पदयात्रा समापन सभा में झारखंड पुनरूत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु ने कहा-आदिवासियों के साथ भेदभाव नहीं चलेगा
झारखंड पुनरूत्थान अभियान व झारखण्ड जनतांत्रिक महासभा के तत्वावधान में विगत दिनों जमशेदपुर से ओड़िशा के कलिंगनगर तक की 300 किलोमीटर की पदयात्रा का आज 21 जून को समापन हुआ. इस दौरान झारखंड पुनरूत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु ने वीर भूमि में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद आयोजित समापन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 2 जनवरी 2006 को तत्कालीन ओड़िशा सरकार और टाटा कंपनी ने बहुत ही क्रूरतापूर्वक,अमानवीय और बिना उचित प्रक्रिया पूर्ण किए आदिवासियों की जमीन को जबरन कब्जा कर उसपर फैक्ट्री बनाने का काम किया।
ग्रामीणों द्वारा जमीन अधिग्रहण करने से पहले ग्रामसभा से सहमति लेने के आग्रह करने वाले निहत्थे आदिवासियों पर गोली चला दी। जिसमें तत्काल 13 आदिवासी वहीं शहीद हो गए। बाकी गोली से घायल आदिवासी किसी ने अस्पताल में तो किसी ने घर में अंतिम सांस ली।
कालिंगनगर से विस्थापित होने वाले 37 गांव के ग्रामीणों की हिस्सेदारी टाटा कंपनी में कितना प्रतिशत ?
उन्होंने बताया कि यह घटना 2 जनवरी 2006 की है। जिस नरसंहार में संलिप्त नौकरशाह पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। न ही कोई जांच आयोग का रिपोर्ट को सार्वजनिक की गई । यह आदिवासियों के साथ भेदभाव नहीं तो क्या है? कहने के लिए कहा जाता है. भारत के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि समाज के सभी वर्ग देश की आर्थिक और सामाजिक समृद्धि में हिस्सेदारी करें। तब सरकार और टाटा कंपनी बताए कि कालिंगनगर से विस्थापित होने वाले 37 गांव के ग्रामीणों की हिस्सेदारी टाटा कंपनी में कितना प्रतिशत की है ? ।
दोनों ही राज्य में सरकार द्वारा पेसा कानून को अब तक लागू नहीं किया गया है
सन्नी सिंकु ने आगे कहा, “उन्नीसवीं सदी में आदिवासी विद्रोह के कारण ही ब्रिटिश सरकार को जहां आदिवासियों की जनसंख्या अत्यधिक है, उन क्षेत्रों को सामान्य विधियों के कार्यान्वयन से बाहर रखने के लिए पांचवीं और छठी अनुसूची कानून बनाया गया। जिस पांचवी अनुसूची राज्य के रूप में झारखंड और ओडिशा को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया। बावजूद इसके दोनों ही राज्य में सरकार द्वारा पेसा कानून को अब तक लागू नहीं किया गया है और न ही वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासी और परंपरागत रूप से वन क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों को निजी और सामूहिक वन पट्टा दिया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को भी प्रभावी रूप से लागू नहीं की जा रही है।
इसके पीछे एक ही कारण है आदिवासी मूलवासियों की जमीन को अधिग्रहण करने में सरकार और सरकरीतंत्र को मनमानी करने का अवसर मिल सके। ताकि फर्जी ग्रामसभा करके जमीन अधिग्रहण की असंवैधानिक प्रक्रिया को पूरी की जा सके।”
