दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि भी दी गई
30 दिसंबर, 2024 : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)( माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन (भाकपा माले), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) एवं ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक जैसे प्रमुख वामपंथी दलों के संयुक्त निर्णय के अनुसार, जमशेदपुर के वामपंथी दलों द्वारा भी 30 दिसंबर को अखिल भारतीय विरोध दिवस मनाया गया और बिरसा चौक साकची में विरोध प्रदर्शन और नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया। नुक्कड़ सभा में दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि भी दी गई।
वामपंथी दलों की ओर से कहा गया कि मनुवादी-फासीवादी विचारधारा हमेशा से ही जातिगत शोषण को खत्म करने के लिए अंबेडकर के जाति उन्मूलन के विचार की प्रबल विरोधी रही है।
17 दिसंबर को राज्यसभा में अमित शाह द्वारा डॉ अंबेडकर पर दिया गया अपमानजनक बयान इसी मनुवादी सोच से प्रभावित था। गृह मंत्री अमित शाह की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब विपक्ष और जनता सड़क से लेकर संसद तक संविधान बदलने की सरकार की साजिश को कड़ी चुनौती दे रही है।
अमित शाह के इस्तीफे तथा एनडीए सरकार से बिना शर्त माफी की मांग के लिए यह विरोध दिवस
विडम्बना यह है कि इस शर्मनाक घटना पर प्रधानमंत्री, भाजपा और एनडीए के घटक दलों की चुप्पी संसदीय लोकतंत्र के साथ-साथ समाज के शोषित और वंचित वर्ग के लिए संविधान की सुरक्षात्मक अवधारणा पर खतरे का सूचक है। इस पृष्ठभूमि में वामपंथी दलों ने देश की आम जनता को जागरूक करने के साथ-साथ अमित शाह के इस्तीफे तथा एनडीए सरकार से बिना शर्त माफी की मांग के लिए यह विरोध दिवस मनाया है।
जब देश संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है..
यह भी बताया गया कि जब देश संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, मोदी सरकार संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने में लगी हुई है। न्यायपालिका से लेकर चुनाव आयोग तक, सभी इसका शिकार हो रहे हैं। मोदी सरकार संवैधानिक संस्थाओं को सरकार के हवाले करने के लिए तमाम घिनौने हथकंडे अपना रही है। अब तो स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि विपक्ष को संसद में सवाल उठाने से रोकने के लिए असंसदीय हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
संविधान विरोधी और संघवाद विरोधी कदमों का विरोध करेंगे
वामपंथी दलों ने संयुक्त रूप से निर्णय लिया कि वे मोदी सरकार के सभी लोकतंत्र विरोधी, संविधान विरोधी और संघवाद विरोधी कदमों का विरोध करेंगे, जिसमें “एक राष्ट्र एक चुनाव” के साथ-साथ मौजूदा कानून का उल्लंघन कर धार्मिक प्रार्थना स्थलों के मुद्दे उठाने जैसे विभाजनकारी और नफरत फैलाने वाले कदम शामिल हैं। आने वाले दिनों में राजनीतिक और जन मुद्दों पर वामपंथी नीतियों को सामने लाकर वामपंथी हस्तक्षेप बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया है।
वामपंथी पार्टियां द्वारा, प्रगतिशील-लोकतांत्रिक शक्तियों से अपील की गई है कि स्थिति की गंभीरता को समझते हुए संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर के अपमान और संवैधानिक प्रावधानों, मौजूदा कानूनों का उल्लंघन करने वाले कदमों के साथ-साथ संविधान को बदलने की साजिशों के खिलाफ एकजुट होकर सड़क पर उतरे।
आज के कार्यक्रम में, कॉ. आर एस राय, केपी सिंह, मिठू भट्टाचार्य, हीरा अर्कन, विश्वजीत देव, नागराजू, विक्रम कुमार, जयंत मजूमदार,विमान चटर्जी, श्रवण कुमार, अशोक शुभदर्शी, टी मुखर्जी, डी सेन, बालेश्वर सिंह, जयशंकर प्रसाद, एस.विश्वकर्मा, सूरज यादव आरपी सिंह, प्रिंस सिंह, आदि के नेतृत्व में सीपीआई और सीपीआईएम के सदस्य उपस्थित थे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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