
झारखंड उच्च न्यायालय मंगलवार को 26 वर्षीय उस महिला के बचाव में आगे आई जिसके रिश्तेदार उसकी शादी कथित तौर पर उससे दोगुनी उम्र के किसी व्यक्ति से कराना चाहते हैं। महिला के रिश्तेदार अन्य धर्म के एक पुरुष के साथ उसके संबंधों के कथित रूप से खिलाफ हैं। न्यायमूर्ति एस के द्विवेदी ने रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को मामले में हस्तक्षेप करने और यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि रांची जिले की रहने वाली मुस्लिम महिला को किसी भी तरह से मजबूर न किया जाए।
जबरन कराना चाहते हैं विवाह
महिला ने एक आपराधिक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उसके मां-बाप एवं रिश्तेदार उसका विवाह 52 वर्षीय व्यक्ति से जबरन कराना चाहते हैं क्योंकि वह एक हिंदू युवक से प्रेम करती है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रार्थी की पूरी बात सुनकर उचित कार्रवाई करें।
जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा है कि वह अपनी बड़ी बहन और जीजा के साथ गोंडा थाना क्षेत्र में एक जगह पर रहती है। उसके परिवार के सदस्य एक अलग धर्म के व्यक्ति के साथ उसके संबंधों का विरोध कर रहे हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि शादी का अधिकार भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत एक मौलिक अधिकार है और यह व्यक्ति की गरिमा का अभिन्न अंग है, लेकिन कुछ युवाओं को अपने ही परिवार के बुजुर्गों से धमकियां मिलती हैं।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि इस तरह की शादियों से जाति और समुदाय का तनाव कम होगा और यह आगे का रास्ता है। न्यायमूर्ति द्विवेदी ने याचिकाकर्ता को बुधवार को रांची के एसएसपी से संपर्क करने का निर्देश दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रार्थी की पूरी बात सुनकर संबंधित पुलिस स्टेशन में उसका बयान दर्ज करवाएं और यह सुनिश्चित करें कि महिला की गरिमा की रक्षा की जाए।

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