बुधवार को राज्यसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि बेरोज़गारी की वजह से 2018 से 2020 तक 9,140 लोगों ने आत्महत्या की है. साल 2018 में 2,741, 2019 में 2,851 और 2020 में 3,548 लोगों ने बेरोज़गारी की वजह से आत्महत्या की है. 2014 की तुलना में 2020 में बेरोज़गारी की वजह से आत्महत्या के मामलों में 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ़ कंप्यूटेशनल एंड इंटीग्रेटिव साइंस के प्रोफ़ेसर शानदार अहमद के मुताबिक छह साल में बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या के मामलों में 60 प्रतिशत की वृद्धि ख़तरनाक है.प्रोफ़ेसर शानदार अहमद बताते हैं, “साल 2014 से 2017 तक कोई ख़ास बदलाव नज़र नहीं आता लेकिन 2020 में बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या के मामलों में अचानक से बड़ा उछाल दिखा है. ये काफ़ी बड़ा बदलाव है, इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.”
कोरोना का प्रभाव बेरोज़गारी के कारण हुई आत्महत्या पर कितना पड़ा है ये हमें आने वाले एक दो सालों में पता चलेगा. भविष्य में ये स्थिति ज़्यादा ख़राब हो सकती है.
प्रोफ़ेसर अहमद कहते हैं कि यदि ध्यान नहीं दिया गया तो आगे हालात और गंभीर हो सकते हैं.उन्होंने कहा, “हमें पिछले सालों की घटनाओं को देखना पड़ेगा जिसकी वजह से 2020 में इतने मामले बढ़े हैं. आत्महत्या कोई व्यक्ति एक दिन में नौकरी जाने या नहीं मिलने की वजह नहीं करता. स्थिति धीरे धीरे बड़ी होती है फिर एक दिन जाकर कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है. कोरोना का प्रभाव बेरोज़गारी के कारण हुई आत्महत्या पर कितना पड़ा है ये हमें आने वाले एक दो सालों में पता चलेगा. भविष्य में ये स्थिति ज़्यादा ख़राब हो सकती है.”
साल 2018 से 2020 तक बेरोज़गारी से अलग दिवालियापन और कर्ज़ की वजह से आत्महत्या करने वालों में भी बढ़ोतरी हुई है.गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि ऐसे मामलों में इन तीन सालों में कुल 16,091 लोगों ने आत्महत्या की है. साल 2019 में दिवालियापन और कर्ज़ के चलते आत्महत्या करने वाली की संख्या 5,908 है. जो तीन सालों में सबसे ज़्यादा है.गृह मंत्रालय ने ये जानकारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो या एनसीआरबी के आँकड़ों के आधार पर दी है.कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद में जानकारी दी कि 1 मार्च 2020 तक केंद्र सरकार के विभागों में 8,72,243 यानी लगभग लगभग पौने नौ लाख पद रिक्त थे.
जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ सालों से सिर्फ़ सरकारी ही नहीं, बल्कि प्राइवेट नौकरियां भी सिमट रही हैं.
एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने जानकारी दी कि 1 मार्च 2019 तक 9,10,153 रिक्त पद और 1 मार्च 2018 तक 6,83,823 रिक्त पद थे.संसद में लिखित जवाब में कार्मिक मंत्रालय ने कहा, “तीन बड़ी भर्ती परीक्षा एजेंसियों ने 2018-19 से 2020-21 तक 2,65,468 भर्तियां की हैं. इनमें रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) शामिल है.” जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ सालों से सिर्फ़ सरकारी ही नहीं, बल्कि प्राइवेट नौकरियां भी सिमट रही हैं.
अगर बहुत अच्छा नहीं मिलता है तो छोटे काम से भी शुरुआत की जा सकती है.
डीएम दिवाकर बताते हैं, “सरकार के पास लाखों पद खाली पड़े हैं. रेलवे जैसा क्षेत्र हर साल लाखों रोज़गार पैदा करता है. पद खाली होने के बाद भी रोज़गार नहीं दिया जा रहा है क्योंकि सरकार निजीकरण की तरफ़ बढ़ रही है. सरकार नौकरी न देकर प्राइवेट हाथों में काम देने की तैयारी कर रही है. सर गंगा राम अस्पताल में वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक रोमा कुमार ने बीबीसी से कहा, “लोग अपने मन में ख्याल बना लेते हैं कि हमें ऐसी ही नौकरी करनी है. जब वो नहीं मिलती तो डिप्रेशन में चले जाते हैं. व्यक्ति को अपने ऑप्शन खोलकर रखने चाहिए. अगर बहुत अच्छा नहीं मिलता है तो छोटे काम से भी शुरुआत की जा सकती है. अगर आत्महत्या जैसा ख्याल आए तो अपनी दोस्तों, परिवार या थेरेपिस्ट से मदद लेनी चाहिए.
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