यूक्रेन में युद्ध के शुरू होते ही तिबलिसी में यूक्रेन के समर्थन में कई विशाल रैलियां हुईं. हाल में हुए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 87 फ़ीसदी जॉर्जियाई नागरिकों का मानना है कि यूक्रेन में हो रहा युद्ध उनकी रूस से अपनी जंग जैसा है.मैं पुतिन के ख़िलाफ़ हूं, मैं युद्ध के ख़िलाफ़ हूं. मैं अभी भी अपने रूसी बैंक अकाउंट से पैसे नहीं निकाल सकता लेकिन ये समस्या यूक्रेन के लोगों की परेशानी के आगे कुछ भी नहीं.
ल्यामिन जैसे लोग रूस के उन 25 हज़ार लोगों में से एक हैं जो यूक्रेन पर हमले के बाद देश छोड़कर जॉर्जिया पहुँचे हैं. जॉर्जिया के बड़े शहरों में रहने की किफ़ायती जगह खोजने के लिए रूसी लोगों को मशक्कत करनी पड़ रही है.कई लोग तो राजधानी तिबलिसी की सड़कों पर अपने सूटकेस और पालतू जानवरों के साथ भटकते दिख रहे हैं.
जॉर्जिया के बड़े शहरों में रहने की किफ़ायती जगह खोजने के लिए रूसी लोगों को मशक्कत करनी पड़ रही है.
रूस छोड़कर जाने वाले लोग सिर्फ़ जॉर्जिया तक ही सीमित नहीं है. यूरोपियन यूनियन, अमेरिका, यूके और कनाडा ने रूस के लिए अपने वायुक्षेत्र को बंद कर दिया है, इसलिए ये लोग तुर्क़ी, मध्य एशिया और दक्षिण कराकस जैसी उन जगहों पर जा रहे हैं, जहां अभी भी उड़ानों को बंद नहीं किया गया. बहुत से लोग तो आर्मीनिया भी चले गए हैं.
बेलारूस के लोग भी इसी रास्ते पर हैं. दमनकारी नीतियों और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मदद करने को लेकर अलेक्ज़ेंडर लुकाशेंको की सरकार पर पश्चिम देशों के प्रतिबंधों से तंग आकर बेलारूस के नागरिक भी दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं.लेकिन जॉर्जिया के बहुत से नागरिकों को यूं बड़ी संख्या में रूसी नागरिकों का अपने देश में आना खास पसंद नहीं आ रहा. क्योंकि अभी जॉर्जिया पर रूस के आक्रमण को 14 साल से भी कम समय बीता है.
देश छोड़ने वालों में से अधिकांश तकनीकी क्षेत्र में काम कर रहे हैं और ये सुदूर इलाकों से भी अपना काम कर सकते हैं.
कुछ लोगों को ये भी डर है कि राष्ट्रपति पुतिन ये दावा कर सकते हैं कि विदेश में रह रहे रूसी नागरिकों को सुरक्षा की ज़रूरत है. इसी बहाने से पुतिन ने जॉर्जिया के साउथ ओसेटिया में साल 2008 में अपनी सेना भेजने के फैसले का बचाव किया था. आज तक जॉर्जिया का 20 फ़ीसदी क्षेत्र रूस के कब्ज़े में है.देश छोड़ने वालों में से अधिकांश तकनीकी क्षेत्र में काम कर रहे हैं और ये सुदूर इलाकों से भी अपना काम कर सकते हैं.
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