
थर्ड लाइन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के विरोध में 70 किमी पैदल यात्रा कर किया जिला मुख्यालय का घेराव
थर्ड लाइन रेलवे परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण के खिलाफ पश्चिम सिंहभूम के पदापहाड़ गांव के सैकड़ों रैयतों ने आज चाईबासा जिला मुख्यालय का घेराव किया। ग्रामीणों ने लगभग 70 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर जिला प्रशासन तक अपनी आवाज पहुंचाई। उनका आरोप है कि रेलवे द्वारा जबरन और बिना समुचित मुआवजा या पुनर्वास नीति के जमीन ली जा रही है, जिससे वे नाराज और आंदोलित हैं।
पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा के नेतृत्व में हुआ प्रदर्शन
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा ने किया। उन्होंने कहा कि पादापहाड़ देश का इकलौता ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां आज तक प्लेटफॉर्म तक नहीं बना, लेकिन यहां से लाखों टन लौह अयस्क का निर्यात होता है। उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रस्तावित भूमि में आदिवासियों का पारंपरिक श्मशान स्थल “शासनदीरी” भी शामिल है, जिसकी छेड़छाड़ आदिवासी समुदाय के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अस्वीकार्य है।
पुनर्वास और मुआवजे में भेदभाव का आरोप
झारखंड पुनरुत्थान अभियान के केंद्रीय अध्यक्ष ने अमाडिया गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि 2017 में रेलवे द्वारा वहां भूमि अधिग्रहण किया गया, लेकिन रैयतों को नाममात्र मुआवजा मिला और नौकरी का वादा पूरा नहीं हुआ। उन्होंने सवाल उठाया कि जब 2019 में नौकरी का प्रावधान खत्म हुआ, तो फिर 2016–17 में अधिग्रहण के बावजूद अमाडिया के लोगों को क्यों नहीं नियुक्त किया गया?
ग्राम सभा के निर्णय के बिना नहीं होगी भूमि अधिग्रहण
आंदोलनकारियों ने साफ कहा कि अब ग्राम सभा की सहमति के बिना एक इंच भी जमीन रेलवे को नहीं दी जाएगी। ग्रामसभा को मजबूत करने की अपील की गई।
पुरानी भर्ती प्रक्रिया में भी अनियमितता का आरोप
ग्रामीण लक्ष्मण बालमुचू ने बताया कि 2009 में चयनित 24 रैयतों में से केवल 16 को नौकरी मिली, जबकि शेष 8 पात्र लोगों को आज तक नौकरी नहीं दी गई। इनमें से 7 मामलों पर न्यायालय में सुनवाई जारी है।
72 रैयत चिन्हित, मुआवजे की मांग
संघ के अध्यक्ष राजेंद्र बालमुचू ने कहा कि फरवरी 2023–24 में भू-अर्जन विभाग द्वारा 72 रैयतों को चिन्हित किया गया, जिनमें से 23 को पहले नौकरी और मुआवजा दिए जाने की मांग की गई। शेष 49 रैयतों को 10 दिनों के भीतर क्षतिपूर्ति देने की चेतावनी दी गई।
आक्रोश और एकजुटता का प्रदर्शन
अशोक पान ने विशेष परियोजना के तहत 1 डिसमिल भूमि के लिए ₹5 लाख मुआवजा और एक प्लॉट पर एक नौकरी की मांग की।
चाईबासा से प्रकाश कुमार गुप्ता की रिपोर्ट

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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