
यहाँ के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन – अधिवक्ता अभय गुप्ता
जमशेदपुर अंतर्गत परसुडीह के रहने वाले अधिवक्ता अभय गुप्ता ने परसुडीह में सड़कों पर अतिक्रमण और सड़क की अत्यंत खराब स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए ज्ञापन में लिखा है कि इससे जनता को काफी परेशानी हो रही है। उन्होंने ज्ञापन में लिखा है कि जून 2025 के पहले सप्ताह में जब वे अपने गृहनगर आए, तो यहाँ की सार्वजनिक सुविधाओं की दुर्दशा देखकर बहुत दुःखी हुए। यह सिर्फ असुविधा नहीं है, बल्कि यहाँ के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी है।
ज्ञापन में उन्होंने इन सभी समस्याओं का विस्तृत ब्यौरा देते हुए इनके तुरंत समाधान करने की मांग की है, ताकि परसुडीह के नागरिकों को सम्मान और सुरक्षा के साथ जीने का अधिकार मिल सके। सीएम को लिखे उक्त ज्ञापन की प्रति उन्होंने झारखंड सरकार के पथ निर्माण विभाग के सचिव, जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो और ज़िले के उपायुक्त को भी दी है।
पृष्ठभूमि
परसुडीह, जमशेदपुर का एक महत्वपूर्ण आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्र है, लेकिन सड़क की हालत और अतिक्रमण के कारण यह इलाका उपेक्षा का शिकार बन गया है। जहां एक ओर जमशेदपुर को एक सुनियोजित शहर माना जाता है, वहीं पारसुदीह की सड़कें इस छवि के विपरीत हैं। यहां की सड़कों की हालत और अतिक्रमण के कारण लोगों का रोजमर्रा का जीवन बहुत कठिन हो गया है। वर्षों से यह स्थिति बनी हुई है और यह देखना बेहद निराशाजनक है कि इस क्षेत्र की अनदेखी की जा रही है।
मुख्य समस्याएं
A. सड़कों पर अतिक्रमण और अवैध पार्किंग
सबसे गंभीर समस्या है दुकानदारों द्वारा सड़क पर अतिक्रमण। खासतौर पर मकदमपुर रेलवे क्रॉसिंग से शीतला चौक और शीतला चौक से चाँदनी चौक तक की सड़कों पर दुकानों को लगभग 4 फीट तक सड़क पर बढ़ा लिया गया है। इसके अलावा, वहाँ अवैध रूप से वाहन खड़े रहते हैं जिससे सड़क की चौड़ाई कम हो गई है। इससे ट्रैफिक जाम, पैदल चलने वालों को खतरा, और रोजमर्रा की आवाजाही बाधित हो रही है।
यह स्थिति न सिर्फ असुविधाजनक है, बल्कि यह सार्वजनिक स्थानों से जुड़े नियमों का उल्लंघन भी है। यह अतिक्रमण सड़कों की मूल संरचना को प्रभावित कर रहा है, जिससे आमजन को भारी परेशानी हो रही है।
B. सड़कों की जर्जर स्थिति
अतिक्रमण के अलावा, पारसुदीह की सड़कों की हालत बहुत ही खराब है। बड़े-बड़े गड्ढे, ऊबड़-खाबड़ रास्ते और जल निकासी की व्यवस्था न होने से यह सड़कें मानसून में लगभग उपयोग के लायक नहीं रह जातीं। मकदमपुर रेलवे क्रॉसिंग से शीतला चौक और शीतला चौक से चाँदनी चौक तक की सड़कें सबसे खराब हालत में हैं।
इसके दुष्परिणाम
सुरक्षा की समस्या: गड्ढों और ऊबड़-खाबड़ रास्तों के कारण दुर्घटनाएं होती हैं।
आर्थिक प्रभाव: दुकानदारों और नागरिकों को आवागमन में कठिनाई होती है और वाहनों की मरम्मत पर अधिक खर्च करना पड़ता है।
स्वास्थ्य पर असर: धूल और कचरे के कारण लोगों को सांस की बीमारियाँ हो रही हैं।
जीवन स्तर में गिरावट: रोजाना आने-जाने में जो परेशानी हो रही है, उसने लोगों की दिनचर्या को प्रभावित किया है।
यह समझ से परे है कि परसुडीह जैसे क्षेत्र को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि जमशेदपुर के अन्य हिस्सों में नियमित कार्य होते हैं।
C. मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
यह स्थिति भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए “जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार” का उल्लंघन है। सुरक्षित और सुगम सार्वजनिक आधारभूत सुविधाएं इस अधिकार का अभिन्न हिस्सा हैं। अतिक्रमण और सड़कों की खराब स्थिति से लोगों का यह अधिकार प्रभावित हो रहा है।
जून 2025 के पहले सप्ताह में जब मैंने इन सड़कों का दौरा किया, तो खुद देखा कि कैसे दुकानदारों ने सड़क पर अस्थायी ढांचे लगा लिए हैं। शीतला चौक से चाँदनी चौक तक की सड़क गड्ढों से भरी हुई थी और लोगों को चलने में कठिनाई हो रही थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि वे कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
मांगें
सड़क की चौड़ाई की माप: मकदमपुर रेलवे क्रॉसिंग से चाँदनी चौक तक की सड़कों की मूल स्वीकृत चौड़ाई की माप तत्काल कराई जाए।
अतिक्रमण हटाना: इन सड़कों से सभी अतिक्रमण हटाए जाएं और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
सड़कों की मरम्मत: गड्ढों को भरकर, जल निकासी ठीक कर, सड़कों को जल्द से जल्द दुरुस्त किया जाए।
नियंत्रण के उपाय: भविष्य में अतिक्रमण न हो, इसके लिए निगरानी और सख्त दंड का प्रावधान हो।
नियमित रखरखाव योजना: एक दीर्घकालिक योजना बनाई जाए जिससे सड़कों की नियमित मरम्मत होती रहे।
स्थानीय भागीदारी: स्थानीय नागरिकों को योजना और निगरानी में शामिल किया जाए।
समान विकास: पारसुदीह को अन्य इलाकों की तरह बराबर संसाधन और विकास मिले।
अधिवक्ता अभय गुप्ता ने ज्ञापन में यह भी लिखा है कि परसुडीह के नागरिक भी अच्छी और सुरक्षित सड़कों के हकदार हैं। वर्तमान स्थिति असहनीय है और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि मुख्यमंत्री इस मामले को गंभीरता से लेंगे और शीघ्र समाधान निकालेंगे।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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