चीन और सोलोमन द्वीप में सुरक्षा समझौते की चर्चा पिछले कई महीनों से जारी थी। एक लीक हुए मसौदा दस्तावेज़ के अनुसार इस समझौते के बाद सोलोमन द्वीप के पास चीन से पुलिस या सैन्य कर्मियों से सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने या आपदा राहत में मदद करने का अनुरोध करने की क्षमता होगी।
यह समझौता पिछले साल नवंबर में सोलोमन की राजधानी होनियारा में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। तब लोगों ने सोलोमन दीप के ताइवान के साथ संबंधों को खत्म करने और चीन के साथ दोस्ती बढ़ाने का विरोध किया था, जिसने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया।
चीन का दावा है कि यह सोलोमन द्वीप में शांति और स्थिरता बनाने के उद्देश्य से एक पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौता है.
चीन के प्रशांत महासागर के एक छोटे से द्वीपीय देश सोलोमन द्वीप के साथ सुरक्षा समझौता होने से बवाल मचा हुआ है। इस समझौते के सार्वजनिक होते ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने नाराजगी का इजहार किया है। इन तीनों देशों का मानना है कि चीन प्रशांत क्षेत्र में अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए एक कमजोर देश को निशाना बना रहा है।
वहीं, चीन का दावा है कि यह सोलोमन द्वीप में शांति और स्थिरता बनाने के उद्देश्य से एक पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौता है। सोलोमन द्वीप की आबादी मात्र 6.87 लाख है, जो पिछले साल चीन विरोधी प्रदर्शनों के कारण हिंसा की आग में झुलस गया था। इसके बावजूद सोलोमन के नेताओं ने चीन के साथ सुरक्षा समझौता किया है।
सोलोमन द्वीप की आबादी मात्र 6.87 लाख है, जो पिछले साल चीन विरोधी प्रदर्शनों के कारण हिंसा की आग में झुलस गया था।
ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका ने इस समझौते को चीन का नया शक्ति प्रदर्शन करार दिया है। तीनों देशों का मानना है कि चीन-सोलोमन द्वीप का सुरक्षा समझौता इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा है। पिछले महीने की इस सौदे की एक अनवेरिफाइड कॉपी ऑनलाइन लीक हो गई थी।
इस समझौते का सबसे ज्यादा असर ऑस्ट्रेलिया के ऊपर पड़ने की आशंका है। दरअसल, इस समझौते के कारण चीन को सोलोमन द्वीप में सैन्य अड्डा स्थापित करने की छूट मिल जाएगी, जो प्रशांत महासागर के इलाके में चीन का पहला सैन्य अड्डा होगा। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका की चिंताओं का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इस समझौते को रोकने की उम्मीद में अपने एक प्रतिनिधिमंडल को सोलोमन द्वीप भेजा था।
इस समझौते का सबसे ज्यादा असर ऑस्ट्रेलिया के ऊपर पड़ने की आशंका है।
समझौते में क्या है, इसके बारे में सार्वजनिक विवरण की कमी न केवल सोलोमन द्वीप बल्कि बाकी देशों को भी चिंता में डाले हुए है। ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लोवी इंस्टीट्यूट में प्रशांत क्षेत्र में ऑस्ट्रेलियाई विदेश नीति के विशेषज्ञ मिहाई सोरा ने चीनी मिलिट्री बेस को लेकर चिंता जताई।
उन्होंने सोलोमन द्वीप की तुलना जिबूती से किया, जहां चीन का पबले से ही सैन्य अड्डा मौजूद है। चीन ने जिबूती के साथ भी ऐसा ही समझौता किया था, जिसे एक लॉजिस्टिक फैसिलिटी के रूप में बताया गया था, लेकिन बाद में यह नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित हो गया। सोलोमन ऑस्ट्रेलिया के उत्तरपूर्वी तट से लगभग 1,600 किलोमीटर दूर है। इसका मतलब होगा कि इस समझौते के परिणामस्वरूप ऑस्ट्रेलिया कम सुरक्षित है।
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