाना नंबर -1537, खाता नंबर- 283 ,प्लॉट नंबर -483, रखवा- 7 एकड़ 55 डिसमिल जमीन पर पोटका प्रखंड को विभाजित कर कोवाली प्रखंड सृजन करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित करते हुए संबंधित पंचायत के मुखियाओं एवं आम जनता का हस्ताक्षरित आवेदन तत्कालीन विधायक सनातन सरदार द्वारा अग्रसारित करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री बिहार सरकार ,राज्यपाल बिहार सरकार ,उपयुक्त सिंहभूम चाईबासा ,जिला विकास पदाधिकारी चाईबासा एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी पोटका को दिया गया था ।
कोवाली नाम से नए प्रखंड सृजन प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है- निधि खरे तत्कालीन उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम
तत्कालीन उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम पत्रांक- 153 दिनांक 195 1995 को तत्कालीन अंचल अधिकारी पोटका ने 11 एकड़ 93 डेसिमल सरकारी जमीन का सत्यापन पत्र भूमि सुधार उपसमाहर्ता धालभूम को समर्पित किया। प्रस्तावित कोवाली प्रखंड बनाने संबंधित रिपोर्ट के प्रति निधि खरे पूर्वी सिंहभूम के तत्कालीन उपायुक्त ने संतुष्ट होकर कार्यालय के पत्रांक -496 दिनांक 17 अगस्त 2000 को अभिभाजित बिहार झारखंड के संयुक्त सचिव ग्रामीण विकास विभाग बिहार सरकार पटना के पास अपनी अनुशंसा दर्ज कराते हुए लिखी-
मेरी अनुशंसा है कि दक्षिण पोटका उन्नयन समिति पूर्वी सिंहभूम के प्रस्ताव पर उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर वृहद पोटका प्रखंड को विभाजित कर कोवाली नाम से नए प्रखंड के सृजन प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।
25 दिसंबर 2001 को इसी मांग लेकर हाता चौक जाम भी किया गया था
वर्तमान इस प्रस्तावित कोवाली प्रखंड के अंतर्गत कोवाली ,नारदा , हरिणा, जानमडीह, जामदा, हेंसल आमदा, तेंतलापोड़ा , टांगराईन , चाकड़ी ,हेंशढ़ा, रसूनचोपा ,गांगड़ीह, पोढ़ाडिया ,हल्दीपोखर पूर्वी, हल्दी पोखर पश्चिम पंचायत हैं। प्रस्तावित कोवाली प्रखंड अति पिछड़ा, अनुन्नत, अशिक्षित आदिवासी बहुल एवं पांचवी अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 25 दिसंबर 2001 को मांग पर जोर पकड़ते हुए हाता चौक जाम भी किया गया था, जो प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं थाना प्रभारी के आश्वासन के बाद हटाया गया।
40 वर्षों के आंदोलन के बाद ही आज तक कोवाली प्रखंड का सृजन नहीं हो पाया
तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के निजी सचिव राजकुमार द्वारा ज्ञापन संख्या -510596 दिनांक 5 जुलाई 2006 में ग्रामीण विकास विभाग झारखंड सरकार को तथ्यों के आधार पर कार्रवाई करने का आग्रह भी किया गया था। झारखंड बनने के बाद कई नई प्रखंडों का सृजन हुआ, मगर पोटका के विधायकों के उदासीन रवैये के कारण 40 वर्षों के आंदोलन के बाद ही आज तक कोवाली प्रखंड का सृजन नहीं हो पाया। सभी दस्तावेजों से प्रतीत होता है कि प्रस्तावित कोवाली नाम से नया प्रखंड सृजन करने का मामला वर्तमान ग्रामीण विकास विभाग झारखंड सरकार में फंसा है ,जरूर थी फाइल को उजागर करने की । मगर आज तक यह काम न बीजेपी सरकार से संभव हो पाया न ही (झारखंड मुक्ति मोर्चा) यूपीए के सरकार में।
हर चुनाव में पार्टी एवं प्रत्याशी इसे चुनावी मुद्दा बनाते हैं, लेकिन कार्य नहीं किया जाता। जनता सवाल करती है- ऐसा क्यों?????
उज्जवल कुमार मंडल (लेखक)
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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