रूस के लोगों का कहना है की यूक्रेन में मानवीय त्रासदी घटित हो रही है, ऐसे में हालात को सामान्य माने रखने का भ्रम पाले रखना मुश्किल है. यूक्रेन पर हमले के बाद से दुनियाभर के कला और खेल जगत में रूस का बहिष्कार जारी है. पश्चिमी देशों ने रूस के लिए अपना हवाई क्षेत्र भी बंद कर दिया है.अलग-थलग किए जाने और अर्थव्यवस्था के टूटने की शिकायत करना यूक्रेन के लोगों की पीड़ा की तुलना में कुछ भी नहीं है. लोग इस बात को लेकर बेहद उदास हैं कि यूक्रेन के लोगों की मदद करना रूस में राजद्रोह है.
लोग इस बात को लेकर बेहद उदास हैं कि यूक्रेन के लोगों की मदद करना रूस में राजद्रोह है.
रूस में खुलकर बात करना भी ख़तरनाक़ है. युद्ध के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले हज़ारों लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है. इसी बीच रूस का नेतृत्व हमले को और तीव्र कर रहा है.यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर रूस की अर्थव्यवस्था पर सख़्त प्रतिबंध लगाए गए हैं. हालांकि रूस के नेताओं ने अभी तक इन प्रतिबंधों को नज़रअंदाज़ ही किया है.लेकिन कला और खेल जगत से संबंध तोड़ना रूस की पीड़ा को और ग़हरा कर रहा है. इसने शीत युद्ध के दौरान की कड़वी यादों को फिर से ताज़ा कर दिया है.
खेल जगत में रूस पर वैश्विक प्रतिबंध लग रहे हैं. बीजिंग विंटर गेम्स में रूस की ग़ैरमौजूदगी ने लोगों की पीड़ा को बढ़ा दिया है.इस साल होने वाली विश्व चैंपियनशिप प्रतियोगिताओं से भी रूसी एथलीटों को प्रतिबंधित कर दिया गया है.रूस के एथलीट फीग इंटरनेशनल जूडो फ़ेडरेशन ने भी रूस के राष्ट्रपति पुतिन को प्रतिबंधित कर दिया है और उन्हें दी गई अध्यक्ष की सम्मानित उपाधि को रद्द कर दिया है.रूस ने चार साल पहले ही फ़ुटबॉल विश्व कप की मेजबानी की थी लेकिन अब उसके फ़ुटबॉल क्लबों और राष्ट्रीय टीम को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से प्रतिबंधित कर दिया गया है.
रूस के एथलीट फीग इंटरनेशनल जूडो फ़ेडरेशन ने भी रूस के राष्ट्रपति पुतिन को प्रतिबंधित कर दिया है.
मॉस्को के सबसे प्रमुख फ़ुटबॉल क्लब स्पार्टक मॉस्को को भी यूरोपा लीग से बाहर कर दिया गया है.”पिछले वीकेंड युद्ध विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने वाले 6 हज़ार से अधिक लोग गिरफ़्तार किए गए थे. ये सिर्फ़ सामान्य नागरिक नहीं थे बल्कि बच्चों और दूसरे विश्व युद्ध में हिस्सा लेने वाले बुज़ुर्गों तक को गिरफ़्तार किया गया.पिछले कुछ दिनों से बहुत से लोग रूस छोड़कर जा रहे हैं. उन्हें डर है कि कहीं उन्हें दबाया ना जाए या सेना में भर्ती होने के लिए ना कहा जाए. वो इस्तांबुल, येरेवान और तिब्लीसी जैसे शहरों की तरफ़ जा रहे हैं.
सबसे बुरी बात यह है की रूस की मुद्रा गिर रही है और प्रेस की आज़ादी ख़त्म हो रही है.
संगीत, मनोरंजन, फ़िल्में या प्रदर्शनी जैसी चीज़ें लोगों की प्राथमिकता में नहीं हैं. ये शीर्ष दस प्राथमिकताओं तक में शामिल नहीं हैं.ऐसा महसूस हो रहा है कि ये कोविड के बाद का अवसाद नहीं है. ये सिर्फ़ अवसाद है और मजबूर होने का बहुत ही बुरा अहसास भी है.
सबसे बुरी बात यह है की रूस की मुद्रा गिर रही है और प्रेस की आज़ादी ख़त्म हो रही है. इसका रूस के लोगों पर बहुत असर हुआ है, जिसके कारण लोग अपना अलग भविष्य देखने लगे हैं.
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