
झारखंड में शिक्षकों के तबादले के लिए अब विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कोई कमेटी गठित नहीं की जाएगी। असाध्य रोग से ग्रसित शिक्षकों पर स्थानांतरण के सामान्य नियम लागू नहीं होने हैं। वर्ष 2019 में लागू शिक्षक स्थानांतरण नीति में कहा गया था कि असाध्य रोग से ग्रसित शिक्षकों से संबंधित अपवाद को अत्यंत विशेष परिस्थिति में रखा जाएगा तथा केवल अतिविशेष परिस्थिति में ही इनका स्थानांतरण हो सकेगा। इस तरह के अनुरोधों पर विचार करने के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जानी थी, जिसमें स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तथा कल्याण विभाग के सचिव सदस्य तथा माध्यमिक एवं प्राथमिक शिक्षा निदेशक सदस्य होते।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित
पिछले दिनों नीति में किए गए संशोधन में विकास आयुक्त की बजाय माध्यमिक तथा प्राथमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने की बात कही गई है। संबंधित निदेशक (प्राथमिक शिक्षकों के मामले में प्राथमिक शिक्षा निदेशक, माध्यमिक शिक्षकों के मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशक) की अध्यक्षता में गठित कमेटी में विभाग द्वारा मनोनीत एससी-एसटी के पदाधिकारी, वरिष्ठतम आरडीडीई तथा विषय से संबंधित उपनिदेशक सदस्य होंगे। अब यह भी तय किया गया है कि ऐसे शिक्षकों का स्थानांतरण अति विशेष परिस्थिति में जुन-जूलाई माह में हो सकेगा।
इसी तरह, पूर्व में लागू नीति में अंतर जिला स्थानांतरण के संबंध में भी कहा गया था कि विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति अन्य अंतर जिला स्थानांतरण के मामले पर विचार करने हेतु सक्षम होगी। अब इस प्रविधान को हटा दिया गया है। इस तरह, शिक्षकों के स्थानांतरण में विकास आयुक्त की अब कोई भूमिका नहीं होगी। बता दें कि पति-पत्नी के आधार पर तथा महिला एवं दिव्यांग शिक्षकों को कुछ शर्तों के साथ अंतर जिला स्थानांतरण की छूट दी गई है। इसके अलावा अन्य मामले में विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी भी स्वीकृति दे सकती थी।

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