लोकतंत्र की रक्षा करें, फासीवाद का खंडन करें
कॉर्पोरेट-आरएसएस-बीजेपी के खिलाफ एकजुट हों
भूमि अधिकार आंदोलन द्वारा देश हर जागरूक नागरिक से कॉरपोरेट और साम्प्रदायिक गठजोड़ की विनाशकारी, विभाजनकारी और सत्तावादी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर उठ खड़े होने की अपील की है। कहा गया है देश का भविष्य श्रमिकों, किसानों और आम लोगों के अधिकारों की हिमायत करने वाली नीतियों पर निर्भर है, न कि इन विभाजनकारी नीतियों के स्थान पर।
त्वरित क्रियान्वयन के लिए संगठन द्वारा सरकार के समक्ष कुछ मांगें रखी गई हैं।
भूमि अधिकार आंदोलन की मांगें
वनाधिकार अधिनियम की कमजोरियों को रोकते हुए वन अधिकार अधिनियम 2006 को सख्ती से लागू करें।
वन अधिकार अधिनियम 2006 और LARR अधिनियम 2013 को सख्ती से लागू करें।
जैव विविधता और वन संरक्षण अधिनियम में किये गए संशोधनों को रद्द करें।
“इंडियन फॉरेस्ट एक्ट, 1927” जैसे प्राचीन व निर्दयी कानून को समाप्त करें।
सभी फसलों के लिए MSP@C2+50% की गारंटी सुनिश्चित करें।
सभी श्रमिकों के लिए ₹26,000 मासिक न्यूनतम मजदूरी को सुनिश्चित करते हुए सुनियोजित करें।
छोटे और मध्यम किसान परिवारों के लिए व्यापक ऋण माफी प्रदान करें और किसान समृद्धि योजना को पूर्ण रूप से प्रभाव में लायें।
भारत में लागू 4 श्रम कोड यानि संहिताओं को निरस्त करें।
रोजगार गारंटी को मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार करें।
रेलवे, रक्षा, और बिजली सहित सभी सार्वजनिक क्षेत्रों की निजीकरण पर तुरंत रोक लगायें।
सरकारी नौकरियों में अनुबन्धित नौकरियों को समाप्त करें।
मनरेगा योजना (MGNREGS) को मजबूत करें: रोजगार के लिए 200 दिन और ₹600/- दैनिक मजदूरी की गारंटी दें।
पुराने पेंशन योजना को पुनः स्थापित करें और लागू करें।
कहा गया है, “हम सभी को श्रमिक विरोधी, किसान विरोधी, और जन विरोधी वर्तमान सरकार , जो कि आज विधिक ढाँचे के पीछे छिपी है, सामूहिकता का प्रदर्शन करते हुए उखाड़ फेंकने की ज़रूरत है। हमें फासीवाद और कॉर्पोरेट समर्थक आरएसएस-भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन सरकार के खिलाफ एकजुटता से उठ खड़ा होना होगा।” अतः 16 फरवरी 2024 को, भूमि अधिकार आंदोलन सभी जन समर्थक इकाइयों और व्यक्तियों से राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के लिए आह्वान करता है। यह दिन हमारी सामूहिक प्रतिरोध को भूमि लूट और प्रतिगामी नीतियों के खिलाफ हमारा संकेत और जन सन्देश होगा।
प्रदर्शन का मुख्य संदेश
वन शोषण: वन संसाधनों के शोषण और आदिवासी समुदायों के विस्थापन की निंदा करें। नीति संशोधन: वन संरक्षण अधिनियम 1980 में 2023 में किये गए संशोधनों को नकारात्मक रूप से बहिस्कार करें जो वन अधिकार अधिनियम 2006 और वन समुदायों को खतरे में डालते हैं। एकता: वनों में निवास करने वाले समुदायों, किसानों, श्रमिकों के साथ मिलकर न्याय और स्वराज की लड़ाई में मजबूती से खड़े रहें। सदस्यों और समर्थकों से अपने संबंधित क्षेत्रों पर संगठित होकर सुरक्षा निर्देशों और कानूनी मार्गदर्शिकाओं का पालन करते हुए, शांतिपूर्ण प्रदर्शन, रैलियां, और सार्वजनिक सभाओं का आयोजन करने की अपील की गई है।
भूमि अधिकार आंदोलन की ओर से हन्नान मोल्लाह , प्रेम सिंह घेलावत ,सत्यवन, अशोक चौधरी , रोमा , विजू कृष्णन , कृष्ण प्रसाद , संजीव कुमार उल्का महाजन, मेधा पाटकर, और डॉ. सुनीलम।
गांधी को समझना हो, तो एक बार आइए सेवाग्रम की बापू कुटी में।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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