झारखण्ड उच्च न्यायालय जमशेदपुर अक्षेस, उपायुक्त और टाटा स्टील के रवैये पर काफ़ी तल्ख़ टिपण्णी की। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्र और न्यायाधीश आनंद सेन की खण्डपीठ ने 08 नवंबर को राकेश झा द्वारा अक्षेस, उपायुक्त और टाटा स्टील के खिलाफ बिल्डिंग बाई लॉज़, 2016 का उल्लंघन करते हुए नक्शा पास करने, बिना कम्पलीशन और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी किये बिजली-पानी का कनेक्शन देने और बिल्डरों द्वारा न केवल बिल्डिंग बाई लॉज़, 2016 बल्कि नक्शा और स्वीकृत योजनाओं का गंभीर उल्लंघन कर निर्माण करने, पार्किंग की जगह को कमर्शियल उद्देश्यों के लिए बेच देने और रिट पेटिशन 1076/2011 में अदालत द्वारा दिए गए आदेशों का उल्लंघन करने के खिलाफ दायर रिट संख्या 2078/2018 की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय द्वारा मनोनीत सदस्यों राज नंदन सहाय, (सीनियर अधिवक्ता), सुदर्शन श्रीवास्तव (अधिवक्ता) और पांडे नीरज राय (अधिवक्ता) द्वारा दायर अंतरिम रपट को पढ़ने के उपरांत तल्ख टिप्पणियां की।
स्थानीय प्रशासन ने अधिवक्ताओं की समिति के साथ पूरा असहयोग किया, ताकि उनकी जांच हो ही न सके जो अदालत के आदेश की अवमानना
अदालत ने कहा कि रपट को पढ़ने से न केवल अक्षेस द्वारा जारी स्वीकृत भवन योजनाओं और नगरपालिका कानून के प्रावधानों के घनघोर उल्लंघन का पता चलता है, बल्कि यह भी पता चलता है कि स्थानीय प्रशासन ने अधिवक्ताओं की समिति के साथ पूरा असहयोग किया, ताकि उनकी जांच हो ही न सके जो अदालत के आदेश की अवमानना है। इसके बाद माननीय अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को तलब कर लिया।
ज्ञातव्य है कि उच्च न्यायालय, रांची के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार और न्यायाधीश आनंद सेन की खण्डपीठ ने दिनांक 19-09-2023 को तीनों विद्वान अधिवक्ताओं का एक आयोग नियुक्त किया था, जिसने जमशेदपुर शहर का दौरा किया, कुछ इलाकों में जांच की और अपने जांच के आधार पर एक अंतरिम रपट आज अदालत में दाखिल किया।
ज्ञातव्य है कि आयोग को इन बिन्दुओं पर जांच रपट देनी थी –
(i) क्या भवनों के निर्माण में अनुमतियों, बिल्डिंग बाई लॉज़, 2016 (भवन उपनियमों) और स्वीकृत योजनाओं (नक्सा) का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ है?
(ii) क्या प्रतिवादी सं. 2 (उपायुक्त) और साथ ही प्रतिवादी नं. 4 (अक्षेष) आवासीय और वाणिज्यिक मकानों के निर्माण को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुपालन के लिए कोई कदम उठा रहे हैं?
(iii) क्या यातायात नियमों का कोई उल्लंघन हुआ है और क्या प्रत्येक बाजार के पास वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह है? अगर अनाधिकृत पार्किंग पाई गई तो उसकी सूचना दी जाय।
(iv) आयोग यह भी रिपोर्ट करेगा कि क्या रिट पेटिशन (पीआईएल) 1075/2011 में पारित दिनांक 28.02.2011 एवं 12.07.2011 के आदेशों का उत्तरदाताओं द्वारा अनुपालन किया गया है अथवा नहीं?
नगरपालिका कानून के प्रावधानों का हैरतअंगेज उल्लंघन !
आयोग ने अपनी अंतरिम रपट में यह साफ-साफ कहा है कि आयोग जहाँ-जहाँ गयी, वहाँ-वहाँ उसे स्वीकृत भवन योजनाओं और नगरपालिका कानून के प्रावधानों का हैरतअंगेज उल्लंघन मिला। आयोग ने कहा है कि जिस योजनाबद्ध तरीके से उल्लंघन किया गया है उससे साफ स्पष्ट कि यह सिर्फ भवन निर्माताओं की कारगुजारी नहीं है बल्कि यह सब कुछ अक्षेस और जिला प्रशासन के वरीय अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया है। सारे भवनों के पार्किंग स्थलों को कमर्शियल दुकानें बनाकर बेच दी गयी है। अधिकांश दुकानें बंद थी क्योंकि उसे अक्षेष और जिला प्रशासन ने बंद करवाया था पर अधिकांश दूकानों में रोशनी जल रही थी, सीसीटीवी काम कर रहा था। एक पार्किंग स्थल पर तो रेस्टोरेंट चलाया जा रहा था।
किसी भी भवन में पार्किंग के लिए कोई जगह नहीं
किसी भी भवन में पार्किंग के लिए कोई जगह नहीं थी। कई भवन निर्माताओं ने पार्किंग की जगह पर पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनाई हुई हैं, ताकि कोई वाहन पार्किंग स्थल पर प्रवेश ही ना कर सके। वाहन या तो सड़कों पर खड़े किये गये थे या अस्थाई अवैध निर्माणों में खड़े किये गये थे। प्रशासन ने आयोग के पहुंचने से पहले वाहन मालिकों से वाहन हटाने को कहा और इस प्रकार बहुत से वाहनों को एक मैदान में ईकठ्ठा कर रखा गया था।
आयोग ने अक्षेस और जिला प्रशासन पर और भी गंभीर आरोप लगाये हैं
आयोग ने अक्षेस और जिला प्रशासन पर और भी गंभीर आरोप लगाये हैं। आयोग ने कहा कि उनके एक सदस्य ने जमशेदपुर जाने से पहले उपायुक्त से बात की लेकिन न तो वे, न आरक्षी अधीक्षक न ही कोई और प्रशासनिक अधिकारी ही मिलने आया आगवानी करना तो दूर। उन्होंनेे आरोप लगाया है कि दूरभाष पर संपर्क करने के बाद अक्षेष का एक पदाधिकारी अपने दो कनीय अधिकारियों के साथ आया और बताया कि उसकी पोस्टिंग सिर्फ दो दिन पहले हुई है और वह अदालती कार्रवाईयों और उल्लंघनों के बारे में कुछ नहीं जानता।
अदालत ने अगले आदेश तक रूकने लिए कहा
आयोग ने अदालत को बताया कि जमशेदपुर बड़ा शहर है, अतः आयोग को एक दो बार और जाने की इजाजत दी जाय, ताकि आयोग अपनी रपट पूरी कर सके। इस पर अदालत ने अगले आदेश तक रूकने लिए कहा। इस मामले की अगली सुनवाई 05-12-2023 को होगी। पिटीशनर की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, रोहित सिन्हा, निर्मल घोष और इमरान हसन ने जिरह किया।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!