निलंबित निदेशक मंडल व रिजोल्यूशन प्रोफेशनल अनीश अग्रवाल के दुर्भावनापूर्ण आचरण पर तल्ख़ टिप्पणी
एनसीएलटी, कोलकाता बेंच में टायो रोल्स मामले में मजदूरों की प्रोविडेंट फंड वाली याचिका पर जज राजशेखर और बलराज जोशी की बेंच ने आज 11 फरवरी को एक अहम फैसला सुनाया और टायो रोल्स के मजदूरों को उनके पीएफ का पैसा तुरंत भुगतान करने का निर्देश दिया। बेंच ने टाटा की ट्रस्टीज को निर्देश दिया कि मजदूरों के पीएफ के भुगतान में कोई देरी न हो, क्योंकि मजदूरों को पिछले अक्तूबर 2016 से आजतक कोई वेतन नहीं मिला है।
पीएफ़ का भुगतान न करना पीएफ और आईबीसी के प्रावधानों के खिलाफ-अधिवक्ता अखिलेश
ज्ञातव्य है कि टाटा युडोगावा भविष्य निधि ट्रस्ट द्वारा गैरकानूनी तरीके से कर्मचारी भविष्य निधि का भुगतान न्यायनिर्णायक प्राधिकारी, कोलकाता एनसीएलटी के 05.04.2019 के अधिस्थगन आदेश (मोराटोरियम) और टायो रोल्स लिमिटेड के निदेशक मंडल के निलंबन के बाद भी नहीं किया गया है, जो पीएफ और आईबीसी के प्रावधानों के खिलाफ है और आईपीसी की धारा 405 के तहत आपराधिक मामला है। अतः मजदूरों के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव और आकाश शर्मा ने पिछली सुनवाई में अनुरोध किया था कि ट्रस्ट में पड़ी राशि को कामगारों को देने के लिए न्यायनिर्णायक प्राधिकारी, कोलकाता एनसीएलटी टायो रोल्स लिमिटेड के निलंबित निदेशक मंडल को निर्देश जारी करे।
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निदेशक मंडल और रिजोल्यूशन प्रोफेशनल आचरणों पर कोर्ट की गंभीर टिप्पणी
इसके पश्चात निलंबित निदेशक मंडल के सदस्य के शंकर मरार ने आवेदन याचिका में कहा था कि बैंक को मोराटोरियम आदेश व बैंक गारंटी इनवोक होने के पश्चात भी बैंक गारंटी के लिए दी गयी मार्जिन मनी का स्वायत्तीकरण करने का अधिकार नहीं है, को निरस्त करते हुए कहा कि अगर ऐसा किया जा,य तो इस देश की बैंकिंग व्यवस्था ठप्प हो जायेगी। बेंच ने टायो रोल्स के निलंबित निदेशक मंडल और रिजोल्यूशन प्रोफेशनल अनीश अग्रवाल के दुर्भावनापूर्ण आचरणों पर गंभीर टिप्पणी भी की।
बैंक गारंटी को रोकने का अधिकार बैंकों को नहीं है, जब..
ज्ञातव्य है कि मजदूरों के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने उसका विरोध करते हुए बेंच को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने युपी कॉपरेटिव फेडेरेशन लिमिटेड बनाम सिंह कन्सल्टेंट्स और इंजीनियर्स प्राईवेट लिमिटेड, 1988 में यह व्यवस्था दी है कि बैंक गारंटी को रोकने का अधिकार बैंकों को नहीं है, जब तक कोई धोखाधड़ी और/ या अपूरणीय क्षति का दावा नहीं किया जाय। माननीय बेंच को यह भी बताया गया कि आबीसी की धाराएं 3(31) और 14 (3) के द्वारा बैंक गारंटी को मोराटोरियम से बाहर भी रखा गया है।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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