Women of Ukraine
जानी-मानी लेखिका तसलीमा नसरीन कि एक किताब का टाइटल है ‘औरत का कोई देश नहीं’ देश भले ही महिलाओं को अपना न माने पर जब उस पर संकट आता है तो महिलाएं सबसे आगे खड़ी होती हैं।
यूक्रेन की महिलाएं भी जंगी मोर्चे से लेकर घर-गृहस्थी और बच्चों को संभाल रही हैं। लंबे समय से वॉर फोटोग्राफी कर रहे एरिन ट्रिबे ने यूक्रेनी की महिलाओं के हौसले को अपनी आंखों से देखा है।रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग के बीच दुनिया ने यूक्रेनी महिलाओं की उस शक्ति को देखा है, जिसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
पति निश्चिंत होकर देश की रक्षा कर सकें, इसके लिए टारिया अपने दो बेटों के साथ कीव के एक अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन में शरण ली हुई हैं।
27 साल की टारिया ब्लैज़ेविच 8 साल पहले डोनेत्स्क छोड़ कर कीव आई थीं। आठ साल पहले भी डोनेत्स्क में रूस समर्थक अलगाववादी जंग छेड़े हुए थे। जंग से दूर जाने की चाहत टारिया को कीव खींच लाई। यहीं उन्होंने अपना परिवार बसाया और दो बच्चों की मां बनीं। लेकिन किस्मत का खेल ऐसा कि 8 साल बाद जंग ने उनके नए घर पर भी दस्तक दे दी।रूसी हमले के अगले ही दिन टारिया के पति यूक्रेनी सेना में शामिल हो गए। पति निश्चिंत होकर देश की रक्षा कर सकें, इसके लिए टारिया अपने दो बेटों के साथ कीव के एक अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन में शरण ली हुई हैं।
जंग के इस वक्त में उनका जागना ज्यादा जरूरी है। सोना बाद में भी हो सकता है।
कीव की रहने वाली 30 साल ओक्साना हनतियुकी जंग से पहले अपनी P.hd पूरी कर रही थीं। साथ ही साथ वो कीव में योग और पोल डांस सिखाने का एक स्कूल भी चलाती थीं। जंग शुरू होने के छठे दिन ही उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला कर लिया। ओक्साना के साथ उनकी मां भी सेना में शामिल हो गईं। आज दोनों मोर्चे पर जाकर जख़्मी यूक्रेनी सैनिकों को फर्स्ट एड देने का काम कर रही हैं।ओक्साना बताती हैं कि उन्हें कई दिनों तक खाना और नींद लेना का मौका नहीं मिल पाता है। लेकिन उनका कहना है कि ‘जंग के इस वक्त में उनका जागना ज्यादा जरूरी है। सोना बाद में भी हो सकता है।’
34 साल की एना मेज़ुर्निशविलिक अपने पति जार्ज और बच्चों के साथ क्रोलेवेत्स में रह रही थीं। युद्ध शुरू होने के बाद बच्चों के लिए खाने-पीने की भी दिक्कत हो गई। ऐसे में जार्ज ने पत्नी और बच्चों को अपने एक रिश्तेदार के यहां जार्जिया भेजने का फैसला किया। लेकिन यूक्रेन में लगे मार्शल लॉ के मुताबिक 18 साल से लेकर 60 साल तक के पुरुषों के देश छोड़ने पर पाबंदी है। उन्हें रूसी हमले का मुकाबला करने के लिए देश में ही रहने को कहा गया है।
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