फादर स्टेन स्वामी कहा करते थे “मैं कोई मुक दर्शक नहीं हूं.”
फादर स्टेन स्वामी के शहादत दिवस के अवसर पर 5 जुलाई को मानगो स्थित येसु भवन में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न संगठनों और संस्थाओं से जुड़े लोगों ने आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और वंचितों के हक़ और हुकुक के लिए जीवनपर्यंत लड़ाई लड़ने वाले जुझारू व्यक्तित्व की राह चलने का संकल्प लेते हुए उन्हें नमन किया।
स्टेन स्वामी ने संपूर्ण जीवन ही आदिवासियों और वंचितों को न्याय दिलाने के लिए लगा दिया -अरविन्द अंजुम
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता गांधीवादी चिन्तक और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अरविन्द अंजुम में स्टेन स्वामी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लंबे समय से उनके साथ कार्य करने का अवसर मिला. वे काफ़ी जीवट किस्म के व्यक्ति थे. संपूर्ण जीवन ही उन्होंने आदिवासियों और वंचितों को न्याय दिलाने के लिए लगा दिया और सत्ता से टकराने का साहस किया.
स्टेन स्वामी पार्किन्सन बीमारी से ग्रसित थे
केंद्र की सरकार ने एक साज़िश के तहत उन्हें जेल में ही मार दिया. उन पर UAPA लगाकर जेल में डाला. स्टेन उम्रदराज़ हो गए थे और पार्किन्सन बीमारी से ग्रसित थे. उनके हाथ कांपते थे और गिलास से खुद पानी भी नहीं पी सकते थे. बार-बार उन्होंने जज से स्ट्रॉ के लिए गुहार लगाई, लेकिन नहीं उपलब्ध कराई गई. अंततः सुनवाई के एक दिन पहले 5 जुलाई 2021 को उन्होंने अंतिम सांस ली. ऐसे लोग मरकर भी कभी नहीं मरते, क्योंकि उनके आदर्श सदा जिंदा रहते हैं. आज उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए हम सभी को उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए.
फासीवादी तत्वों के ख़िलाफ़ जंग जारी रखने पर बल
इस अवसर पर सिया शरण शर्मा, मदन मोहन, विक्रम कुमार, सुनील हेंब्रम, मैया सोरेन, सिमोती बेसरा, शिवानी मुर्मू एवं फादर प्रोविंशियल ने भी फादर स्टेन स्वामी को नमन करते हुए उनके कृतित्व को याद किया और फासीवादी तत्वों के ख़िलाफ़ जंग जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया.
कार्य्रकम के दौरान उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ताओं को फ़ादर स्टेन स्वामी की पुस्तक ‘ मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूं’ का मूल अंग्रेज़ी संस्करण और अनुवादित (अनुवादक-फादर जेम्स टोप्पो) संस्करण भेंट की.
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत युवाओं द्वारा प्रार्थना गीत के साथ हुआ। इसके बाद स्वागत भाषण फादर अजीत सोरेन के द्वारा किया गया। फादर अलेक्स के साथ उपस्थित सभी ने मौखिक श्रद्धांजलि देकर फादर स्टेन स्वामी के बताए हुए मार्गों पर चलने संकल्प लिया। कार्यक्रम का संचालन अंकुर शाश्वत ने किया। कार्यक्रम में कई संगठनों और संस्थाओं के लोग मौजूद रहे।
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स्टेन स्वामी के दूसरे शहादत दिवस पर उठी उनके हत्यारों को सज़ा देने की मांग
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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