मुंबई हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में सुनवाई करते हुए फैसला दिया है, जिसमें एक पति ने अपनी मिर्गी से पीड़ित पत्नी के साथ तलाक की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इस आवेदन को खारिज किया है।
इस मामले में पति ने यह दावा किया कि उनकी पत्नी मिर्गी से पीड़ित है और उसका व्यवहार असामान्य हो गया है। उन्होंने तलाक की मांग की थी और इसे हिंदू मैरिज एक्ट के तहत आधार बताया था।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पति के दावों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मिर्गी ऐसी बीमारी नहीं है जो ठीक नहीं हो सकती, और न ही यह मेंटल डिसॉर्डर या साइकेपैथिक डिसॉर्डर है। इसके बावजूद, कोर्ट ने इसे तलाक के आधार के रूप में मानने से इनकार किया।
कोर्ट ने इस मामले में विद्यमान मेडिकल सबूत को भी महत्वपूर्ण माना और कहा कि इससे पति-पत्नी के साथ रहने में कोई बाधा नहीं होती है। कोर्ट को यह भी पता चला कि पत्नी के इलाज करने वाली न्यूरोलॉजिस्ट के मुताबिक, उसकी स्थिति ठीक हो सकती है और वह सामान्य जीवन जी सकती हैं।
इस तरह के मामलों में, कोर्ट द्वारा दी गई फैसले के पीछे दिए गए कानूनी और मेडिकल तर्कों को ध्यान में रखकर तलाक की मांग को खारिज कर दिया गया है।
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