विश्वनाथ छात्र- युवा संघर्ष वाहिनी से जुड़े रहे हैं
गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 74 वां दिन है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका- संविधान को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर “न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा। सत्याग्रह आज सर्व धर्म प्रार्थना के साथ अपने 74 वें पायदान पर पहुँच गया है।
आज उपवास पर विश्वनाथ बैठे हैं। ये झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर शहर से 25 किलोमीटर दूर दलमा पहाड़ी से घिरे पटमदा प्रखंड के मोहुलबना गांव के निवासी हैं। विश्वनाथ छात्र- युवा संघर्ष वाहिनी से जुड़े रहे हैं। विश्वनाथ का जन्म 18 फरवरी 1996 को एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव में हुई है और बांगुड़दा उच्च विद्यालय से माध्यमिक की शिक्षा प्राप्त किया है। इसके बाद कोल्हान विश्वविद्यालय,चाईबासा से उच्च शिक्षा ग्रहण किया है।
झाड़खण्ड के क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए 5 निःशुल्क कोचिंग केंद्र चला रहे हैं
जयप्रकाश नारायण के विचारों से प्रभावित हो कर वे छात्र जीवन से ही छात्र- युवा संघर्ष वाहिनी से जुड़ गए। उन्होंने
पूर्वी सिंहभूम के दलमा परिक्षेत्र में पर्यावरण की ख़राब स्थिति को देखते हुए वहां संचालित स्टोन क्रेशर और ईंट भट्ठा को बंद करवाया एवं वहां के सड़क पर चलने वाले 100 हाइवा को भी बंद करवाया। (जो Heavy Load करके वहां की सड़कों को बर्बाद कर देते थे) विश्वनाथ ने आर टी आई कार्यकर्ता के रूप में शिक्षा,स्वास्थ्य एवं जमीन घोटाला सम्बन्धी कई जानकारियों को उजागर किया और समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया। झाड़खण्ड के क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए 5 निःशुल्क कोचिंग केंद्र चला रहे हैं। नवोदय में पढ़ने को इच्छुक छात्र-छात्राओं को साथियों के साथ मिलकर नि:शुल्क कोचिंग उपलब्ध करवाते है। मजदूरों के हक के लिए भी इन्होंने काम किया है।
लगातार सक्रिय रहते हैं सामाजिक कार्यों में
ठंड के समय आदिम जनजाति सबर बस्तियों के परिवारों के बीच कम्बल एवं बच्चों की पढ़ाई की लिए पाठ्य सामग्री भी उपलब्ध कराते रहे है। प्रतिवर्ष होने वाले माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक परीक्षा में टॉपर विद्यार्थियों को सम्मानित करते आये हैं। कोरोना काल में पीड़ित परिवारों को खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाए हैं। वे क्षेत्र में रक्तदान शिविर का आयोजन कर लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करते है। आज पटमदा- बोड़ाम क्षेत्र में जब भी किसी व्यक्ति को विषम परिस्थिति में रक्त की आवश्यकता होती हैं तो विश्वनाथ के द्वारा उन्हें तुरंत रक्त उपलब्ध कराया जाता है।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर बांकादा मध्य विद्यालय में पौधा वितरण किया गया। यह कार्यक्रम विगत कई वर्षों से चल रहा है।साथियों के साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए 2023 तक 14000+ पौधा वितरण एवं रोपण किया गया। माचा CHC एवं *लावजोड़ा PHC*नए बने भवनों में अस्पताल चालू करवाने के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन किया, फलस्वरूप अस्पताल सुचारू रूप से चल रहा है।
आज गांधी-विनोबा की विरासत को दफन करने के लिए यूपी और केंद्र सरकार तुली हुई है
विश्वनाथ कहते हैं कि गांधी एवं विनोबा भावे के विचार और दर्शन का स्वतंत्रता आंदोलन पर काफी प्रभाव पड़ा था। इनके विचारों से प्रभावित हो कर देश के लोगों ने ब्रिटिश हुकूमत को बाहर कर दिया । 30 जनवरी 1948 को आजाद भारत में सनातनी हिंदू महात्मा गांधी को गोडसे ने गोली मार कर हत्या कर दी । जिस गांधी और विनोबा भावे के विचारों को देश के युवा आदर्श मानते हैं, आज उसी गांधी-विनोबा की विरासत को दफन करने के लिए उत्त केंद्र सरकार तुली हुई है। सरकार अपने अवैध करतूतों से सर्व सेवा संघ के भवनों को ध्वस्त कर जमीन पर जबरन कब्जा करना चाहती है। हमारा सत्याग्रह उनके गलत इरादों का प्रतिवाद है।
आज सत्याग्रह में उपवासकर्ता विश्वनाथ के अलावा राम धीरज, विद्याधर, प्रवीण वर्मा, महेंद्र कुमार, पंकज गौड़, शक्ति कुमार, झारखंड से मानिकचंद बेसरा, मुकुंद मुकद्दर, उड़ीसा से सत्यव्रत विश्वास तथा पश्चिम बंगाल से मनीषा बनर्जी, सिद्धार्थ मित्रा, गोपाल मांडी ,रूनी खातून आदि शामिल रहे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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