पहला कार्यक्रम चांडिल बाँध नौकायन स्थल में
चांडिल बाँध मत्स्यजीवी स्वावलम्बी समिति द्वारा सदस्यों का पारंपरिक रीति से अभिनन्दन
स्वतंत्रता संग्राम के गर्भ से निकले संविधान के मूल्यों, यथा- स्वतंत्रता-समता-न्याय और बंधुत्व के मूल्यों को पुनर्स्थापित करने और आज़ादी के लिए प्राणों की आहूति देने वाले शहीदों को याद करने के उद्देश्य से पांच राज्यों की सांस्कृतिक यात्रा ढाई आखर प्रेम (इप्टा) आज कोल्हान प्रमण्डल क्षेत्र में पहुँची. शुरुआत सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल बांध नौकायन स्थल पर हुई.
यात्रा 9 अप्रैल से 22 मई तक
चांडिल बाँध मत्स्यजीवी स्वावलम्बी समिति द्वारा नौका विहार परिसर में पिछले 9 अप्रैल की छत्तीसगढ़ के रायपुर से निकली इस सांस्कृतिक यात्रा कला-दल के सदस्यों का अभिनन्दन पारंपरिक रीति से किया गया. सुबह 10 बजे यह टीम नौका विहार स्थल पहुँची. 23 सदस्यीय इस टीम में मुख्य रूप से भारतीय जन-नाट्य संघ (इप्टा) के महासचिव राकेश जी, राष्ट्रीय सचिव, झारखण्ड शैलेन्द्र, राष्ट्रीय सचिव, छत्तीसगढ़, राजेश श्रीवास्तव, इप्टा दिल्ली की वर्षा आनंद, मृण्मय मुखर्जी (अध्यक्ष,छत्तीसगढ़ इप्टा) समेत अन्य शामिल हैं. आज और कल यानि 16 अप्रैल को जमशेदपुर के विभिन्न स्थानों पर ढाई आखर प्रेम की इस सांस्कृतिक दल के कई कार्यक्रम होने वाले हैं.
सांस्कृतिक यात्रा का उद्देश्य संविधान के मूल्यों पुनर्स्थापित करना है-शैलेन्द्र
इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद इप्टा झारखण्ड के राष्ट्रीय सचिव मंडल के शैलेन्द्र ने कहा, कि मौजूदा वक़्त में देश में संवैधानिक मूल्यों पर गहरी समझ बनाते हुए हर एक को इसकी रक्षा के लिए अपनी प्रभावी भूमिका तय करने की ज़रुरत है. उन्होंने बताया कि इप्टा द्वारा इस प्रथम चरण की सास्क्रतिक यात्रा में छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों से होते हुए यह यात्रा गुज़र रही है और इसका उद्देश्य कि “ढ़ाई आखर प्रेम” आजादी के 75 साल के पूरे होने के मौके पर इप्टा के कलाकारों, संस्कृतिकर्मियों, लेखकों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों द्वारा निकाली जा रही बहुचर्चित यात्रा है। इस सांस्कृतिक यात्रा का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम के गर्भ से निकले संविधान के मूल्यों, यथा- स्वतंत्रता-समता-न्याय और बंधुत्व के मूल्यों को पुनर्स्थापित करना और आज़ादी के लिए प्राणों की आहूति देने वाले शहीदों को याद करना है।
विमुवा के बैनर तले विस्थापन के खिलाफ लगभग तीन दशकों के आन्दोलन का इतिहास है-नारायण गोप
इस क्रम में चांडिल बांध के विस्थापन की दास्तां बयां करते हुए समिति के अध्यक्ष नारायण गोप ने कहा कि इस बांध से बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ है. विस्थपित मुक्ति वाहिनी के बैनर तले विस्थापन की इस विभीषिका के खिलाफ तीन दशकों से भी अधिक समय के आन्दोलन का इतिहास है. आन्दोलन का ही परिणाम है कि उस वक़्त राष्ट्रीय पुनर्वास नीति बनी. वर्तमान समय में चांडिल बाँध मत्स्यजीवी स्वावलम्बी समिति के माध्यम से विस्थापितों को रोज़गार से जोड़ने की यह एक छोटी-सी कोशिश है. संघर्ष कल भी था और आगे भी हमें संघर्ष करना है अपने हक और हुकूक के लिए. इस दौरान चाईबासा इप्टा की टीम भी मौजूद रही और क्रांति-गीत प्रस्तुत किया.
चांडिल बांध नौका विहार स्थल में स्वागत
इससे पहले चांडिल बांध नौका विहार स्थल में चांडिल बाँध मत्स्यजीवी स्वावलम्बी समिति के अध्यक्ष नारायण गोप, सचिव श्यामल मार्डी, देवेन्द्र नाथ महतो समेत अन्य सदस्यों ने ढाई आखर की टीम का स्वागत पुष्प-गुच्छ देकर किया. इस क्रम में एक विस्थापित साथी महेंद्र माझी ने एक संथाली गीत गया. कार्यक्रम का सञ्चालन अमर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन रवीन्द्र सिंह सरदार ने किया.
मानगो चेपा पुल अशफाकुल्ला खान द्वार के समीप टीम का स्वागत और सम्मान
इस सांस्कृतिक यात्रा का अगला कार्यक्रम मानगो के चेपा पुल स्थित अशफाकुल्ला खान द्वार के समीप हुआ, जिसमें जमशेदपुर की को-ऑर्डिनेटर अर्पिता श्रीवास्तव की अगुआई में ढाई आखर प्रेम की टीम के सदस्यों का स्वागत और सम्मान किया गया. इस मौके पर मानगो से मोहम्मद ज़कारिया, सरदार बलदेव सिंह समेत कई बुद्धिजीवी और जनवादी तबके के गणमान्य लोग मौजूद थे. फिर मानगो के गांधी मैदान में एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें कई लोग मौजूद रहे.
शाम को बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन प्रेक्षागृह में मुख्य कार्यक्रम
आज शाम को 6.30 बजे बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन प्रेक्षागृह में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया है. साथ ही कल जमशेदपुर के कई जगहों, सुबह 8.30 बजे सोनारी पोस्ट ऑफिस के पास, सुबह 10 बजे साकची गोलचक्कर और पूर्वाह्न 11.30 बजे जुगसलाई में इप्टा द्वारा संचालित ढाई आखर प्रेम की इस टीम के कार्यक्रम आयोजित होने वाले हैं. इप्टा द्वार तमाम शहर वासियों से इस मुहिम से जुड़ने और इसे संबल प्रदान करने की अपील की गई है.
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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