लंबे कानूनी व जमीनी संघर्ष के बाद 22 जून 2024 को झारखंड उच्च न्यायालय ने किया इंसाफ़
लातेहार ज़िला क्षेत्र के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत कुकू ग्राम के एक आदिवासी मजलूम अनिल सिंह को आखिरकार इंसाफ़ मिला. उसे इंसाफ़ दिलाने में झारखण्ड जनाधिकार महासभा ने जो प्रयास किया, वह आखिरकार रंग लाया.
ज्ञात हो कि 23 फ़रवरी 2022 को गारू थाना प्रभारी व अन्य दो पुलिस द्वारा थाने में आदिवासी अनिल सिंह की बेरहमी से पिटाई की गई थी और तीन दिनों तक गैरकानूनी तरीके से थाने में रखा गया। नक्सलियों को मदद करने के फर्जी आरोप के नाम पर उनके साथ अमानवीय शरीर और मानसिक हिंसा की गई। लंबे कानूनी व जमीनी संघर्ष के बाद 22 जून 2024 को झारखंड उच्च न्यायालय ने अनिल सिंह को पांच लाख रु का मुआवजा का आदेश दिया है एवं दोषी पुलिस कर्मी से यह राशि वसूल करने का आदेश दिया है।
महासभा ने उच्च न्यायालय के फैसले का किया स्वागत
झारखंड जनाधिकार महासभा ने इस मामले में विस्तृत तथ्यान्वेषण किया था और पाये गए तथ्यों को सरकार व मीडिया के सामने प्रस्तुत किया था। इस मामले में महासभा लगातार न्याय के लिए संघर्षरत रही है. महासभा ने उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत एवं अनिल सिंह समेत इस मामले में सहयोग कर रहे सभी ग्रामीणों व सामाजिक कार्यकर्ताओं के संघर्ष व स्थानीय और उच्च न्यायालय में मामले को देख रहे वकीलों की प्रतिबद्धता को सलाम किया है। साथ ही कहा गया है कि यह न्याय आंशिक है।
पुलिस ने अनिल सिंह के साथ किया था अमानवीय बर्ताव -एलिना होरो
महासभा की एलिना होरो ने बताया कि अनिल सिंह की न केवल बेरहमी से पिटाई हुई थी, बल्कि पिटाई के बाद थाना प्रभारी ने अनिल के पैखाने के रास्ते पेट्रोल डाल दिया था. अगले दिन पुलिस ने उससे ज़बरदस्ती उसकी खून से लतपथ पैंट और अंडरवियर खोलवा के रख ली. 24 फ़रवरी को उन्हें पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रस्तुत भी किया गया था, लेकिन मामला सार्वजानिक होने के बाद अधीक्षक ने मामले की जानकारी से साफ़ इनकार कर दिया था.
घटना के कई महीनों बाद स्थानीय कोर्ट में कंप्लेंट केस दर्ज करने के बाद थाना प्रभारी व अन्य दोषी पुलिस के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज हो पाई थी। लेकिन पुलिस द्वारा सक्रिय रूप से जांच कर कार्रवाई न करने के कारण अनिल सिंह ने झारखंड उच्च न्यायालय में मामला दर्ज किया था।
महासभा द्वारा इस मामले को उठाने के बाद मुख्यमंत्री ने हिंसा का संज्ञान लिया था
गौर करें कि झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा इस मामले को उठाने के बाद मुख्यमंत्री ने हिंसा का संज्ञान लिया था और झारखंड पुलिस को कार्यवाई का आदेश दिया था। लेकिन इसके बावजूद पुलिस लगातार दोषियों को बचाने की कोशिश करती रही है. अभी तक पुलिस द्वारा दोषियों के विरुद्ध पर्याप्त कार्यवायी नही की गई है। इस मामले ने फिर से दर्शाया है कि किस प्रकार आदिवासी राज्य दमन का शिकार होते हैं एवं उनके परिवार को न्याय मिलना कितना कठिन होता है। दोषी पुलिस व सुरक्षा बल के विरुद्ध महज़ एक प्राथमिकी दर्ज करवाना एक लंबा संघर्ष है।
महासभा ने मांग है कि तुरंत दोषी पुलिस पदाधिकारियों को बर्खास्त किया जाए, उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाए और अनिल सिंह को 5 लाख रु के बजाय 10 लाख रु का मुआवजा दिया जाए।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!