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सीआईटीयू ने 5 दिन का सप्ताह और 35 घंटे काम करने की अपनी मांग दोहराई है।
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीआईटीयू) ने लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन के उस बयान की कड़ी निंदा की है, जिसमें उन्होंने प्रति सप्ताह काम के घंटे बढ़ाकर 90 घंटे करने का आग्रह किया है। इसी तरह का बयान पहले इंफोसिस के प्रमुख एन.आर. नारायण मूर्ति ने दिया था, जिसमें उन्होंने वैधानिक उपाय के जरिए प्रति सप्ताह 70 घंटे काम करने का आग्रह किया था। ऐसा लगता है कि, मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के शासनकाल में कॉर्पोरेट-सांप्रदायिक नापाक गठजोड़ के कारण, भारतीय श्रमिकों के खून-पसीने की लूट करने की होड़ मची हुई हैं।
उत्पादकता की आड़ में अमानवीय कार्य स्थिति थोपी जा रही है
भारतीय श्रमिक, यहाँ तक कि औपचारिक क्षेत्र में स्थायी श्रमिक भी, चीन, यूरोप और अमेरिका जैसे अधिक उत्पादक देशों की तुलना में अधिक घंटों तक काम करते हैं। काम के घंटों में वृद्धि भारतीय श्रमिकों के स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन पर बहुत ही विनाशकारी प्रभाव डाल रही है, इसके बावजूद, कॉर्पोरेट वर्ग द्वारा इस तरह की जघन्य कवायद रोजगार और श्रम लागत को कम करने के लिए की जा रही है। साथ ही दक्षता और उत्पादकता की आड़ में अमानवीय कार्य स्थिति थोपी जा रही है, असीमित मुनाफे की भूख के कारण श्रमिकों का शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है, जिसके कारण 2022 में 11486 आत्महत्याएं हुई हैं।
श्रम के अमानवीय दोहन की गंभीरता को इस बात से देखा जा सकता है कि मजदूरी का हिस्सा 1990-91 के 27.64% से तेजी से घटकर 2022-23 में 15.94% हो गया है, जबकि इसी अवधि के दौरान शुद्ध लाभ का हिस्सा 19.06% से बढ़कर 51.92% हो गया है, साथ ही नौकरियों में छंटनी भी बढ़ती जा रही है।
षडयंत्रकारी मिलीभगत का नतीजा
काम के घंटे बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अग्रणी कॉर्पोरेट घरानों द्वारा की जा रही ऐसी गंदी प्रतिस्पर्धी पहल केंद्र में बैठी उनकी आज्ञाकारी सरकार के साथ षडयंत्रकारी मिलीभगत का नतीजा है। नए श्रम संहिता में उपयुक्त सरकार के कार्यकारी निर्णय के माध्यम से में काम के घंटों का इस तरह की वृद्धि का प्रावधान है, हालांकि ट्रेड यूनियन आंदोलन के प्रतिरोध के कारण अभी तक केंद्र सरकार द्वारा श्रम संहिताओं को अधिसूचित नहीं किया जा सका है, फिर भी हमने कुछ राज्य सरकारों द्वारा काम के घंटे बढ़ाकर 12 घंटे प्रतिदिन करने के कई प्रयास देखे हैं, जिनका संयुक्त ट्रेड यूनियन आंदोलन द्वारा विरोध भी किया जा रहा है।
पूंजीपति वर्ग की ऐसी घिनौना प्रतिस्पर्धी पहल
सीआईटीयू मजदूर वर्ग के सभी तबकों से आह्वान करती है कि वे पूंजीपति वर्ग की ऐसी घिनौना प्रतिस्पर्धी पहलों के खिलाफ आक्रोश के साथ उठ खड़े हों तथा आने वाले दिनों में उनके बुनियादी अधिकारों और सामाजिक जीवन पर हमले के षडयंत्रकारी शैतानी कदम के खिलाफ कार्यस्थल से लेकर सड़क तक एकजुट देशव्यापी प्रतिरोध कार्रवाइयों के लिए तैयार रहें।
एलएंडटी प्रमुखों का पुतला जलाया जाएगा
सीआईटीयू का मानना है कि नियोक्ता वर्ग द्वारा किए जा रहे इन गंदे हमलों का जवाब वर्ल्ड ट्रेड यूनियन फेडरेशन (डब्ल्यूएफटीयू) की मांग के अनुसार प्रतिदिन 7 घंटे काम और प्रति सप्ताह पांच दिन काम की मांग को उठाकर दिया जाना चाहिए। 19 जनवरी को जिस दिन सीआईटीयू और एआईकेएस द्वारा हर साल किसान मजदूर एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है, संयुक्त विरोध कार्यक्रमों के दौरान पूरे झारखंड राज्य में इंफोसिस और एलएंडटी प्रमुखों का पुतला जलाया जाएगा।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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