स्वतः संज्ञान लैटिन भाषा के Suo motu का हिंदी रूपांतरण है. इसका मतलब किसी सरकारी एजेंसी, कोर्ट या प्राधिकरण की ओर से की गई उस कार्रवाई से है, जो वह खुद के विवेक से करता है. अदालतें कानूनी मामलों में स्वतः संज्ञान लेती हैं.
वह ऐसा तब करती हैं जब उनको मीडिया या किसी तीसरे पक्ष से सूचना प्राप्त होती है कि जनता के अधिकारों का हनन हुआ हैं. भारतीय संविधान अपने अनुच्छेद 32 के तहत लोगों को यह अधिकार देता है कि वह ऐसे मामलों में देश के उच्च अदालतों और सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दाखिल करें.
इस तरह अदालतों को एक तरह का यह विशेष अधिकार मिल जाता है कि वे अपने विवेक से किसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती हैं. यहां स्वतः संज्ञान भारतीय न्यायपालिका की सक्रियता को दर्शाता है.
सुप्रीम कोर्ट लेता है स्वतः संज्ञान
भारत में आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट किसी मामले मे स्वतः संज्ञान लेता है. निश्चित तौर पर पिछले कुछ दशक से भारतीय न्यायपालिका ने देश में लोकतंत्र को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है. जानकारों का कहना है कि स्वतः संज्ञान लेने की व्यवस्था के पीछे तर्क यह है कि देश के हर एक नागरिक को न्याय मिले. भले ही वह व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया के खर्चे को वहन करने में सक्षम हो या नहीं.
देश में स्वतः संज्ञान का इतिहास
संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत शीर्ष अदालतें किसी मामले में स्वतः संज्ञान लेती हैं. अभी तक के इतिहास में भारतीय न्यायपालिका में तमाम मामलों में स्वतः संज्ञान लिया है और उसमें ऐतिहासिल फैसले भी सुनाए हैं. आमतौर पर ये मामले जनहित के होते हैं. इसके जरिए ये संदेश देने की कोशिश की जाती रही है कि समाज में अगर कुछ गलत हो रहा है तो उस पर स्वतः संज्ञान लेकर अदालतें उसे ठीक करती हैं.
1990 के दशक में दिल्ली में वायु प्रदूषण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था और इस मामले में चली लंबी सुनवाई के बाद दिल्ली में डीजल से चलने वाली बसों की जगह सीएनजी को अपनाया गया था. इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड प्रोनोग्राफी पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार को नोटिस जारी किया था. उसने देश में चाइल्ड प्रोनोग्राफी को बंद कराने के केंद्र सरकार को वैश्विक टेक कंपनियों से बातचीत कर समाधान निकालने का आदेश भी दिया था. कोरोना महामारी के दौरान पहले लॉकडाउन के वक्त प्रवासी मजदूरों के पयालन के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था.
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