
लोहरदगा, 19 मई : एस.डब्ल्यू.एम. प्रा. लि. के ठेकेदार के कर्मचारी विरोधी रवैये के कारण नगर परिषद, लोहरदगा में आज 19 म॓ई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर कर्मचारियों को जाना पड़ा। कंपनी के हेड कहते हैं कि वे ठेकेदार नहीं पार्टनर हैं। इसके बावजूद भी तीन माह का फरवरी से अप्रैल तक का चालकों एवं सहचालकों का वेतन आज तक भुगतान नहीं किया है । जब ये कार्य शुरू किए थे तो बोले थे कि वे 1 से 4 तारीख तक प्रतिमाह वेतन भुगतान कर देंगे। 5 तारीख होने नहीं देंगे, लेकिन दुःख है कि अब ये न तो कर्मचारियों से बात करते हैं और न संगठन से।
जब आशा टूट गई
एक बार पहले भी इसी प्रकार की गड़बड़ कार्रवाई एनजीओ वाले किए थे। हड़ताल करने पर संगठन एवं मजदूरों से बात किए। वेतन का भुगतान नहीं किया। फिर मजदूरों ने हड़ताल की, तब वेतन भुगतान किए, परन्तु अपने बात से मुकर गए और कर्मचारीगण को ठग लिए। आज तो वे बात भी नहीं कर रहे हैं। बार-बार कर्मचारीगण मौखिक रूप से सुपरवाइजर लोगों के माध्यम से तीन माह से वेतन भुगतान का अनुरोध कर रहे थे, पर वे ध्यान नहीं दिये। जब आशा टूट गई। बच्चों के पढ़ाई-लिखाई में परेशानी होने लगी।
बीमारी में डाक्टर को दिखाकर दवा खरीदने की क्षमता नहीं रही।दुकानदार राशन उधार देना बंद कर दिया तो लाचार होकर हड़ताल में जाना पड़ा।
जानकारी शहर की आम जनता को जुलूस के माध्यम से देनी पड़ी
इसकी जानकारी शहर की आम जनता को जुलूस के माध्यम से देनी पड़ी । जुलूस पुरानी नगर पालिका से निकल कर सोमार बाजार बगड़ू मोड़ शहीद अशफाक उल्लाह खान चौक, बड़ी मस्जिद, अपर बाजार महात्मा गांधी चौक, मिलन चौक,बरवाटोली चौक, शिवाजी चौक, न्यु रोड,बाबा मठ,शहीद-ए-आजम भगत सिंह चौक, बस स्टैंड ,नेताजी सुभाष चंद्र बोस चौक होते हुए पुनः पुरानी नगरपालिका में पहुँच कर सभा में तब्दील हो गई,जिसकी अध्यक्षता महेश कुमार सिंह ने की।
जुलूस में वेतन-भत्ता,सफाई की सामग्री मुहैया कराने संबंधी तथा ‘एनजीओ हटाओ,लोहरदगा बचाओ,’ ‘सफाई कर्मियों का शोषण-दोहन बंद करो,’ ‘वेतन का पैसा नगर परिषद देगा तो एनजीओ की जरूरत नहीं है ‘आदि नारा लगा रहे थे।
शौक से हड़ताल पर नहीं गए हैं
हड़ताल के पहले नगर प्रशासक,जिला प्रशासन तथा राजनितिक दल के नेताओं, सांसद, पूर्व सांसद (राज्य सभा) तथा पूर्व मंत्री सह विधायक (लोहरदगा) को भी हड़ताल की सूचना देते हुए उनसे न्यायोचित कार्रवाई का गुहार लगाई है। बैठक में विचार रखते हुए कर्मचारियों ने कहा कि वे शौक से हड़ताल पर नहीं गए हैं।
प्रशासन तथा एनजीओ जिम्मेदार
लाचार होकर हड़ताल पर जाने को विवश किया गया है। इसके लिए प्रशासन तथा एनजीओ जिम्मेदार है, क्योंकि वेतन-भत्ता के अलावे,उपस्थिति कार्ड, बर्दी, पहचान-पत्र, पीएफ का सूद सहित अद्यतन हिसाब, ईएसआई कार्ड, बीमा,बोनस, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था,सफाई कार्य के लिए झाड़ू, लाॅकडाउन का विशेष भत्ता तथा स्थायी कर्मियों का सेवा-पुश्त खोलकर समान काम का समान वेतन तथा भत्ता एवं प्रोन्नति ,सेवानिवृत्ति के बाद ओल्ड पेंशन आदि नहीं दिया जाता है।
अगर पहले सब चीज मिल जाती, तो उन्हें एकजुट होकर हड़ताल पर नहीं जाना पड़ता। जब तक मांग न पूरी होगी, तबतक हड़ताल चलेगी।भूखे पेट काम नहीं होगा।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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