अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले 84 मौजा 116 गांव के विस्थापित आज आदित्यपुर के सुवर्णरेखा भवन कार्यालय में किया हुड़का जाम
अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले आज 1 जुलाई को 84 मौजा 116 गांव के विस्थापित आज आदित्यपुर के सुवर्णरेखा भवन कार्यालय में हुड़का जाम किया गया. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में विस्थापित शामिल हुए. अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले 84 मौजा के 116 गांव के विस्थापित पुराना कार्यालय अधीक्षण अभियंता कार्यालय परिसर, चांडिल में 16 दिन से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं। विगत 129 दिन से गोविंदपुर खीरी निवासी मनोहर महतो आदित्यपुर स्थित सुवर्णरेखा भवन पुनर्वास कार्यालय के सामने अनशन पर बैठे हैं । विभाग न कोई वार्ता कर रहा है और न ही मांगों पर कोई सुनवाई हो रही है, इसलिए सभी विस्थापितों ने आर-पार की लड़ाई की पूरी तैयारी करके बैठे हैं।
5 जुलाई को धरना स्थल से चांडिल बांध तक विस्थापित महारैली
चरणबद्ध तरीके से लड़ाई चल रही है. आज आंदोलन का दूसरे चरण के दूसरे अध्याय में आदित्यपुर कार्यालय का गेट जाम तथा तालाबंदी का कार्यक्रम है। आंदोलन का तीसरा चरण 5 जुलाई को ईचागढ़ विधायक सविता महतो, जल संसाधन विभाग व हेमंत सोरेन का पुतला दहन के साथ धरना स्थल से चांडिल बांध तक विस्थापित महारैली का कार्यक्रम रखा गया है। 26 जून को चांडिल बांध पुनर्वास ऑफिस गेट जाम के दौरान ऑफिस परिसर में शराब व बीयर की बोतलें तथा गांजा का पेड़ मिलने के बाद विस्थापित आक्रोशित हैं. दूसरे चरण में इसके खिलाफ होगा ज़ोरदार आन्दोलन.
घर-बार सब चांडिल बांध में डूब गए और हम सब बेघर हो गए-अनूप
चांडिल बांध के दयापुर गांव के विस्थापित अनूप महतो ने कहा, “विभिन्न चरणों में 40 साल से हमारे पूर्वज से लेकर वर्तमान पीढ़ी अपने मौलिक अधिकारों की मांगों को लेकर आंदोलनरत है, चांडिल बांध के विस्थापित अपनी मांगों को लेकर हमारे कई पूर्वज शहीद हुए एवं प्रशासन के द्वारा आंदोलन स्थल पर गोली चलाई गई, किंतु अभी तक सरकार ने न कोई संज्ञान लिया है और न ही हम विस्थापितों को अभी तक इंसाफ मिल पाया है. वहीं हमारे जमीन, घर-बार सब चांडिल बांध में डूब गए और हम सब बेघर हो गए. कारपोरेट घराने व पूंजीपति फल-फूल रहे हैं.”
