बहुमत की तानाशाही का शिकार बन रहा देश का लोकतंत्र
जन आंदोलन लोकतंत्र की प्राणवायु
रीवा 13 फरवरी। विभिन्न सामाजिक एवं राजनैतिक संगठनों की ओर से कहा गया है कि देश में कुछ सालों से अघोषित आपातकाल का परिदृश्य बना हुआ है।अहिंसक जन आंदोलनों को सरकारी दमन का शिकार होना पड़ रहा है। एक बार फिर देश की राजधानी को सीलबंद किया जा रहा है। देश के अंदर शीतयुद्ध जैसे हालात बना दिए गए हैं। एक तरफ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री किसान नेता स्वर्गीय चरण सिंह एवं हरित क्रांति के प्रख्यात वैज्ञानिक स्वर्गीय एम एस स्वामीनाथन को मोदी सरकार के द्वारा लोकसभा चुनाव का लाभ उठाने भारत रत्न से नवाजा गया है , वहीं दूसरी ओर किसानों की आवाज को कुचला जा रहा है। किसान सत्याग्रहियों पर दमनचक्र चलाते हुए उनके ऊपर अश्रु गैस के गोले फेंके जा रहे हैं । इसे लेकर विभिन्न जन संगठनों ने मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।
समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे , लोकतंत्र सेनानी बृहस्पति सिंह , रामेश्वर सोनी, रामायण पटेल , समाजवादी जन मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष माहेश्वरी त्रिपाठी , लोकहित समिति के प्रमुख अवधेश कुमार , जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह , लोहिया विचार मंच के नेता अभय वर्मा, इंद्रमणि सिंह एडवोकेट , कामरेड अरविंद त्रिपाठी , नारी चेतना मंच की नेत्री मीरा पटेल , नजमुननिशा , गीता महंत, नेहा त्रिपाठी, डॉ आशीष दुबे , अनिल सिन्हा, गांधी विचार मंच के संयोजक रामेश्वर गुप्ता , उद्धव द्विवेदी, श्रवण प्रसाद नामदेव , सतीश कुशवाहा एडवोकेट , युवा किसान नेता परिवर्तन पटेल आदि ने कहा है कि देश का संसदीय लोकतंत्र बहुमत की तानाशाही का शिकार बन गया है।
लोकतंत्र का वजूद खतरे में…
संवैधानिक संस्थाओं के अधिकारों में मनमानी कटौती के चलते लोकतंत्र का वजूद खतरे में है। चुनाव आयोग , सीबीआई, ईडी, रिजर्व बैंक , सूचना आयोग पर मोदी सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है। न्यायपालिका पर दबाव किसी से छिपा नहीं है। मनमाने तरीके से विपक्षी दलों के सांसदों की सदस्यता छीनी जा रही है। विरोध के स्वरों को दबाने के लिए सांसदों का निष्कासन अत्यंत आपत्तिजनक बात है। जन आंदोलन लोकतंत्र की प्राण वायु है , लेकिन इसे दण्डनीय अपराध बना दिया गया है। देश की राजधानी के आसपास के क्षेत्र में अहिंसक किसान आंदोलन को दबाने के लिए मोदी सरकार के द्वारा युद्ध जैसी मोर्चे बंदी किया जाना अंत्यंत आपत्तिजनक एवं लोकतंत्र विरोधी है।
पूरे देश में धारा 151 का दुरुपयोग
आंदोलनकारी किसानों की बढ़ती संख्या रोकने के लिए पूरे देश में धारा 151 का दुरुपयोग करते हुए मनमानी तरीके से जगह-जगह गिरफ्तारी करके जेल भेजा जा रहा है। यहां तक सामान्य बैठकों को भी गैर कानूनी ठहराया जा रहा है। संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया है कि अहिंसक आंदोलन को इस तरह से दबाया जाना देश के लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। यह देश की जनता के साथ क्रूर मजाक है। यह नागरिक आजादी पर खुल्लम-खुल्ला हमला है। चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों की सीमाओं तक सड़कें बना दी गई है। सरकार को वहां खतरा नजर नहीं आ रहा है लेकिन राजधानी दिल्ली में निहत्थे किसानों से मोदी सरकार इस कदर डरी हुई है कि पूरी सीमा को सील बंद किया जा रहा है।
संसद से लेकर सड़कों पर विरोध के स्वरों को दबाया जा रहा है
किसानों पर चारों तरफ कीलें गाड़ने , दीवार खड़ा करने और गड्ढे खोदकर सड़क संपर्क काटने का काम किया जा रहा है। लोकतंत्र में सरकार का विरोध केवल संसद में ही नहीं , सड़कों पर भी होता है, लेकिन संसद से लेकर सड़कों पर विरोध के स्वरों को दबाया जा रहा है। देश के संवैधानिक स्वरूप को विकृत बनाया जा रहा है। देश की एकता अखंडता के लिए समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष संवैधानिक स्वरूप बेहद जरूरी है जिसे खत्म करने का षड्यंत्र हो रहा है। संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि अन्नदाता किसान की आवाज को दबाया जाना देश को कमजोर बनाने और गुलामी की ओर ले जाने की गहरी साज़िश है ,जिसका देशव्यापी प्रतिकार होना बेहद जरूरी है।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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