सामाजिक संस्था युवा( यूथ यूनिटी फॉर वॉलंटरी एक्शन) एवं विमेन गेनिंग ग्राउंड कंसोटियम ,क्रिया, न्यू दिल्ली के तहत 16 दिवसीय अभियान के तहत ‘असमानता से समानता सबकी गिनती एक समान’ के तहत राज्य स्तरीय वार्षिक रिथिंक इवनिंग का आयोजन समाज शास्त्र विभाग रांची यूनिवर्सिटी में किया गया । इस कार्यक्रम का आयोजन युवा संस्था ने समाज शास्त्र विभाग व विमेन स्टडी सेंटर रांची के साथ मिलकर संगठित रूप से किया।
‘युवा’ की सचिव वर्णाली चक्रवर्ती ने कार्यक्रम के उद्देश्य की विस्तृत जानकारी दी
कार्यक्रम में सरकारी एवं गैर सरकारी संस्था, शिक्षक, छात्र छात्राएं शामिल हुए। युवा की सचिव वर्णाली चक्रवर्ती ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य की विस्तृत जानकारी दी । कार्यक्रम का उद्घाटन संयुक्त रूप से पौधा में पानी डालने एवं ‘असमानता से समानता,सबकी गिनती एक समान,’ ‘हिंसा के खिलाफ़ हम सबकी आवाज’ स्लोगन से किया गया। ‘क्रिया’ की प्रोग्राम मैनेजर बबिता सिन्हा ने बताया कि विमेन गेनिंग ग्राउंड कंसोटियम भारत में महिलाओं और युवा लड़कियों , खास कर हाशिए पर रह रही महिलाओं जैसे विकलांग महिलाएं , ट्रांस व्यक्ति उनके साथ हो रही हिंसा पर काम करता है। साथ ही जेंडर के आधार पर की जा रही हिंसा की कड़ी निंदा करता है और सभी व्यक्तियों के साथ उनके मानवाधिकारों की रक्षा और उस तक पहुंच बनाने के लिए राज्य और गैर राज्य संस्थानों के साथ मिलकर राजनैतिक भागीदारी पर क्षमता निर्माण का कार्य करता है।
इस तरह के कार्यक्रम होना बहुत सराहनीय-पी के चौधरी
HOD पी के चौधरी ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम होना बहुत सराहनीय है, क्योंकि जानकारी के अभाव के कारण कुरीतियां बढ़ रही हैं और ज्यादातर महिलाएं हिंसा का शिकार हो रही है । डॉ दीपाली सहायक प्रोफेसर ने कहा कि युद्ध हो या समाज हर जगह शोषण का शिकार महिला है और डायन प्रथा को लेकर भी महिलाओं के साथ हिंसा होती है । सोनाली पाल ने विकलांग महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि धर्म के नाम पर भी विकलांग महिला शोषण से ग्रसित होती है। रिसोर्स पर्सन स्वाति शिखा ने झारखंड में डायन के अपवाद को लेकर जानकारी साझा की और इससे जुड़े पितृसत्तामक समाज की महिलाओं के जीवन में घटित हिंसा की घटना के बारे में बताया साथ ही डायन प्रथा से जुड़े कानून व नीतियों की जानकारी दी।
रेशमा,आली ने डायन प्रथा से प्रभावित महिलाओ की केस स्टडी को साझा की। आकृति लकड़ा ने बताया कि किस तरह ज्यादातर आदिवासी महिलाओं को डायन कह कर प्रताड़ित किया जाता है। खुला सत्र में सब ने अपने विचार साझा किए। युवा संस्था अध्यक्ष उषा सबीना देवगम ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम की समापन की घोषणा की।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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