केंद्रीय विश्वविद्यालय (Central University Of Jharkhand) के भौतिकी (Phycics) विज्ञान के शिक्षक डा भूपेंद्र सिंह जिले वासियों को नए साल (New Year) में नई सौगात दे सकते हैं।
हीट इनर्जी (Heat Energy) को इलेक्ट्रिक इनर्जी (Electric Energy) में बदलने की दिशा में उनका अनुसंधान पिछले दो-तीन वर्षों से चल रहा है और जल्द ही डा सिंह इसे मूर्तरूप भी देंगे। इस अनुसंधान के पूरा होने के बाद औद्योगिक क्षेत्रों (Industrial Areas) के साथ साथ घरेलु बिजली उपभोक्ताओं (Domestic Electricity Consumers) को सस्ती बिजली उपलब्ध हो पाएगी। जिससे आमजनों के साथ साथ औद्योगिक क्षेत्रों में उर्जा की निर्भरता बढ़ेगी और इसका सीधा फायदा व्यवसाय जगत को होगा।
अनुदान आयोग को भेजा था अपना प्रस्ताव
बता दें कि अक्टूबर 2020 में उन्होंने इस अनुसंधान को गति देने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को अपना प्रस्ताव भेजा था। ताकि स्थानीय स्तर पर ही वे सारे संसाधनों को जुटाकर अपने अनुसंधान को अमलीजामा पहना सके।
यूजीसी बेसिक साइंस रिसर्च के लिए स्टार्ट अप ग्रांट
यूजीसी की पांच कमेटियों ने इनके प्रस्ताव का अध्ययन करने के बाद अपनी सहमति दे दी है। सीयूजे के शिक्षक डॉ भूपेंद्र सिंह को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा 10 लाख रुपए का यूजीसी बेसिक साइंस रिसर्च के लिए स्टार्ट अप ग्रांट प्रदान कर दिया गया है। जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी वर्ष उनके अनुसंधान का कार्य शुरू हो जाएगा।
आने वाले दिनों पूरे विश्व को विद्युत उर्जा की कमी से जूझना पड़ेगा
अपने अनुसंधान के बारे डा भूपेंद्र सिंह ने बताया कि आने वाले दिनों पूरे विश्व को विद्युत उर्जा की कमी से जूझना पड़ेगा। यदि इस हीट इनर्जी के स्वरूप को इलेक्ट्रिक इनर्जी में बदलने की दिशा में सार्थक प्रयास हो तो बेशक उर्जा की बढ़ती चुनौती को कम किया जा सकता है।
राष्ट्रीय स्तर पर हुए थे चयनित
बता दें कि राष्ट्रीय स्तर पर हुई चयन प्रतियोगिता में उनके प्रस्ताव को यूजीसी की एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी मुहर लगा दी है। इसके तहत डा भूपेंद्र सिंह अटॉमिक एंड मॉलिकुलर कोलिजन फ़िज़िक्स पर अपना अनुसंधान शुरू करेंगे। साथ ही अणु और परमाणु के विभिन्न प्रयोगों पर अपना अध्ययन करेंगे। इसके लिए उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और फिजिकल रिसर्च लैब अहमदाबाद से भी संपर्क किया है। ताकि वहां मौजूद संसाधनों व हुए शोध की इन्हें मदद मिल सके। संसाधनों व बेसिक लैब को तैयार करने का बहुत फायदा मिलेगा। यहां के छात्र छात्राओं को भौतिकी विज्ञान से संबंधित बारीकियों को जानने के लिए अन्य प्रदेश नहीं जाना पड़ेगा।
लैब को लेकर क्या क्या हैं चुनौतियां
– भौतिकी विज्ञान के अध्ययन व अनुसंधान को ले संसाधनों का अभाव
– हाइड्रोजन फ्यूजन के लिए 3000-4000 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करने वाले कंटेनर या चैंबर का न होना
– इलेक्ट्राॅनिक सर्किट का न होना व इसके निर्माण के लिए संसाधनों को जुटाना
– बाहर के विश्वविद्यालयों से इन संसाधनों को मंगाना भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
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