पति के जाने के तत्काल बाद भरी सभा में विधवा का श्रृंगार उतार लिया जाता है
अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस के उपलक्ष्य में आगामी 23-24 जून को रांची के नामकुम स्थित बगाईचा में संकल्प सभा का आयोजन किया जा रहा है. इसके संयुक्त आयोजन कर्ता नारी सशक्ति संगठन, झारखण्ड और सिंगल वूमन एसोसिएशन फॉर राईज (स्वर) हैं, लगातार कई वर्षों से महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं.
कार्यक्रम के आयोजन को लेकर उक्त दोनों संगठनों द्वारा एक अपील जारी की गई है, जिसके माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस के इतिहास और महत्व को रेखांकित करते हुए तमाम महिला संगठनों, अन्य जनवादी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को उक्त संकल्प सभा में आमंत्रित किया है.
लगभग 12 लाख विधवा महिलाएं झारखण्ड प्रदेश में हैं
बतायागया है कि भारत में लगभग 4 करोड़ से अधिक विधवा महिलाएं हैं, जिनमें लगभग 12 लाख विधवा महिलाएं झारखण्ड प्रदेश में हैं. उन्हें आज भी समाज में सम्मान और वाजिब हक़ नहीं मिल पाया है. जीवन-साथी की मृत्यु के उपरांत उनकी संपत्ति हड़प ली जाती है.
पति के मरने के तत्काल बाद विधवा का श्रृंगार उतार लिया जाता है
पति के मरने के तत्काल बाद अमानवीय तरीक़े से भरी सभा में विधवा का श्रृंगार उतार लिया जाता है, जबकि विवाह के समय पति द्वारा केवल सिंदूर और मंगल सूत्र ही प्राप्त होते हैं. अन्य सभी श्रृंगार की चीज़ें, जैसे-बिंदी, चूड़ी, पायल, कान की बाली, मेहंदी, नेल पॉलिश आदि का उपयोग तो वे शादी से पहले से करती हैं. श्रृंगार की वस्तुओं में से कौन-सा छोड़ना है और कौन-सा अपनाना है, यह महिला को स्वयं तय करने का अधिकार होना चाहिए.
समाज द्वारा श्राद्ध भोज करने के लिए दबाव
इसके अलावे पति की मृत्यु के पश्चात् परिवार और समाज द्वारा श्राद्ध भोज करने के लिए दबाव डाला जाता है. नतीजतन माली हालत ख़राब रहने के बावजूद बची-खुची संपत्ति बेचकर या बंधक देकर भी इसके लिए उसे विवश होना पड़ता है. यह विधवा महिला के साथ सरासर अन्याय है.
नारी सशक्ति संगठन, झारखण्ड की लीलावती देवी और स्वर की प्रीति गुड़िया ने कहा कि 23-24 जून को आयोजित की जा रही संकल्प सभा विधवा महिलाओं को न्याय दिलाने के सतत प्रयास की दिशा में एक सकारात्मक पहल है.
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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