म्यांमार की मानवाधिकार कार्यकर्त्ता और नोबेल विजेता नागरिक आंग सान सू की को जेल होने पर भारत ने निराशा जताई है। सरकार ने कहा कि भारत हाल के फैसलों से चकित है। एक पड़ोसी लोकतंत्र के रूप में भारत म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन का लगातार समर्थन करता रहा है। भारत मानता है कि कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कायम रखा जाना चाहिए। सोमवार को म्यांमार की एक अदालत ने सू की को सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने और कोविड नियमों के उल्लंघन के मामले में सजा सुनाई।
लोकतंत्र की रक्षा के लिए सू की ने साल 1989 से अब तक 15 साल तक नजरबंदी में गुज़ारे हैं। उन पर लोगों को उकसाने का मामला है, जो पार्टी के फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए एक बयान से जुड़ा हुआ है। सू की ने लम्बे समय तक मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ लगातार संघर्ष किया है.
विरोध
सजा के ऐलान के बाद लोग इस फैसले के खिलाफ विरोध भी जाहिर का रहे हैं। म्यांमार में मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की एक पूर्व विशेष अधिकारी ने आरोपों के साथ-साथ इस फैसले को गलत ठहराया। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे म्यांमार में स्वतंत्रता का गला घोंटने के लिए सेना द्वारा उठाया गया मनमाना कदम करार दिया है।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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