22 सितंबर’ 2020 को विपक्ष की अनुपस्थिति में संसद में तीन श्रम संहिताओं को अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किया गया था
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के निर्णय के अनुसार तथा संयुक्त किसान मोर्चा के समर्थन से आज 23 सितंबर को देशव्यापी काला दिवस मनाया गया, जिसमें मजदूर विरोधी चारों श्रम संहिताओं को रद्द करने तथा कॉरपोरेट घरानों के इशारे पर बनाई जा रही नीतियों को बदलने की प्रमुख मांगें शामिल थीं। यह कार्यक्रम 22 सितंबर, 2020 के संदर्भ में आयोजित किया गया , जिस दिन विपक्ष की अनुपस्थिति में संसद में तीन श्रम संहिताओं को अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किया गया था।
केंद्र सरकार द्वारा उन मांगों को उचित प्राथमिकता नहीं दी जा रही
ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच, कोल्हान की ओर से विश्वजीत देब द्वारा बताया गया कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि कई मौकों पर वैकल्पिक नीतियों के रूप में जन मुद्दों पर मांग उठाने के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा उन मांगों को उचित प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। ट्रेड यूनियनों द्वारा लगातार उठाई जा रही मांगों के विपरीत चार श्रम संहिताओं का क्रियान्वयन केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
अपनी मांगों पर समुचित ध्यान न दिए जाने के कारण मजदूर वर्ग एक बार फिर जीवन और जीविका से जुड़ी मांगों को लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने को मजबूर हो गया है।
चारों श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाने की मुख्य मांग
इस अवसर पर ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की ओर से जमशेदपुर के उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री और केंद्रीय श्रम मंत्री को संबोधित दो ज्ञापन सौंपे गए, जिसमें चारों श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाने की मुख्य मांग थी। इसके अलावा अन्य मांगों में सभी श्रमिकों के लिए मूल्य सूचकांक से जुड़ा 26,000 रुपये प्रति माह का राष्ट्रीय मासिक न्यूनतम वेतन घोषित करना, ईपीएस योजना के तहत सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 10,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित करना और एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को निरस्त करना तथा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करना शामिल है।
अन्य मांगें
बारहमासी कार्यों को ठेके पर देने, निश्चित अवधि रोजगार योजनाओं तथा अनियमित और आकस्मिक पदों पर सामूहिक नियुक्तियों पर रोक, समान कार्य के लिए समान वेतन और लाभ, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पेंशन सहित व्यापक सामाजिक सुरक्षा, स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी के रूप में मान्यता , वैधानिक न्यूनतम वेतन, ग्रेच्युटी, पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों और गिग वर्कर्स के लिए कानूनी और सामाजिक सुरक्षा , निर्माण श्रमिकों को ईएसआई कवरेज, पंजीकृत सभी श्रमिकों को स्वास्थ्य योजनाओं, मातृत्व लाभ, जीवन और विकलांगता बीमा का कवरेज सुनिश्चित करने जैसी मांगें भी ज्ञापन में शामिल थीं।
निजीकरण को रोके जाने की भी मांग
ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सरकारी विभागों के सभी प्रकार के निजीकरण को रोका जाए और कोयला क्षेत्र में राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) , एमडीओ, राजस्व साझाकरण मॉडल परियोजना को रद्द किया जाए। एचईसी लिमिटेड, रांची का पुनरुद्धार और घाटशिला में तांबा खनन और संयंत्र का संचालन सुनिश्चित किया जाए।
कार्यक्रम में के के त्रिपाठी, संजय कुमार, जे मजूमदार, गुप्तेश्वर सिंह, टी मुखर्जी, बिमान चटर्जी नागराजू, के पी सिंह, वाई डी मौली, विनय कुमार के नेतृत्व में कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विभिन्न ट्रेड यूनियनों के सदस्य उपस्थित थे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!