टाटा कंपनी ने अब तक नौकरी में उचित भागीदारी सुनिश्चित नहीं की है-दुर्गाप्रसद जामुदा
समापन समारोह को संबोधित करतें हुए पूर्व राज्यसभा सांसद दुर्गाप्रसद जामुदा ने कहा कि डुबरी में जिन 37 गांव के ग्रामीणों को विस्थापित किया गया। उनको टाटा कंपनी ने अब तक नौकरी में उचित भागीदारी सुनिश्चित नहीं की है। पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकू ने स्वयं पदयात्रा का गार्जियन बनकर पदयात्रा करते हुए अपने संबोधन में कहा, “बहुत ही विकट परिस्थिति में पदयात्रा करते हुए हम झारखंड पुनरूत्थान अभियान के पदयात्री यहां तक पहुंचे हैं। तपती गर्मी, लू लहर, झारखंड में 14 व्यक्ति की मृत्यु लू के कारण हो गई। इन परिस्थितियों को झेलते हुए हम सकुशल पहुंच पाए।”
…ताकि आदिवासी समाज की स्वाभिमान को फिर से जगाया जा सके
चूंकि जिस प्रकार पूरे देश के आदिवासियों पर और उनके जमीन पर लगातार हमला हो रहा है। मणिपुर के आदिवासी गांव में आग लगा दी जा रही है। कलिंगनगर डुबरी के ग्रामीणों द्वारा जल,जंगल,जमीन बचाने की लड़ाई लड़ने वाले आदिवासियों को गोली से उड़ा दिया गया हो और अब जमशेदपुर से कालिंगनगर के बीच टाटा कंपनी विकास गलियारा परियोजना पर काम कर रही हो, तो यह समय न तो आराम करने का है और न सोने का है। देश सहित झारखंड-ओडिशा के आदिवासियों को जगाने के लिए ही झारखंड पुनरूत्थान अभियान की ओर से 300 किलोमीटर की पदयात्रा की गई है, ताकि आदिवासी समाज की स्वाभिमान को फिर से जगाया जा सके।
आदिवासी क्षेत्रों में खनिज की प्रचुरता
देश के जिस भी हिस्से में आदिवासी हैं, उन क्षेत्रों में खनिज की प्रचुरता है। टाटा कंपनी जैसे बड़े कंपनी की नजर उन खनिज पर बहुत पहले से है। उन खनिज को खोदकर बेचने के पहले आदिवासियों को विस्थापित करना पड़ेगा। इसलिए झारखंड पुनरुत्थान अभियान की ओर से पदयात्रा की गई, ताकि सरकार और सरकरीतंत्र का ध्यान आकृष्ट हो और सरकार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुएं आदिवासियों को उनके जमीन से विस्थापित करने से रोके। उनकी विशिष्ट संस्कृतियों की सुरक्षा की जा सके।
शामिल
समापन सभा को झारखंड पुनरूत्थान अभियान के संयोजक मंडली क्रमश:अमृत मांझी,कोलंबस हांसदा,सुरेश महतो,महेंद्र जामुदा,मंगल सरदार, रियांस सामड,मंगल हंसदा,आशा पूर्ति,विकास केराई ,सुमंत सिंकु,उपेंद्र सिंकू,विनीत लागुरी डुबरी के विभिन्न सामाजिक संगठन के प्रतिनिधिगण क्रमश: सिनी सोय,मधुसूदन हाईबुरु,राजेश गागराई, प्रांथ प्रसाद गगराई और अन्य ने समापन सभा को संबोधित किया। पदयात्रियों में मुख्य रूप से आकाश टुडू, मजूरा दोराई,मोतीलाल मुंडा,सावन गगराई,डोमन पूर्ति, पेलोंग पूर्ति,रवि लोहार,होरोल्सी सिंकु,राजू हेंब्रम मानकी आंवला पीढ़, अरिल सिंकु,लिटिल सिंकु,इंगुल सिंकू,बालकिशन डोराईबुरु, परगना डोराईबुरु ,रतन गोप, भरत गोप,मधु हेंब्रम,मोतीलाल हेंब्रम, मुंगडू गोप,लेबेय हेंब्रम,सरकार गोप,जगन्नाथ हेंब्रम,साधुचरण तमसोय सहित सैकड़ों पदयात्री शामिल थे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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