अमित शाह के विरुद्ध आचार संहिता व लोक प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन के लिए कार्रवाई की मांग
गृह मंत्री सह भाजपा के स्टार प्रचारक अमित शाह ने 10 मई को खूंटी में अपने चुनावी भाषण में मुसलमानों के विरुद्ध नफरत फैलाया, झूठी बातों का प्रचार किया और धार्मिक ध्रुवीकरण कर वोट मांगे. आज 11 मई को लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को संलग्न शिकायत पत्र भेजकर अमित शाह के विरुद्ध आचार संहिता व लोक प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन के लिए कार्रवाई की मांग की है.
धार्मिक द्वेष पैदा करने की कोशिश की
अमित शाह ने अपने चुनावी भाषण में राम मंदिर के नाम पर भाजपा के लिए वोट मांगा एवं सभा के अंत में ‘जय श्री राम’ का धार्मिक नारा लगवाया. साथ ही उन्होंने मुसलमानों को ‘घुसपैठी’ बोलकर कई बार इंगित किया. उन्होंने तथ्यविहीन बातों के आधार पर आदिवासियों में मुसलमानों के विरुद्ध धार्मिक द्वेष पैदा करने की कोशिश की और इसके आधार पर अपनी पार्टी के लिए वोट मांगे. जैसे, घुसपैठी आदिवासियों के ज़मीन पर कब्ज़ा करते हैं, गाँव में बस्तियां बनाते हैं, आदिवासी लड़कियों से चुपके से शादी करते हैं आदि. उन्होंने मुसलमानों को अन्य समुदायों का दुश्मन दिखाने की कोशिश की और धार्मिक द्वेष पैदा करने की कोशिश की.
लोक प्रतिनिधित्व क़ानून की धारा 3(A) का भी उल्लंघन
यह आचार संहिता के पहले ही खंड का उल्लंघन है, जो सभी दलों व प्रत्याशियों को कोई भी ऐसी गतिविधि से प्रतिबंधित करता है, जिससे “विभिन्न जातियों व समुदायों (धार्मिक या भाषा-आधारित) के बीच तनाव या नफ़रत पैदा हो या उनके बीच के मतभेद और बढ़ जाए”। यह लोक प्रतिनिधित्व क़ानून की धारा 3(A) का भी उल्लंघन है, जो किसी भी प्रत्याशी को “भारत के नागरिकों के बीच धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर नफ़रत या दुश्मनी की भावनाओं को बढ़ाने” से बाधित करती है। धर्म के नाम पर वोट माँगना भी साफ़ उल्लंघन है. साथ ही, यह IPC की धारा 153 (A), 295 (A) of 505 (1) (b) व (c) 505 (2) के तहत नफरती भाषण है. सर्वोच्च न्यायालय ने कई बार स्पष्ट आदेश दिया है कि नफरती भाषण के लिए वक्ता के विरुद्ध suo motu प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए.
अमित शाह के विरुद्ध न्यायसंगत कार्रवाई की मांग
अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से अमित शाह के विरुद्ध न्यायसंगत कार्रवाई की मांग की है. अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को यह भी याद दिलाया है कि 3-4 मई को प्रधान मंत्री मोदी द्वारा राज्य के तीन स्थानों पर ऐसे ही भाषण दिए गए एवं उसके विरुद्ध भी शिकायत की गयी थी. लेकिन न उनपर कार्यवाई हुई और न आयोग इस मुद्दे पर सख्त हुआ. अगर चुनाव आयोग अपनी ज़िम्मेवारियों का ईमानदारी से पालन करे, तो बार-बार आचार संहिता, लोक प्रतिनिधित्व कानून और संविधान का ऐसा खुला मज़ाक नहीं बनेगा.
लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान की ओर से अफ़जल अनीस, अंबिका यादव, अलोका कुजूर, भरत भूषण चौधरी, भाषण मानमी, दिनेश मुर्मू , एलिना होरो, ज्योति कुजूर, कुमार चन्द्र मार्डी, किरण, लीना, लालमोहन सिंह खेरवार, मेरी निशा हंसदा, मंथन, प्रवीर पीटर, पकू टुडु, रमेश जेराई, रेशमी देवी, रोज़ खाखा, सिराज दत्ता व टॉम कावला पत्र के हस्ताक्षरकर्ता हैं.
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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