आगे कहा, “आज चांडिल बांध में टाटा घराना जैसे उद्योगपतियों का करोड़ों में पैसा बकाया है और सरकार मौन है. सरकार के द्वारा जो नियमवली बनाई गई है, उसी की मांग विस्थापित कर रहे हैं, किंतु सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है. इसकी हम विस्थापित घोर निंदा करते हैं, आने वाले समय में हमारा आंदोलन और तेज होगा और हम अपना अधिकार अंत तक लेकर रहेंगे।”
राकेश महतो ने कहा, “अबकी बार लड़ाई आर-पार की है, सरकार अगर हमारी बात नहीं मानती, तो हम डैम का पानी खोल कर अपना जमीन वापस लेंगे एवं उस जमीन में अपना जीवन यापन करेंगे।
माँगे
1. चाण्डिल डैम के पूर्ण एवं आंशिक रूप से 116 विस्थापित गाँवो का भूर्जन वर्ष 2001 तक सम्पन्न किया जा चुका है, परन्तु अभी तक पूर्ण नियोजन प्राप्त नही हुआ है, अत: विकासपुस्तिका में अंकितनुसार प्रत्येक विस्थापित परिवार को सरकारी नौकरी दिया जाए। अथवा उच्चतम न्यायालय द्वारा 8 फरवरी 2017 को मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर परियोजना के प्रत्येक विस्थापित परिवार के लिए 60 लाख रूपये मुआवजा देने आदेश के तर्ज पर चाण्डिल डैम विस्थापितों को 1 करोड़ मुआवजा दिया जाए।
पूनर्वास के लिए 25 डिसमिल भूखंड दिया जाना था, पर…
2. 1990 के पूर्नवास नीति के अनुसार सभी विस्थापितों को पूनर्वास के लिए 25 डिसमिल भूखंड दिया जाना था, पर पुनरीक्षित पुनर्वास नीति 2012 के प्रावधानों (कंडिका-5.1 (क) के मुताबिक, अब 12.5 डिसमिल दिया जाना है। जिसे पुन: 25 डिसमिल किया जाए। 3. सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना चांडिल डैम विस्थापितों को पुनरीक्षित पुनर्वास नीति 2012 को आधार मानकर दिशा निर्देश पालन किया जाता है। अत: 2012 वर्ष को आधार मानकर भूअर्जन अधिनियम की धारा-4 के अंतर्गत विकास पुस्तिका में अंकित सदस्यों का उम्र 2012 तक 18 वर्ष पूर्ण होने वाले सभी सदस्यों का नाम विकास पुस्तिका निर्गत किया जाए।
पुनर्वास की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है
4. चाण्डिल डैम प्रबंधन द्वारा जमीन अधिग्रहण करके आज 40 वर्ष हो रहे हैं, कई विकास पुस्तिका धारक परिवार प्रमुख की मृत्यु हो चुकी है। उक्त विकास पुस्तिका के आश्रितों के नाम विकास पुस्तिका निर्गत किये जाने की मांग भी की गई है। 5. पुनर्वास की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। अतः 116 गांवों का ही पूर्नवास सुविधायें, पुनरीक्षित पुनर्वास नीति 2012 के प्रावधानों (कंडिका 5.5 ) के अनुसार मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराई जाए एवं पुनर्वास स्थल पर बसे हुए विस्थापितों के नाम जमीन का पट्टा दिया जाए।
6.चाण्डिल डैम द्वारा विस्थापन के बदले दिया गया नौकरी, निर्गत किया गया विकास पुस्तिका, निर्गत किया गया पुनर्वास पैकेज तथा पुनर्वास स्थल पर अधिग्रहण किए गए प्लॉट का CBI जांच हो
7. 28 सितंबर 2022 को अनशन के दौरान ट्रैक्टर द्वारा कुचले जाने से घायल हुए व्यक्तियों को मुआवजा तथा नौकरी दिया जाए।
8. हमारी वार्ता सार्वजनिक रूप से 116 गांव के प्रतिनिधिमंडल के साथ सिर्फ केंद्रीय टीम अथवा केंद्रीय जल संसाधन विभाग के साथ ही कराई जाए।
9. चांडिल डैम के माध्यम से सृजित होने वाले हर योजना ,रोजगार और लाभ का पहला अधिकार चांडिल डैम विस्थापित को प्राप्त होना चाहिए ।
10. जब तक हमारी मांग पूरी नहीं किया जाता चाडिल डैम का जल-भंडारण 177 मीटर रखा जाए तथा 177 मीटर तक जलस्तर बढ़ाने से पहले डूबा क्षेत्र में प्रशासनिक जन सूचना जारी हो।
इस दौरान राकेश रंजन महतो, अनूप महतो(दयापुर), अनूप महतो(मुरु ),विवेक सिंह, आस्तिक महतो, विष्णु पौधों महतो सीताराम महतो, अरुण दीवार, मुगल गोप, गोपेश महतो, बाबूलाल गोप, नारद महतो, विधु वाला महतो, गीता रानी महतो ,मुन्नीदेवी महतो, प्रतिमा महतो, जगबंधु दीवार, अशोका महतो ,माधुरी महतो, निदेश मुर्मू, सुमित्रा महतो, भानुमति महतो ,ठाकुर दास महतो, रोमनी महतो, रविवारी महतो ,लोधी वाला महतो एवं सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष उपस्थित थे।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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