राज्य के बंगला भाषियों के अस्तित्व रक्षा करने के लिए एक मांग-पत्र सौंपा
झारखंड बंग भाषी समन्वय समिति के 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल अध्यक्ष विकाश मुखर्जी के नेतृत्य में शुक्रवार को झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन से मिलकर झारखंड राज्य के बांग्ला भाषियों के अस्तित्व रक्षा करने के लिए एक मांग-पत्र सौंपा।झारखंड अलग राज्य बनने से पहले उन सभी जिलों के ग्रामीण इलाकों के सभी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में, यहां तक कि उच्च विद्यालय में भी मातृभाषा बंगला से ही पढ़ाई होती थी, परंतु 15 नवंबर 2000 से अर्थात झारखंड बनने के बाद से धीरे धीरे और 2005 के बाद पूर्ण रूप से बंगला भाषा की पाठ्य पुस्तकों का वितरण तथा बांग्ला भाषा में पठन – पाठन बंद कर दिया गया और बदले में हिंदी माध्यम के पाठ्य पुस्तक वितरण कर हिंदी माध्यम से पठन-पाठन की व्यवस्था शुरू कर दी गई।
झारखंड के बांग्ला भाषी दृढ़ता के साथ आपके सरकार का समर्थन करती है तथा आनेवाले दिनों में और मजबूती की साथ आपके सरकार को समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है, यदि आपकी सरकार हमारी इन मांगों को पूरा कर राज्य को मजबूत और सशक्त बनाने का काम करे।
मातृभाषा में पढ़ाई का प्रति समुचित व्यवस्था हो
कक्षा एक से लेकर कक्षा 12 वीं तक सभी विषयों में बांग्ला का पाठ्यक्रम जारी किया जाए। सभी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में एक विषय अपनी अपनी मातृभाषा में पढ़ाई का प्रति समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। प्रत्येक विषयो में पर्याप्त मात्रा में पुस्तक छपवाया जाए और अविलंब वितरित किया जाए। सन 1990 के बाद जितनी भी बंगला माध्यम का विद्यालयों को हिंदी भाषा में परिवर्तित किया गया है उन्हे अविलंब पुनः बंगला भाषा में परिवर्तित किया जाए। जरूरत के मुताबिक बांग्ला शिक्षक शिक्षिकाओ की नियुक्ति किया जाए ताकि बंगला माध्यम में पड़े लिखे बच्चो को रोजगार मिल सके तथा गांव से लेकर शहर तक अपनी संस्कार और संस्कृति को बचाया जा सके।
सरकार की तत्त्याबधान में बांग्ला अकादेमी का स्थापना किया जाए।सभी बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई तथा वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति को मद्देनजर रखते हुए झारखंड के तमाम बंगला भाषियों की अपेक्षाओं से अवगत कराया गया।
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वार्ता के उपरांत मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड बंगभाषी समन्वय समिति द्वारा विगत 24 वर्षो से अपनी मातृभाषा के रक्षा के लिए जो लड़ाई लड़ रही है वे इसके पूर्ण समर्थक हैं, क्योंकि उन्होंने भी बांग्ला माध्यम विद्यालय से पढ़ाई की है. इसलिए वे अपने कार्यकाल में समिति के सभी मांगों को पूर्ण रूप से लागू करने का आश्वासन दिया।
आज के इस प्रतिनिधिमंडल में विकास मुखर्जी, छायाकांत गोराई, नेपाल दास, संदीप सिंहा चौधरी, पूरबी घोष, शुभ्रा दास, गोविन्द मुखर्जी, मिहिर दास, अरूप दास , धनंजय दास, गौतम दास शामिल थे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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