34 पंचायतों वाली वृहद पोटका प्रखंड को विभाजित करने की मांग पर 13 जुलाई 1983 को दक्षिण पोटका जनसाधारण की एक विशाल आमसभा नारदा पंचायत के तत्कालीन मुखिया स्व: गदाधर सिट की अध्यक्षता में बुकमडीह पर हुई थी। संबंधित पंचायत के मुखिया एवं आम जनता की उपस्थिति पर जनसभा में सर्वसम्मति से हल्दीपोखर – हरिना सड़क किनारे स्थित बुकमडीह पड़ती जमीन, जिसका थाना नंबर- 1537 ,खाता नंबर -283 प्लॉट नंबर- 483 ,रखवा -7 .55 एकड़ जमीन पर नया कोवाली प्रखंड सृजन करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित करते हुए संबंधित पंचायतों के मुखियाओं व आम जनता का हस्ताक्षरित एवं तत्कालीन विधायक स्वर्गीय सनातन सरदार द्वारा अग्रसारित आवेदन तत्कालीन मुख्यमंत्री बिहार सरकार ,तत्कालीन राज्यपाल बिहार सरकार, उपयुक्त सिंहभूम चाईबासा ,जिला विकास पदाधिकारी चाईबासा एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी पोटका को दिया गया था ।
कोवाली नाम से नए प्रखंड के सृजन प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है-पूर्वी सिंहभूम के तत्कालीन उपायुक्त
पत्रांक 153/19 -5-1995 को तत्कालीन अंचल अधिकारी, पोटका ने 11.93 एकड़ सरकारी जमीन का सत्यापन पत्र भूमि सुधार उप समाहर्ता, धालभूम को समर्पित किया । प्रस्तावित कोवाली प्रखंड बनाने संबंधित रिपोर्ट के प्रति पूर्वी सिंहभूम के तत्कालीन उपायुक्त ने संतुष्ट होकर कार्यालय के पत्रांक- 496 दिनांक 17 अगस्त 2000 को अविभाजित बिहार झारखंड के संयुक्त सचिव ग्रामीण विकास विभाग बिहार सरकार, पटना के पास अपनी अनुशंसा दर्ज करते हुए लिखा है ‘मेरी अनुशंसा है कि दक्षिण पोटका उन्नयन समिति, पूर्वी सिंहभूम के प्रस्ताव पर उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर प्रखंड को विभाजित कर कोवाली नाम से नए प्रखंड के सृजन प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है. वर्तमान इसके अंतर्गत कोवाली ,नारदा, हरिणा, जानमडीह, जामदा, हेंसल आमदा, तेंतला पोड़ा , टांगराईन चाकड़ी ,हेंसरा ,रसुनचोपा, गंगाड़ीह, पोड़ाडीहा, हल्दीपोखर पूर्वी, हल्दीपोखर पश्चिम पंचायत हैं।’
प्रस्तावित कोवाली प्रखंड अति- पिछड़ा, अनुन्नत, और अशिक्षित आदिवासी बहुल एवं पांचवी अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 25 दिसंबर 2001 को इस मांग को लेकर हाता चौक भी जाम किया गया था, जो कि प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं थाना प्रभारी के लिखित आश्वासन के बाद जाम हटाया गया। मुख्यमंत्री के निजी सचिव राजकुमार द्वारा ज्ञापन 5101596 दिनांक 5 जुलाई 2006 में ग्रामीण विकास विभाग झारखंड सरकार को तथ्यों के आधार पर कार्रवाई करने का आग्रह भी किया था।
प्रखंड कोवाली 40 वर्षों के आंदोलन के बाद भी नहीं बन पाया
एक समय था, जब पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने इस पर जी-जान लगा दी थी । झारखंड के गढ़वा जिले में वहां के जन- प्रतिनिधि अपना पावर का इस्तेमाल करते हुए सिर्फ तीन पंचायत का एक प्रखंड डंडा बना दिया, साथ ही साथ कई नये प्रखंड बनाए गए, जबकि 34 पंचायतों को विभाजित कर 15 पंचायतों की एक प्रस्तावित प्रखंड कोवाली 40 वर्षों के आंदोलन के बाद भी नहीं बन पाया।
सभी दस्तावेजों से प्रतीत होता है कि प्रस्तावित कोवाली नाम से नया प्रखंड सृजन करने का मामला वर्तमान ग्रामीण विकास विभाग झारखंड सरकार में फंसा है जनप्रतिनिधियों को चाहिए ग्रामीण विकास विभाग में दबी फाइल को फिर से उजागर करने की मगर यह नहीं हो पा रहा है हर चुनाव में प्रत्याशियों के द्वारा इस मांग को चुनावी मुद्दा रखा जाता है मगर इस पर कार्य नहीं किया जाता जो अत्यंत दुख की बात है।
उज्जवल कुमार मंडल
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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